पटना : बिहार के उप मुख्यमंत्री एवं भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता सुशील कुमार मोदी ने आज बताया कि केंद, सरकार के उच्चतम न्यायालय में प्रभावी हस्तक्षेप का ही परिणाम है कि अनुसूचित जाति (एसी) एवं अनुसूचित जनजाति (एसटी) के प्रोन्नति में आरक्षण संविधान पीठ का अंतिम फैसला आने तक कानून के अनुसार जारी रखने की अनुमति मिली है। श्री मोदी ने यहां कहा कि केंद, सरकार के उच्चतम न्यायालय में प्रभावी हस्तक्षेप का ही परिणाम है कि अनुसूचित जाति (एसी) एवं अनुसूचित जनजाति (एसटी) के लोगों को सेवा में प्रोन्नति में आरक्षण संविधान पीठ का अंतिम फैसला आने तक कानून के अनुसार जारी रखने की अनुमति मिली है।
उन्होंने कहा कि केंद, सरकार इसके लिए शीघ, ही आदेश जारी करेगी। उपमुख्यमंत्री ने कहा कि भाजपा और केंद, की राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार का स्पष्ट मत है कि एससी और एसटी के आरक्षण में क्रीमी लेयर का प्रावधान नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि एससी-एसटी अत्याचार निवारण अधिनियम के मुद्दे पर भी केंद, सरकार उच्चतम न्यायालय में पूरी मजबूती से लड़ रही है। यदि आवश्यकता पड़ तो सरकार अध्यादेश लाकर इसे लागू कराने में भी पीछे नहीं रहेगी।
श्री मोदी ने कहा भाजपा का स्पष्ट मानना है कि एससी-एसटी को आरक्षण सदियों से उनके साथ हुए भेदभाव, छुआछूत और जंगल, पहाड़ तथा पिछड़ इलाके में उनके वास के कारण समाज की मुख्यधारा में उन्हें लाने के लिए संविधान द्वारा दिया गया है। उन्होंने कहा कि आरक्षण चाहे नौकरी में हो या विधायिका, संसद के लिए या फिर पदोन्नति में, इसे कोई भी ताकत छीन या समाप्त नहीं कर सकती है। भाजपा नेता ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार के दौरान ही संविधान की विभिन्न धाराओं में संशोधन कर एससी-एसटी वर्ग के कर्मचारियों की पदोन्नति में आरक्षण की कठिनाइयों को दूर कर प्रोन्नति में परिणामी वरीयता का प्रावधान किया गया। उन्होंने कहा कि बिहार में भी राजग की सरकार में प्रोन्नति में आरक्षण की व्यवस्था लागू की गई थी।
श्री मोदी ने कहा कि केंद, की नरेंद, मोदी सरकार ने ही वर्ष 1979 में बने एससी-एसटी अत्याचार निवारण अधिनियम को वर्ष 2016 में संशोधित कर पहले की तुलना में इसे ज्यादा मजबूत, प्रभावी और कठोर बनाया है। एससी-एसटी समुदाय के किसी भी व्यक्ति को बाल-मूंछ मुड़वाकर घुमाने, मृत जानवर या मानव शव ढुलवाने, मानव मल उठवाने, इस वर्ग की महिला को देवदासी बनाने, महिला के कपड़ उतरवाने एवं चुनाव में नामांकन करने से रोकने को भारतीय दंड विधान की अनेक धाराओं को जोड़ते हुए अपराध की श्रेणी में लाया गया है। उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर केंद, सरकार उच्चतम न्यायालय में पूरी मजबूती के साथ लड़ रही है। यदि सरकार के पक्ष में फैसला नहीं आया तो केंद, सरकार अध्यादेश लाकर यथावत इस अधिनियम को लागू करेगी।
अधिक लेटेस्ट खबरों के लिए यहां क्लिक करें।