सरकार के द्वारा हर महीने गरीबों के लिए राशन मुहैया कराया जाता है। और इसके लिए सरकार ने देश में इनका लाभ लेने के लिए नियम तय कर रखे हैं। जो सरकार के इन नियमों के अंतर्गत आते हैं उन्हें सरकार के द्वारा हर महिने राशन मुहैया करवाया जाता है और अब गरीबों के राशन को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने केन्द्र सरकार से जवाब मांगा है। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को केंद्र सरकार को यह बताने के लिए कहा है कि 28.55 करोड़ पंजीकृत श्रमिकों में से कितने के पास राशन कार्ड है और राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत भोजन का लाभ प्राप्त कर रहे हैं?
सुप्रीम कोर्ट ने केन्द्र से मांगा जवाब
आपको बता दें कि जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस बीवी नागरत्ना की पीठ ने केंद्र से यह विवरण देने को कहा कि 28.55 करोड़ पंजीकृत श्रमिकों में से कितने के पास राशन कार्ड हैं और क्या उन्हें राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत भोजन का लाभ दिया जा रहा है। शीर्ष अदालत ने मामले को 20 फरवरी को आगे की सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि केवल पंजीकरण ही इस मामले के लिए पर्याप्त नहीं है। अदालत ने कहा कि यह निश्चित है कि केंद्र ने राज्यों के साथ ई-श्रम पोर्टल पर एकत्र किए गए डेटा को साझा किया होगा।
श्रमिकों के लिए बनाई गई योजनाएं
कोर्ट ने राज्यों को प्रवासी श्रमिकों के बारे में डेटा साझा करने के लिए कहा ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि संबंधित कार्यकर्ताओं को लाभ उपलब्ध करा दिया गया है, जो कि योजनाओं का उद्देश्य है। अदालत ने टिप्पणी की कि केंद्र और राज्यों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि सभी अनधिकृत श्रमिकों के लिए बनाई गई योजनाएं उन्हें दी जाती हैं।
ईश्रम पोर्टल पर मौजूद डेटा का इस्तेमाल
कोर्ट ने कहा कि ईश्रम पोर्टल पर मौजूद डेटा का इस्तेमाल अब उनके फायदे के लिए किया जाना चाहिए। कोर्ट ने यह भी कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि कई राज्यों की ओर से वकील पेश नहीं हुए।कोर्ट ने इन राज्यों के वकीलों को सुनवाई की अगली तारीख पर उपस्थित रहने के लिए कहा गया है। सुप्रीम कोर्ट प्रवासी मजदूरों की समस्याओं और दुखों पर अपने फैसले के अनुपालन से जुड़े मामले की सुनवाई कर रहा था।