राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) के सूत्रों ने कहा है कि इस सप्ताह की शुरुआत में पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) के ठिकानों पर छापेमारी को ‘ऑपरेशन ऑक्टोपस’ नाम दिया गया है। सूत्रों ने कहा कि सेवा में लगाए गए सभी 300 अधिकारियों को छापेमारी के दौरान चुप रहने के लिए कहा गया। एजेंसियां पीएफआई के पूरे नेटवर्क को जड़ से खत्म करना चाहती हैं।
युवाओं को झांसे में लेकर आंतकी ट्रेनिंग देते थे
‘ऑपरेशन ऑक्टोपस’ के तहत 100 से अधिक पीएफआई सदस्यों को गिरफ्तार किया गया और लगभग 200 को हिरासत में लिया गया। ईडी और एनआईए ने जांच के दौरान पाया है कि पीएफआई के सदस्य देश विरोधी गतिविधियों में शामिल थे। छापेमारी पीएफआई के शीर्ष नेताओं और सदस्यों के घरों और कार्यालयों पर एनआईए द्वारा दर्ज पांच मामलों के संबंध में की गई थी। आरोप है कि संगठन के सदस्य को आतंकी फंडिंग हो रही थी। वह युवाओं को झांसे में लेकर आंतकी ट्रेनिंग देते थे।
विस्फोटकों का संग्रह करना आदि शामिल
एनआईए ने दावा किया है कि आरोपी धर्म के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देने के उद्देश्य से आंतकी प्रशिक्षण देने के लिए शिविर आयोजित कर रहे थे। जांच एजेंसी ने कहा कि पीएफआई द्वारा किए गए आपराधिक हिंसक घटनाएं जैसे कॉलेज के प्रोफेसर का हाथ काटना, अन्य धर्मो को मानने वाले संगठनों से जुड़े लोगों की निर्मम हत्याएं, प्रमुख लोगों और स्थानों को निशाना बनाने के लिए विस्फोटकों का संग्रह करना आदि शामिल है।