देश की विभिन्न अदालतों में केसों का लगा हुआ है अंबार, विपक्ष ने राज्यसभा में उठाया मुद्दा - Latest News In Hindi, Breaking News In Hindi, ताजा ख़बरें, Daily News In Hindi

लोकसभा चुनाव 2024

पहला चरण - 19 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

102 सीट

दूसरा चरण - 26 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

89 सीट

तीसरा चरण - 7 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

94 सीट

चौथा चरण - 13 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

96 सीट

पांचवां चरण - 20 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

49 सीट

छठा चरण - 25 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

सातवां चरण - 1 जून

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

तीसरा चरण - 7 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

94 सीट

देश की विभिन्न अदालतों में केसों का लगा हुआ है अंबार, विपक्ष ने राज्यसभा में उठाया मुद्दा

राज्यसभा में सोमवार को विभिन्न दलों के सदस्यों ने देश की अदालतों विशेषकर निचली अदालतों में लाखों मामलों का अंबार लगे होने पर गहरी चिंता जताई।

देश की अदालतों में करोड़ों मामले लंबित पड़े हुए है, जिसके पीछ कई तरह के कारण है। ऐसे में यह गंभीर मुद्दा संसद के उच्च सदन राज्यसभा में सोमवार को विभिन्न दलों के सदस्यों ने देश की अदालतों विशेषकर निचली अदालतों में लाखों मामलों का अंबार लगे होने पर गहरी चिंता जताते हुए सरकार से कहा कि इनके शीघ्र निस्तारण के लिए समुचित कदम उठाये जाने चाहिए ताकि लोगों को समय पर न्याय पाने का अधिकार सुनिश्चित हो सके। सदस्यों ने न्यायाधीशों के रिक्त पदों को शीघ्रता के आधार पर भरे जाने की जरूरत पर भी बल दिया। 
कांग्रेस सांसद ने कहा- आज देश में लाखों मुकदमे लंबित पड़े हैं 
कांग्रेस की अमी याज्ञनिक ने उच्च न्यायालय एवं उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश (वेतन एवं सेवा शर्तें) संशोधन विधेयक, 2021 पर उच्च सदन में हुयी चर्चा में भाग लेते हुए कहा कि आज देश में लाखों मुकदमे लंबित पड़े हैं, विशेषकर निचली अदालतों में। देश के कारागारों में हजारों लोग विचाराधीन कैदी के रूप में बंद हैं क्योंकि उनके मामलों की सुनवाई अदालत में काफी समय से लंबित है। 
न्याय ही सत्य है और हर व्यक्ति को न्याय पाने का अधिकार है 
उन्होंने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के उस बात की ओर सदन का ध्यान दिलाया जिसमें उन्होंने कहा कि न्याय ही सत्य है और हर व्यक्ति को न्याय पाने का अधिकार है। उन्होंने कहा कि सरकार को बताना चाहिए कि वह अदालतों में मामलों के अंबार के बारे में क्या सोचती है? उन्होंने सरकार से सवाल किया कि न्यायपालिका में विभिन्न स्तरों पर न्यायाधीशों की जो कमी है, उसे दूर करने के लिए वह क्या कर रही है। 
कांग्रेस सदस्य ने कहा कि सदन में जहां न्यायपालिका और न्याय की बात हो रही है, ‘‘वहीं हमारे 12 निलंबित सदस्य धरना दे रहे हैं।’’ उन्होंने कहा कि ऐसे में न्याय पर चर्चा करना समुचित होगा? 
उल्लेखनीय है कि पूरे शीतकालीन सत्र के लिए निलंबित किए जाने के बाद 12 विपक्षी सदस्य संसद परिसर में महात्मा गांधी की प्रतिमा के समक्ष धरना दे रहे हैं। इनका धरना प्रतिदिन सदन शुरू होने से सदन की बैठक स्थगित होने तक चलता है।उन्होंने कहा कि न्यायाधीशों की आयु में ढील दी जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश काफी अनुभवी होते हैं। उनकी सेवानिवृत्ति की आयु को बढ़ाया जाना चाहिए। कांग्रेस सदस्य ने आरोप लगाया कि कानून मंत्रालय इन मुद्दों पर कोई ध्यान नहीं देता।  
न्यायाधीशों की कमी हो तो ऐसे में न्याय से गरिमा कैसे प्रदान की जा सकती है 
याज्ञनिक ने कहा कि उन्हें मौजूदा संशोधन विधेयक पर कोई आपत्ति नहीं है और इसके प्रावधानों को लागू होना चाहिए। उन्होंने कहा कि न्याय का मतलब गरिमा प्रदान करना होता है। उन्होंने कहा कि जब जिला अदालतों में बुनियादी ढांचा भी नहीं हो, मामलों का अंबार लगा हो, न्यायाधीशों की कमी हो तो ऐसे में न्याय से गरिमा कैसे प्रदान की जा सकती है। भाजपा के रामकुमार वर्मा ने चर्चा में भाग लेते हुए कहा कि देश की विभिन्न अदालतों में साढ़े चार करोड़ से अधिक मामले लंबित हैं। उन्होंने कहा कि देर से न्याय मिलने का अर्थ है, न्याय से वंचित करना। 
इसमें धर्म का कोई भेदभाव नहीं किया गया 
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संविधान को नमन कर समाज के पिछड़े और गरीब वर्ग को सामाजिक न्याय दिलाने के प्रति अपनी पूर्ण प्रतिबद्धता व्यक्त की थी। उन्होंने कहा कि डिजिटल माध्यम पर जोर देकर मोदी सरकार ने समाज के पिछड़े वर्ग को सामाजिक न्याय एवं आर्थिक न्याय प्रदान करने की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उन्होंने कहा कि इसमें धर्म का कोई भेदभाव नहीं किया गया। 
भारत में भी न्यायाधीशों की सेवानिवृत्ति की आयु बढ़नी चाहिए 
द्रमुक के पी विलसन ने विधेयक का समर्थन किया और कहा कि उच्च न्यायालयों में करीब 57 लाख मामले और उच्चतम न्यायालय में करीब 75 हजार मामले लंबित हैं। उन्होंने कहा कि ब्रिटेन सहित कई देशों में न्यायाधीशों की सेवानिवृत्ति की आयु 70 वर्ष से अधिक है। उन्होंने कहा कि भारत में भी न्यायाधीशों की सेवानिवृत्ति की आयु बढ़नी चाहिए।  
भारत में कोई एसटी प्रधान न्यायाधीश नहीं बन पाया है 
उन्होंने कहा कि उच्च न्यायापालिका में न्यायाधीशों में अनुसचित जाति (एससी) एवं अनुसूचित जनजाति (एसटी) के सदस्यों तथा महिलाओं की काफी कमी है। उन्होंने कहा कि आज तक भारत में कोई एसटी प्रधान न्यायाधीश नहीं बन पाया है। विलसन ने कहा कि सरकार को संविधान संशोधन लाकर न्यायापालिका में विविधता के जरिए सामाजिक न्याय सुनिनिश्चत करना चाहिए ताकि समाज के सभी वर्गों को समुचित प्रतिनिधित्व मिल सके। उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय की क्षेत्रीय पीठ गठित करनी चाहिए तथा संसद की स्थायी समिति ने भी इस सुझाव का समर्थन किया है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

eleven − six =

पंजाब केसरी एक हिंदी भाषा का समाचार पत्र है जो भारत में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली के कई केंद्रों से प्रकाशित होता है।