लोकसभा चुनाव 2024

पहला चरण - 19 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

102 सीट

दूसरा चरण - 26 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

89 सीट

तीसरा चरण - 7 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

94 सीट

चौथा चरण - 13 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

96 सीट

पांचवां चरण - 20 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

49 सीट

छठा चरण - 25 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

सातवां चरण - 1 जून

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

लोकसभा चुनाव पहला चरण - 19 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

102 सीट

लोकसभा चुनाव 2019 के छठे चरण में 14 सीटें हैं काफी अहम !

लोकसभा चुनावों के छठे चरण के 7 राज्यों की 59 सीटों के लिए रविवार सुबह मतदान शुरू हो चुका है। इनमें देशभर की 14 सीटें काफी महत्वपूर्ण मानी जा रही हैं।

लोकसभा चुनावों के छठे चरण के 7 राज्यों की 59 सीटों के लिए रविवार सुबह मतदान शुरू हो चुका है। इनमें देशभर की 14 सीटें काफी महत्वपूर्ण मानी जा रही हैं। इन राज्यों के 10.17 करोड़ से अधिक मतदाता आज 12 मई को ईवीएम का बटन दबाकर 979 उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला करेंगे। उत्तर प्रदेश में 14, हरियाणा में 10, पश्चिम बंगाल, बिहार और मध्य प्रदेश में आठ-आठ, दिल्ली में सात और झारखंड में चार सीटों के लिए मतदान हो रहा है।

Voting

छठे चरण में ये 14 सीटें हैं काफी अहम !

मुरैना (मध्य प्रदेश) : 

प्रमुख उम्मीदवार : नरेंद्र सिंह तोमर, (भाजपा), राम निवास रावत (कांग्रेस)।

मुख्य कारक और मुद्दे : पूर्व सांसद अनूप मिश्रा और अशोक अर्गल का टिकट कट गया। इस बार केंद्रीय मंत्री तोमर को मुरैना से उम्मीदवार बनाया गया है। वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के अनूप मिश्रा ने कांग्रेस के बृंदावन सिंह सिकरवार को 132,981 मतों के अंतर से हराया था। वर्ष 2009 में तोमर ने रावत को एक लाख से ज्यादा मतों से मात दी थी। सन् 1996 से पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की जन्मस्थली मुरैना ने लगातार भाजपा को वोट दिया है।

गुना (मध्य प्रदेश) : 

प्रमुख उम्मीदवार : ज्योतिरादित्य सिंधिया (कांग्रेस), के.पी. यादव (भाजपा)।

Jyotiraditya Scindia

मुख्य कारक और मुद्दे : वर्ष 2002 से लगातार गुना सीट का प्रतिनिधित्व कर रहे सिंधिया एक बार फिर यहां से सांसद बनने की जुगत में हैं। वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस प्रदेश की जिन दो सीटों पर जीत दर्ज करने में कामयाब रही, वे हैं गुना और छिंदवाड़ा। यादव वर्ष 2018 तक सिंधिया के भरोसेमंद सहयोगी रहे। उपचुनाव में कांग्रेस द्वारा टिकट देने से मना करने के बाद इस साल की शुरुआत में उन्होंने भाजपा का दामन थाम लिया।

भोपाल (मध्य प्रदेश) :

 प्रमुख उम्मीदवार : दिग्विजय सिंह (कांग्रेस), साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर (भाजपा)।

digvijay_Sadhvi

मुख्य कारक और मुद्दे : वर्ष 2008 के मालेगांव बम विस्फोट मामले की आरोपी प्रज्ञा को उम्मीदवार बनाए जाने से भोपाल सीट काफी सुर्खियों में है। प्रज्ञा का मुकाबला दिग्गज कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह से है। दिग्विजय सिंह ने भी ‘नरमपंथी हिंदुत्व’ कार्ड खेला है। उन्होंने कंप्यूटर बाबा (नामदेव दास त्यागी) और साधु-संतों को अपने पक्ष में कर रोड-शो कराया। कंप्यूटर बाबा ने ‘हठ योग’ किया। वहीं, प्रज्ञा ठाकुर ने जेल में मिली कथित यातना का जिक्र कर मतदाताओं से सहानुभूति लेने की कोशिश की है। भोपाल वर्ष 1989 से ही भाजपा का गढ़ रहा है।

 सुल्तानपुर (उत्तर प्रदेश) : 

प्रमुख उम्मीदवार : मेनका गांधी (भाजपा), संजय सिंह (कांग्रेस)

Maneka Gandhi

मुख्य कारक और मुद्दे : सुल्तानपुर में केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी और कांग्रेस के संजय सिंह के बीच करीबी मुकाबला है। 2014 में यह सीट मेनका के बेटे वरुण गांधी ने जीती थी। कभी कांग्रेस का गढ़ रहे सुल्तानपुर निर्वाचन क्षेत्र में भाजपा ने पहली बार वर्ष 1991 में जीत का स्वाद चखा था। साल 1951 में पहला लोकसभा चुनाव होने के बाद से कांग्रेस ने सात बार सुल्तानपुर सीट अपने नाम किया है, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने चार बार और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने दो बार यह सीट जीती है।

