केंद्र सरकार ने बृहस्पतिवार को लोकसभा में कहा कि जेट एयरलाइंस का जीर्णोद्धार अब केवल ‘दिवाला एवं शोधन अक्षमता कोड’ (आईबीसी) के माध्यम से ही संभव है।
नागरिक विमानन राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) हरदीप सिंह पुरी ने निचले सदन में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में कहा कि मेसर्स जेट एयरवेज (इंडिया) के लिए निधि जुटाने में भारत सरकार की कोई भूमिका नहीं है क्योंकि यह एयरलाइन का आंतरिक मामला है।
मंत्री ने कहा कि जेट एयरवेज का परिचालन बंद होने के कारण एयरलाइन में विभिन्न श्रेणियों में काम करने वाले बहुत से कर्मचारियों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है।
उन्होंने कहा कि जेट एयरवेज का जीर्णोद्धार अब केवल दिवाला ‘दिवाला एवं शोधन अक्षमता कोड’ (आईबीसी),2016 के माध्यम से ही संभव है।
उन्होंने कहा कि जेट एयरवेज को इस संकट से उबारने के लिए 1500 करोड़ रूपये की अंतरिम निधि प्रदान करने का प्रस्ताव किया गया था। इसके लिए 1500 करोड़ रूपये में प्रमोटरों द्वारा 750 करोड़ रूपये और शेष राशि रिणदाताओं द्वारा उपलब्ध कराई जानी थी। लेकिन प्रमोटरों द्वारा अपने हिस्से की पूरी राशि मुहैया नहीं कराई गई।
इसलिए, भारतीय स्टेट बैंक(एसबीआई) की अध्यक्षता वाला रिणदाता कंसार्टियम, निर्धारित अंतरिम निधि उपलब्ध नहीं करा पाया।