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दशक का अंतिम सूर्य ग्रहण हजारों लोगों ने देखा, उत्तर भारत में बादल बने बाधक

दशक का अंतिम सूर्य ग्रहण बृहस्पतिवार को पड़ा जब पृथ्वी और सूर्य के बीच चंद्रमा के आ जाने से वलयाकृति में सूर्य का एक हिस्सा दिखाई दिया जिसे रिंग ऑफ फायर भी कहते हैं।

दशक का अंतिम सूर्य ग्रहण बृहस्पतिवार को पड़ा जब पृथ्वी और सूर्य के बीच चंद्रमा के आ जाने से वलयाकृति में सूर्य का एक हिस्सा दिखाई दिया जिसे रिंग ऑफ फायर भी कहते हैं। देशभर में हजारों लोगों ने इस खगोलीय घटना को देखा, हालांकि उत्तर भारत में बादल छाये रहने की वजह से अधिकतर लोग ग्रहण नहीं देख पाए। 
जब पृथ्वी और सूर्य के बीच चंद्रमा आया और तीनों एक सीध में आ गये, देशभर में छतों, समुद्र तटों और अन्य खुले स्थानों पर एवं तारामंडलों में ग्रहण का नजारा देखने के लिए लोग जमा होने लगे। 
देश के कई हिस्सों, खासकर उत्तर भारत में बादल और कोहरा छाये रहने की वजह से लोग ग्रहण का नजारा नहीं देख सके। केरल के कोझिकोड समेत दक्षिण भारत में लोगों ने साफ आसमान में इस ब्रह्मांडीय घटना का दीदार किया। 
पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के अनुसार सुबह आठ बजे ग्रहण का आंशिक चरण शुरू हुआ और सुबह 9:06 बजे वलयाकार चरण में यह ग्रहण पहुंचा। वलयाकार चरण दोपहर 12:29 बजे समाप्त हुआ, वहीं आंशिक चरण दोपहर 1:36 बजे समाप्त हुआ। 
वलयाकृति में सूर्य ग्रहण उस समय होता है जब चांद पूरी तरह से सूर्य को ढक नहीं पाता और सूर्य को चंद्रमा के चारों ओर ‘रिंग ऑफ फायर’ के रूप में देखा जा सकता है। 
पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय ने पिछले सप्ताह कहा था कि आंशिक ग्रहण के सर्वोच्च स्तर पर सूर्य ग्रहण बेंगलुरू में करीब 90 प्रतिशत रहेगा, वहीं चेन्नई में 85 प्रतिशत, मुंबई में 79 प्रतिशत, कोलकाता में 45 प्रतिशत, दिल्ली में 45 प्रतिशत, पटना में 42 प्रतिशत, गुवाहाटी में 33 प्रतिशत, पोर्ट ब्लेयर में 70 प्रतिशत और सिलचर में 35 प्रतिशत दिखाई देगा। 
इस बार भी ग्रहण के दौरान अंतरिक्ष विज्ञान तथा धार्मिक आस्थाओं एवं मिथकों का संगम रहा। 
केरल में सबरीमला स्थित प्रसिद्ध भगवान अयप्पा मंदिर, तिरुवनंतपुरम में पद्मनाभ स्वामी मंदिर और गुरुवयूर में भगवान कृष्ण मंदिर समेत विभिन्न मंदिर सूर्य ग्रहण के कारण बंद रहे और शुद्धिकरण की प्रक्रिया के बाद खुले। 
भोपाल की मोटी मस्जिद में मुस्लिम धर्मावलंबियों ने सूर्य ग्रहण के दौरान नमाज-ए-कुसुफ पढ़ी। 
पौराणिक मान्यताओं के अनुरूप देश के विभिन्न हिस्सों में हजारों लोगों ने सर्द मौसम में भी पवित्र नदियों में डुबकी लगाई। वहीं तारामंडलों एवं अन्य विभिन्न खुले स्थानों पर छात्रों, वैज्ञानिकों तथा आकाशीय घटनाक्रम में रुचि रखने वाले लोग इस खगोलीय घटना का दीदार करने के लिए कतार में लगे दिखाई दिये।
 