इलाहाबाद (उत्तर प्रदेश) : 

प्रमुख उम्मीदवार : रीता बहुगुणा जोशी (भाजपा), राजेंद्र प्रताप सिंह (सपा), योगेश शुक्ला (कांग्रेस)।

Rita Bahuguna Joshi

मुख्य कारक और मुद्दे : भाजपा के दिग्गज नेता मुरली मनोहर जोशी की विरासत को आगे बढ़ाने के लिए रीता बहुगुणा जोशी के लिए यह चुनाव काफी चुनौतीपूर्ण है। मुरली मनोहर जोशी की बढ़ती उम्र को देखते हुए उन्हें टिकट देने से मना कर दिया गया। रीता के पिता हेमवतीनंदन बहुगुणा 1971 में यहां से चुने गए थे। इस प्रतिष्ठित लोकसभा सीट से पूर्व प्रधानमंत्रियों लालबहादुर शास्त्री और वी.पी. सिंह, सपा के जनेश्वर मिश्र और बॉलीवुड के महानायक अमिताभ बच्चन निर्वाचित हो चुके हैं।

आजमगढ़ (उत्तर प्रदेश) : 

प्रमुख उम्मीदवार : अखिलेश यादव (सपा), दिनेश लाल यादव ‘निरहुआ’ (भाजपा)।

akhilesh yadav

 मुख्य कारक और मुद्दे : समाजवादी पार्टी (सपा) का गढ़ माने जाने वाले आजमगढ़ में यादव बनाम या यादव का मुकाबला देखने को मिल रहा है। मतदाताओं ने यहां 16 आम चुनावों और दो उपचुनावों में 18 सांसद चुने हैं। 18 में से 12 सासंद यादव रहे हैं। वर्ष 2014 में यहां से समाजवादी पार्टी के संरक्षक मुलायम सिंह यादव सांसद बने। आजमगढ़ लोसकभा सीट पर जातीय समीकरण यादवों के पक्ष में रहे हैं, जहां सवर्ण जातियों का 2.90 लाख वोट, ओबीसी का 6.80 लाख, दलित का 4.50 लाख और अल्पसंख्यक का 3.10 लाख हैं।

पूर्वी चंपारण (बिहार) :

 प्रमुख उम्मीदवार : राधा मोहन सिंह (भाजपा), आकाश सिंह (रालोसपा)

मुख्य कारक और मुद्दे : केंद्रीय कृषि मंत्री राधामोहन सिंह, जो मोतिहारी के रूप में जाने जाने वाले पूर्वी चंपारण से पांचवीं बार सांसद बने। इस बार उन्होंने घोषणा की है कि यह उनका आखिरी चुनाव होगा। उनके खिलाफ राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (रालोसपा) के 27 वर्षीय आकाश सिंह खड़े हैं, जिन्हें ‘महागठबंधन’ ने समर्थन दिया है। वह राज्यसभा सदस्य अखिलेश प्रसाद सिंह के बेटे हैं जिन्होंने 2004 के लोकसभा चुनाव में राधा मोहन सिंह को मात दी थी।

हिसार (हरियाणा) : 

प्रमुख उम्मीदवार : दुष्यंत चौटाला (जननायक जनता पार्टी), भव्य बिश्नोई (कांग्रेस), बृजेंद्र सिंह (भाजपा)।

Dushyant Chautala

मुख्य कारक और मुद्दे : हिसार में तीन राजनीतिक परिवारों का दिलचस्प त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिल रहा है। जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) के दुष्यंत चौटाला फिर से इस सीट पर काबिज होने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। भव्य बिश्नोई दिवंगत नेता व तीन बार मुख्यमंत्री रह चुके भजनलाल के पोते हैं, जबकि बृजेंद्र सिंह केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह के बेटे हैं।

रोहतक (हरियाणा) :

 प्रमुख उम्मीदवार : दीपेंद्र सिंह हुड्डा (कांग्रेस), अरविंद शर्मा (भाजपा), धर्मवीर (इंडियन नेशनल लोकदल)।

 मुख्य कारक और मुद्दे : जाट बहुल आबादी वाले रोहतक में कांग्रेस और भाजपा में सीधा मुकाबला देखने को मिल रहा है भले ही यहां से बसपा के किशन लाल और इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) के धर्मवीर सहित 18 उम्मीदवार मैदान में हैं। झज्जर और रेवाड़ी जिलों के कुछ हिस्सों को शामिल करने वाला रोहतक संसदीय क्षेत्र परंपरागत रूप से जाट उम्मीदवारों के पक्ष में रहा है, लेकिन भाजपा ने ब्राह्मण चेहरे को चुना है। यह संसदीय क्षेत्र कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा और उनके सांसद पुत्र दीपेंद्र सिंह हुड्डा का गढ़ है। कांग्रेस ने यहां 17 में से 11 बार लोकसभा चुनाव जीते हैं। 41 साल के दीपेंद्र सिंह हुड्डा 2014 में मोदी लहर के हरियाणा से जीतने वाले एकमात्र कांग्रेस नेता थे।

