लुधियाना : सात दिन के लंबे इंतजार के बाद भी लापता तीन फायरकर्मियों का कोई पता नहीं लग पाया है। दिन रात फायर कर्मियों के परिजन उनके इंतजार में राह देखते रहे। परंतु उनके शव तो क्या उनकी राख तक भी परिजनों को नसीब न हो सकी। रविवार को राहत एवं बचाव कार्य संपन्न हो गया तो कार्य बंद करनी की घोषणा कर दी गई। यह सुन कर अपने बच्चों का इंतजार कर रहे परिजन सन्न रह गए और उनकी आंखे नम हो गई। जिससे परिजनों में मायुसी के साथ साथ रोष भी दिखा।
गौर हो कि चीमा चौक स्थित सूफिया चौक में फैक्ट्री में लगी आग के बाद बिल्डिंग गिरने से कई लोगो की जाने चली गई। जिसमें नौ फायरकर्मी भी मौजूद थे। 13 लोगों की लाशे मिली परंतु तीन लोगों का अभी तक कोई भी पता नहीं लग पाया है। परिजनों के मन में यहीं सवाल बार बार आ रहा था कि वह घर जा बेटे की मां को क्या जवाब देंगे जोकि इन बातों से अंजान है। पुलिस ने तीनों फायर कर्मियों के बयान दर्ज कर लिए हैं। ताकि आगे की कार्रवाई की जा सकें।
फायर विभाग में नौकरी करने के लिए छोड़े थे पुलिस के ट्रायल
मनप्रीत (25) के पिता मलकीत सिंह ने बताया कि वह सिहरा गांव के रहने वाले है। मनप्रीत को फायर विभाग में नौकरी करने का शौक था। परंतु वह चाहते थे कि वह पुलिस आफसर बने। मनप्रीत पुलिस के ट्रायल देने के लिए भी गया था। परंतु जानबुझ कर क्लीयर नहीं किया। क्योंकि वह फायर विभाग में जाना चाहता था। 8 अक्तूबर 2016 को विभाग में कच्चे तौर पर ज्वाइनिंग की। 6 महीने पहले भी आग बुझाके समय उसका हाथ जल गया था। मनप्रीत टाइम का पाबंद था। सोमवार को सूफिया चौक पर लगी आग के बार में पता चला तो वह खाना तक छोड़ कर निकल आया था। उसने अपनी मां बलविंदर कौर से खाना पैक करने के लिए कहा और अपने दोस्त के लिए भी खाना पैक करने को कहा था। खाना लेकर वह सीधे आग बुझाने वाली जगह पर आ गया था। मलकीत सिंह ने बताया कि अभी मनप्रीत के बारे में उसकी मां को मालूम नहीं है कि वह जिंदा है या नहीं। अब वह उसे घर जा कर क्या जवाब देंगे। बलविंदर कौर चलने फिरने में असमर्थ है फिर भी मनप्रीत के लिए खाना बनाती और अब वह उसकी राह देख रही होगी।
सरकारी नौकरी के लिए सुखदेव ने ज्वाइन किया था फायर विभाग
सुखदेव के पिता प्रकाश सिंह ने बताया कि सात दिन के बाद भी उन्हें उनका बेटा नहीं मिल पाया है। उनकी आंखे अभी भी उसे तलाश रही है। प्रकाश सिंह ने बताया कि सुखदेव ने सरकारी नौकरी करने के लिए फायर विभाग में नौकरी की। 8 अक्तूबर 2016 को नौकरी ज्वाइन की थी। कुछ सालों बाद पक्का हो जाएगा। सुखदेव की पत्नि कमलेश भी सुखदेव का घर पर राह देख रही है। वह जिंदा है या नही इस बारे में अभी घर पर नहीं बताया है। प्रकाश सिंह ने अनुसार सुखदेव की तीन बेटिया (किरनदीप 8 वर्ष, खुशप्रीत 6 वर्ष, मनजोत 1 महीना) है। किरनदीप और खुशप्रीत को रोज की तरह तैयार कर स्कूल छोडऩे के लिए जा रहा था। परंतु काम पर जाने में देरी होने पर उसे बच्चों को स्कूल छोडऩे से मना कर दिया और वह खुद बच्चों को छोडऩे के लिए चले गए। उन्हें क्या पता था कि वह फिर कभी नहीं आ पाएगा।
सोमवार को मृतकों के परिजनों को मिलेंगे मौत के सर्टीफिकेट
रविवार को राहत एवं बचाव कार्य खत्म होने के बाद भी तीन फायरकर्मियों के शव सात दिन बाद भी नहीं मिल पाए है। पुलिस ने तीनों को मृतक करार देते हुए मृतकों के परिजनों के बयान भी दर्ज कर लिए हैं। एसएचओ गुरविंदर सिंह ने परिजनों को आशवासन दिया कि उन्हें मृतकों का सर्टीफिकेट सोमवार तक दे दिया जाएगा।
– सुनीलराय कामरेड