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मानसिक स्वास्थ्य में भारतीय परंपरा की भूमिका को चिकित्सा पाठ्यक्रम में शामिल किया जाए : केंद्रीय मंत्री मांडविया

मानसिक स्वास्थ्य में भारतीय परंपरा की भूमिका को चिकित्सा पाठ्यक्रम में शामिल करने के विचार का केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने रविवार को समर्थन किया।

मानसिक स्वास्थ्य में भारतीय परंपरा की भूमिका को चिकित्सा पाठ्यक्रम में शामिल करने के विचार का केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने रविवार को समर्थन किया। उन्होंने इसके साथ ही राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य एवं स्नायु विज्ञान संस्थान (निमहन्स) का आह्वान किया कि वह इस विषय पर गहनता से अध्ययन करे ताकि सरकार पूरे मामले पर फैसला ले सके और नीति बना सके।
विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस के अवसर पर निमहन्स द्वारा आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘हमें मानसिक समस्याओं के इलाज के पारंपरिक तरीकों को समझने की जरूरत है। मैं विचार कर रहा हूं कि क्या हम अपने पाठ्यक्रम में मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर रखने के लिए हमारी परपंराओं की भूमिका को शामिल कर सकते हैं।

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मांडविया ने कहा कि विशेषज्ञों को पारंपरिक पारिवारिक ढांचे का अध्ययन करना चाहिए जिसके बारे में दावा किया जाता है कि उससे स्वत: मानसिक समस्याएं ठीक हो जाती हैं। उन्होंने कहा, ‘‘हमारे सभी त्योहार मानसिक इलाज का हिस्सा हैं। हमारे धार्मिक समागम और समाजिक कार्यक्रम, हमारी सुबह-शाम की प्रार्थना और हमारी आरती सभी हमारे मानसिक सेहत से जुड़े हैं। इन परंपराओं का इस्तेमाल मानसिक समस्याओं के इलाज में किया जाता है।

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स्वास्थ्य मंत्री ने शिक्षण संस्थानों की भूमिका को अहम करार देते हुए कहा कि निमहन्स को इस मुद्दे पर गहनता से अध्ययन करना चाहिए और समाधान तलाशना चाहिए ताकि सरकार निर्णय ले सके और नीति बना सके। मांडविया ने कहा कि निमहन्स को विद्यार्थियों को अनुसंधान करने का कार्य देना चाहिए, न कि उन्हें किताबों और परीक्षा उत्तीर्ण करने तक सीमित रखना चाहिए।
उन्होंने अफसोस जताया कि देश को मौजूदा शिक्षा प्रणाली से वह प्राप्त नहीं हो रहा है जो उसे मिलना चाहिए। मंत्री ने कहा, ‘‘देश को शिक्षण संस्थानों उसके शिक्षकों और अनुसंधानों से बहुत उम्मीद है क्योंकि केवल ये ही देश के विकास और भविष्य का आधार हो सकते हैं। (प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी) जी ने अनुसंधान पर जोर दिया है। हम चाहते हैं कि आपका काम राष्ट्र केंद्रित हो।’’ कर्नाटक के स्वास्थ्य मंत्री डॉ.के सुधाकर ने भी इस कार्यक्रम को संबोधित किया।

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