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बृहस्पतिवार को कहा कि वह राष्ट्रीय राजधानी में आसमान में बादल छाए रहने के कारण सूर्य ग्रहण नहीं देख सके लेकिन उन्होंने कोझिकोड और अन्य हिस्सों से लाइव स्ट्रीम के जरिए इसकी झलक देखी। 
प्रधानमंत्री ने अपनी कुछ तस्वीरें भी पोस्ट कीं जिनमें वे सूर्य को देखने की कोशिश करते दिखाई दे रहे हैं। 
मोदी ने ट्वीट किया, ‘‘कई भारतीयों की तरह मैं भी सूर्य ग्रहण देखने के लिए उत्सुक था। दुर्भाग्यवश, बादल छाये होने के कारण मैं सूर्य ग्रहण नहीं देख सका लेकिन मैंने लाइव स्ट्रीम के जरिए कोझिकोड और अन्य हिस्सों में सूर्य ग्रहण की झलक देखीं।’’ 
प्रधानमंत्री ने कहा कि उन्होंने विशेषज्ञों से बात कर इस विषय पर अपना ज्ञानवर्द्धन किया। 
जब एक ट्विटर यूजर ने मोदी की उस तस्वीर को पोस्ट किया जिसमें वह सूर्य की ओर देख रहे हैं और कहा कि यह तस्वीर ‘मीम’ बन रही है तो मोदी ने इस बात को मजाक में लेते हुए कहा, ‘‘आपका स्वागत है… आनंद लीजिए।’’ 
पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय ने लोगों को नंगी आंखों से ग्रहण नहीं देखने की सलाह दी थी। 
मुंबई स्थित नेहरू तारामंडल के निदेशक अरविंद परांजपे के अनुसार 600 से अधिक लोगों ने एक प्रोजेक्शन बॉक्स के माध्यम से ग्रहण देखा। 
परांजपे स्वयं मुंबई के अंतरिक्षविज्ञानियों के उस समूह का हिस्सा थे जिसने एक विमान से ग्रहण देखा। 
पुणे के संगठन ‘ज्योतिर्विद्या प्रतिष्ठान’ ने कहा कि संगठन ने शहर के जेड ब्रिज पर दूरबीन लगाई लेकिन बादल होने की वजह से ग्रहण नहीं देखा जा सका। 
कर्नाटक के कलबुर्गी जिले के एक गांव में अंधविश्वास को बल देती घटना सामने आई जहां सूर्य ग्रहण के समय चार बच्चों को उनकी विकलांगता दूर करने के लिये गले तक कीचड़ में खड़ा कर दिया गया। 
एक ओर जहां देश के अधिकतर हिस्से सूर्य ग्रहण के गवाह बने, वहीं दूसरी ओर सुल्तानपुर गांव में बच्चों के माता-पिता ने उनकी दिव्यांगता को दूर करने के लिये उन्हें कीचड़ में गले तक खड़ा कर दिया। 
अधिकारियों ने बताया कि पुलिस और जिला प्रशासन घटना की जानकारी मिलते ही घटनास्थल पर पहुंचे। 
उन्होंने कहा कि अधिकारियों ने कुछ स्थानीय लोगों के साथ बच्चों को बाहर निकाला। मामले की जांच चल रही है। 
एक बच्ची के पिता ने कहा, ‘‘हम उसी का अनुसरण कर रहे थे जो हमारे बड़ों ने हमें बताई, जब चिकित्सा उपचार से कोई फायदा नहीं हुआ तो हमने इसे आजमाने का फैसला किया… हमें नहीं पता कि इससे हमारा बच्चा ठीक होगा या नहीं। चिकित्सा उपचार से कोई मदद नहीं मिली तो हम इसे आजमाना चाहते थे।’’ 
अधिकारियों ने कहा कि पहले भी सूर्य ग्रहण के दौरान इलाके से ऐसी ही घटनाओं की खबरें मिलती रही हैं। बहरहाल, पहले के मुकाबले अब इनकी तादाद कम हो गई है। 
तमिलनाडु में विभिन्न स्थानों पर सूर्य ग्रहण देखने को मिला और सैकड़ों लोगों ने यह नजारा देखा। धार्मिक मान्यता के कारण सूर्य ग्रहण के दौरान राज्य में कई मंदिर बंद रहे। 
चेन्नई, तिरुचिरापल्ली, उदगमंडलम और मदुरै समेत राज्य के विभिन्न हिस्सों में साल का आखिरी सूर्य ग्रहण साफ दिखाई दिया। 
कोयंबटूर और इरोड से मिली खबरों के अनुसार वहां बादल छाए होने के कारण ग्रहण अच्छी तरह दिखाई नहीं दिया। 

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