ग्वालियर : मध्यप्रदेश में गुटका, बीड़ी-सिगरेट, खैनी आदि के प्रयोग में 5 प्रतिशत की कमी आयी है। स्वास्थ्य मंत्री रुस्तम सिंह ने ग्लोबल एडल्ट टोबेको सर्वे-2 की रिपोर्ट का विमोचन करते हुए यह जानकारी दी। पहला सर्वेक्षण वर्ष 2009-10 में हुआ था, जिसमें तम्बाकू सेवन करने वालों का प्रतिशत 39.5 था, जो वर्ष 2016-17 में घटकर 34.2 हो गया। इसी तरह धूम्रपान का प्रतिशत 16.9 से कम होकर 10.2 और तम्बाकू का सेवन का प्रतिशत 31.4 से घटकर 28.1 रह गया है।
स्वास्थ्य मंत्री श्री सिंह ने कहा कि स्कूल और कॉलेज छात्र-छात्राओं को नियमित रूप से तम्बाकू के खतरों से आगाह करते हुए जागरूक करें। स्कूल के प्राचार्य और अध्यापक बच्चों को हर दिन किसी न किसी रूप में इस बुरी आदत के नुकसानों को बतायें। उन्होंने कहा कि सार्वजनिक स्थानों पर धूम्रपान के प्रकरणों में कमी आयी है, लेकिन इस पर होने वाले जुर्माने की राशि 200 रुपये से बढ़ाकर 1000 रुपये की जानी चाहिये। यदि अभिभावक चाहते हैं कि उनके बच्चों में कोई बुरी लत न हो, तो पहले वे खुद मिसाल बनें। इसी तरह वरिष्ठ अधिकारी भी कर्मचारियों के सामने उदाहरण पेश करें। इस दौरान बताया गया कि धूम्रपान से न केवल मुंह और फेफड़े का कैंसर, बल्कि लकवा, डायबिटीज और ह्रदय रोग भी होते हैं।
मुख कैंसर का सबसे ज्यादा शिकार 25 से 35 वर्ष आयु वर्ग के युवा होते हैं, जो अपना भविष्य संवारने के बजाय रोग और गरीबी से जूझने लगते हैं। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन संचालक एस. विश्वनाथन ने बताया कि बीमारियों की वजह से 7 प्रतिशत लोग गरीबी रेखा के नीचे चले जाते हैं। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश में स्वास्थ्य विभाग एम्स के साथ मिलकर ओरल कैंसर का सर्वे करेगा। वहीं केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के राष्ट्रीय सलाहकार प्रवीण सिन्हा ने बताया कि तम्बाकू के विरुद्ध जागरूकता कार्यक्रम प्रदेश के 16 जिलों में चल रहा है। इसे सभी जिलों में चलाया जाना चाहिये। उन्होंने बताया कि मध्यप्रदेश देश के सर्वाधिक प्रभावित 6 राज्यों में से एक है। प्रदेश के 50 प्रतिशत पुरुष और 17 प्रतिशत महिलाएं तम्बाकू का उपयोग करते हैं।
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