 सोनीपत (हरियाणा) : 

प्रमुख उम्मीदवार : भूपिंदर सिंह हुड्डा (कांग्रेस), रमेश चंद्र कौशिक (भाजपा), दिग्विजय चौटाला (जेजेपी), सुरेंद्र छिकारा (इनेलो)।

 मुख्य कारक और मुद्दे : इस जाट बहुल संसदीय क्षेत्र में त्रिकोणीय मुकाबला देखा जा रहा है। कौशिक को छोड़कर, सभी चार मुख्य उम्मीदवार जाट समुदाय के हैं, जिसके पास 15 लाख से अधिक वोट हैं। इस निर्वाचन क्षेत्र में नौ विधानसभा सीटों में से पांच हुड्डा के वफादारों के पास हैं, जो उम्मीदवार को लेकर खींचतान को निर्धारित करने में एक महत्वपूर्ण कारक थे। जेजेपी के उम्मीदवार दिग्विजय चौटाला जींद जिले में पड़ने वाले तीन विधानसभा क्षेत्रों पर काफी हद तक निर्भर है। वहीं, भाजपा प्रत्याशी अपनी सोनीपत और जींद विधानसभा क्षेत्रों में शहरी निर्वाचन क्षेत्र पर बहुत अधिक निर्भर करता है।

उत्तर-पूर्वी दिल्ली (दिल्ली) :

 प्रमुख उम्मीदवार : मनोज तिवारी (भाजपा), शीला दीक्षित (कांग्रेस), दिलीप पांडे (आप)।

manoj-tiwari

मुख्य कारक और मुद्दे : उत्तर पूर्वी दिल्ली निर्वाचन क्षेत्र कांग्रेस और भाजपा दोनों के लिए प्रतिष्ठित सीट के रूप में उभरा है, जहां तीन बार मुख्यमंत्री रह चुकीं शीला दीक्षित का मुकाबला दिल्ली भाजपा अध्यक्ष मनोज तिवारी के साथ है। आम आदमी पार्टी (आप) के दिलीप पांडे इस मुकाबले को त्रिकोणीय बना रहे हैं।

चांदनी चौक (दिल्ली) : 

प्रमुख उम्मीदवार : हर्षवर्धन (भाजपा), जय प्रकाश अग्रवाल (कांग्रेस), पंकज गुप्ता (आप)।

मुख्य कारक और मुद्दे : चांदनी चौक व्यापारी समुदाय बहुल क्षेत्र हैं जिसमें शहर के सबसे बड़े थोक बाजार हैं। विपक्ष जीएसटी, सीलिंग और नोटबंदी को प्रमुख मुद्दा बनाने की कोशिश कर रहा है। हर्षवर्धन समाज के सभी वर्गो से अपील कर रहे हैं। साथ ही लोगों के मन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए काफी सम्मान है, जबकि अग्रवाल स्थानीय व्यापारी समुदाय से पुराने संबंधों और मुस्लिम वोटरों का कांग्रेस के प्रति झुकाव को भुनाने की कोशिश में लगे हैं। गुप्ता को दिल्ली सरकार द्वारा लॉन्च की गई योजनाओं का लाभ मिलने और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की लोकप्रियता से लाभ मिलने की उम्मीद है।

पूर्वी दिल्ली (दिल्ली) : 

मुख्य उम्मीदवार : गौतम गंभीर (भाजपा), आतिशी (आप), अरविंदर सिंह लवली (कांग्रेस)।

Atishi_Gautam

मुख्य कारक और मुद्दे : भाजपा मोदी की लोकप्रियता और गंभीर के स्टार इमेज पर भरोसा कर रही है, जबकि आप मतदाताओं और केजरीवाल के करिश्मे और आतिशी के व्यक्तिगत रूप से मतदाताओं के साथ जुड़वा पर निर्भर है। वहीं, कांग्रेस भाजपा और आप दोनों उम्मीदवारों को ‘राजनीतिक पर्यटक’ और ‘बाहरी’ कह रही है, क्योंकि वे पूर्वी दिल्ली से नहीं हैं।

 दक्षिण दिल्ली (दिल्ली) : 

प्रमुख उम्मीदवार : रमेश बिधूड़ी (भाजपा), विजेंद्र सिंह (कांग्रेस), राघव चड्ढा (आप)।

 मुख्य कारक और मुद्दे : जाट और गुर्जर व पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार के रहने वाले पूर्वाचलियों के साथ यहां 20.67 लाख मतदाता हैं। उम्मीदवार चुनाव जीतने के लिए इन समुदायों को अपने पक्ष में करने की कोशिश कर रहे हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

20 − 18 =

पंजाब केसरी एक हिंदी भाषा का समाचार पत्र है जो भारत में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली के कई केंद्रों से प्रकाशित होता है।