बेटी के साथ दुष्कर्म के जुर्म में पिता को मिली उम्रकैद की सजा

Thiruvananthapuram
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Thiruvananthapuram: केरल की एक अदालत ने एक व्यक्ति को छह साल की अपनी बेटी के साथ बार-बार  दुष्कर्म करने के जुर्म में उम्रकैद की तीन अलग-अलग सजा सुनायी हैं।

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पिता ने की बेटी के साथ किया दुष्कर्म

पिता को तिहरे आजीवन कारावास की सजा

वारदात जुलाई 2023 में हुई थी

केरल की एक अदालत ने एक व्यक्ति को छह साल की अपनी बेटी के साथ बार-बार बलात्कार करने के जुर्म में उम्रकैद की तीन अलग-अलग सजा सुनायी हैं।तिरुवनंतपुरम की त्वरित विशेष अदालत की न्यायाधीश आर रेखा ने अभियुक्त को बाल यौन अपराध संरक्षण अधिनियम (पोक्सो) कानून की तीन धाराओं के तहत उम्रकैद की तीन अलग-अलग सजा सुनायीं।

पिता को तिहरे आजीवन कारावास की सजा

अभियुक्त को सजा सुनाये जाने की पुष्टि करते हुए विशेष सरकारी वकील आर एस विजय मोहन ने मंगलवार को बताया कि अभियुक्त को बाल यौन अपराध संरक्षण अधिनियम तथा भादंसं के विभिन्न प्रावधानों के तहत अलग-अलग अवधियों के लिए कैद की अतिरिक्त सजा भी सुनायी गयी है जो कुल 21 साल है।

उन्होंने कहा कि अदालत ने 40 वर्षीय अभियुक्त पर 90,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया।उन्होंने कहा कि कैद की विभिन्न सजा साथ साथ चलनी हैं इसलिए उसे ताउम्र कैद में रहना होगा। इसके साथ ही सरकारी वकील के अनुसार अपने आदेश में अदालत ने टिप्पणी की कि वह पितृत्व से जुड़े विश्वास पर धब्बा है।

पिता ने घृणतम अपराध किया

यह वारदात जुलाई 2023 में हुई थी जब बच्ची की मां खाड़ी क्षेत्र में काम रही थी और बच्ची अपने पिता एवं नानी के घर में रह रही थी।सरकारी वकील के अनुसार जब बच्ची अपने पिता के पास रह रही थी तब उसके साथ बलात्कार किया गया।मोहन के मुताबिक बच्ची का कहना है कि उसका पिता उसे मोबाइल पर कुछ दिखाने का वादा कर एक कमरे में ले जाता था और फिर उसके साथ बलात्कार करता था। जब बच्ची को गुप्तांग में दर्द होने लगा तब उसने अपनी नानी को यह बात बतायी और फिर उसकी नानी उसे डॉक्टर के पास ले गयी।

सरकारी वकील के अनुसार बच्ची ने डॉक्टर को आपबीती बतायी और फिर डॉक्टर के निर्देश पर पुलिस को सूचित किया गया एवं मामला दर्ज किया गया।सरकारी वकील के मुताबिक इस मामले में 29 मार्च, 2024 को सुनवाई शुरू हुई थी और एक महीने में सुनवाई पूरी हो गयी।

आदालत ने क्या कहा ?

अदालत ने कहा कि जिस पिता से बेटी की सुरक्षा की आस होती है, उसी ने यह घृणतम अपराध किया। मोहन के अनुसार अदालत ने यह भी कहा कि ऐसी करतूत को कभी सही नहीं ठहराया जा सकता क्योंकि ऐसे अपराध के जरिए बच्ची का बचपन छिन गया।

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