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राज्यपाल को देना पड़ा इस्तीफा, विधायक को जाना पड़ा जेल

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मेघालय में इस साल नाबालिग से बलात्कार और सेक्स रैकेट में संलिप्तता के आरोप में जेल भेजे गए विधायक तथा राज्यपाल पर राजभवन की गरिमा को ठेस पहुंचाने के आरोप जैसे मामले छाए रहे। इस साल जहां एक नाबालिग के साथ बलात्कार करने तथा सेक्स रैकेट के आरोप में एक विधायक को जेल जाना पड़ा, वहीं राज्यपाल को अपने कार्यालय में महिलाओं को बिना रोक-टोक आने देने और राजभवन के सम्मान के ठेस पहुंचाने के आरोप में पद से इस्तीफा देना पड़ा।

मेघालय में वर्ष 2017 का आरंभ राज्यपाल शड्मुगनाथन के खिलाफ राजभवन के कर्मचारियों के विद्रोह से हुआ जिन्होंने राज्यपाल पर राजभवन की गरिमा को ठेस पहुंचाने का आरोप लगाया। राजभवन के करीब 100 कर्मचारियों ने विरोध की आवाज उठाते हुए राज्यपाल पर आरोप लगाया कि उन्होंने कई महिलाओं को सीधे अपने शयन कक्ष तक जाने की छूट दी हुई है। बाद में उन्हें पद से इस्तीफा देने को कहा गया। इस साल दो और राज्यपालों ने शपथ ली।

शड्मुगनाथन के बाद बनवारीलाल पुरोहित ने राज्यपाल पद की शपथ ली और उनके बाद गंगा प्रसाद ने राज्य के 17वें तथा पिछले पांच साल में पांचवें राज्यपाल के रूप में कार्यभार संभाला। राज्य में निर्दलीय विधायक जूलियस डोरफांग को एक नाबालिग के साथ कथित रूप से बलात्कार करने और एक सेक्स रैकेट से जुड़े होने के मामले में जेल जाना पड़ा। वर्ष की पहली तिमाही में ही पुलिस ने डोरफांग सहित 19 लोगों को पॉक्सो कानून के तहत गिरफ्तार किया था। सभी अभी तक जेल में हैं।

गुजरते साल में प्रदेश में कांग्रेस को अंदरूनी विद्रोह का सामना करना पड़ा। पूर्व उपमुख्यमंत्री रोवेल लिंगदोह और उनके कैबिनेट सहयोगियों प्रेस्टोन तिंसांग तथा एस धर सहित पार्टी के वरिष्ठ सदस्यों ने मुख्यमंत्री मुकुल संगमा के खिलाफ खुला विद्रोह कर दिया। सभी ने समवेत स्वर में कहा कि वे दोबारा कांग्रेस के टिकट पर चुनाव नहीं लड़गे और वे नेशनल पीपुल्स पार्टी में शामिल होने वाले हैं। इतना ही नहीं, इस वर्ष उच्च न्यायालय ने 2005 के कानून के तहत नियुक्त संसदीय सचिवों की नियुक्ति को अमान्य करार देकर तत्कालीन सरकार को बड़ा झटका दिया।

मेघालय संसदीय सचिवों (नियुक्ति, वेतन, भथे और विविध) कानून, 2005 को नवंबर में अवैध घोषित कर दिया गया। इसके बाद संसदीय सचिवों को अयोज्ञ घोषित करने का फैसला राज्यपाल के हाथों में आ गया। इस संबंध में अदालत में जनहित याचिका दायर करने वाले कार्यकर्ता एम। सुमेर ने इन सभी को विधायक पद से बर्खास्त करने की भी मांग की थी, हालांकि इन सभी ने अदालत का फैसला आने के साथ ही इस्तीफा दे दिया था।

नवंबर में ही उच्च न्यायालय ने कांग्रेस को दूसरा झटका देते हुए वर्ष 2009 में 15 केन्द्रों में नियुक्त शिक्षकों में से पांच केन्द्रों शिलांग, जोवई, अमलारेम, तुरा और डाडेंग्गरे में नियुक्तियों को रद्द कर दिया। सीबीआई ने इस मामले की जांच की थी और चयन प्रक्रिया में कुछ गड़बडय़रां मिलने के बाद एजेंसी को इस संबंध में प्राथमिकी दर्ज करने को कहा गया था।

सीबीआई ने यह साबित किया कि कुल 365 में से 268 नियुक्तियां अवैध तरीके से हुई हैं जिनमें शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने अभ्यर्थियों के अंकपत्रों आदि में बदलाव किया है। लेकिन राज्य सरकार ने इस संबंध में अपने रुख का बचाव किया और मुख्यमंत्री संगमा ने शिक्षा विभाग को फैसले के खिलाफ उच्चतम न्यायालय जाने को कहा।

अन्य घटनाक्रम में एक कार पर पेड़ गिरने के कारण उसमें सवार तीन लोगों की मौत के बाद उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को पेड़ की अंधाधुंध कटाई करने से रोक दिया। सरकार की मंशा शहर से करीब 550 पेड़ को काटने की थी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी साल के अंत में मेघालय गये और 271 किलोमीटर लंबे पूर्व-पश्चिम गलियारे का उद्घाटन किया। यह गलियारा गारो हिल्स में तुरा को वेस्ट खासी हिल्स के नोंगस्टोइन से जोड़ता है। राज्य में अगले वर्ष के शुरू में विधानसभा चुनाव होने हैं।

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