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आज आंशिक सूर्यग्रहण : जानें क्या है ज्योतिष महत्व, करें ये उपाय

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इस साल का आज पहला सूर्यग्रहण 15 फरवरी को है। इस खगोलीय घटना को दक्षिणी गोलार्द्ध के हिस्‍सों में देखा जा सकेगा।  अमावस्या के दिन लगने वाला यह आंशिक सूर्य ग्रहण होगा। साल 2018 में 15 दिन के अंतराल में ये दूसरा ग्रहण लगने जा रहा है। पहला 31 जनवरी को पूर्णिमा के दिन खग्रास चंद्र ग्रहण लगा था। 15 फरवरी को होने वाला सूर्य ग्रहण आंशिक होगा। आंशिक ग्रहण में सूर्य पूरा चंद्रमा की परछाई से नहीं ढकेगा, जिस कारण सूर्य का कुछ हिस्सा चमकदार दिखाई देगा। बुधवार को होने वाले ग्रहण को भारत के लोग नहीं देख पाएंगे। यह ग्रहण दक्षिणी अमेरिका, प्रशांत महासागर, चिली, ब्राजील और अंटार्कटिका और एशिया के कुछ हिस्सों में दिखाई देगा। भारतीय समय के अनुसार 15 फरवरी की रात को 12 बजकर 25 मिनट पर ग्रहण शुरु होगा और सूतक काल सुबह 4 बजे समाप्त होगा।

सूर्यग्रहण

जब सूर्य और पृथ्‍वी की कक्षा के बीच में चंद्रमा आ जाता है तो सूर्य पर इसकी छाया पड़ती है। आंशिक सूर्यग्रहण में चंद्रमा, सूर्य और पृथ्‍वी एक सीधी रेखा में नहीं आते और चंद्रमा की कुछ छाया सूर्य की सतह पर पड़ती है। पूर्ण सूर्यग्रहण में ये सीधी रेखा में आ जाते हैं। लिहाजा चंद्रमा की वजह से सूर्य की किरणें पृथ्‍वी तक नहीं पहुंच पातीं। नतीजतन कुछ पलों के लिए पूरी तरह से अंधेरा होने की स्थिति उत्‍पन्‍न हो जाती है।

आंशिक चंद्रगहण हर छह महीने में पड़ता है जबकि पूर्ण सूर्यग्रहण एक दुर्लभ खगोलीय घटना है। पिछला पूर्ण सूर्यग्रहण पिछले साल 21 अगस्‍त को देखने को मिला था। नासा के मुताबिक आंशिक या पूर्ण सूर्यग्रहण दोनों में से किसी को भी नग्‍न आंखों से देखना सुरक्षित नहीं होता। इससे पहले दूसरी खगोलीय घटना चंद्रग्रहण इसी 31 जनवरी को देखने को मिली थी।

सूर्य ग्रहण का ज्योतिषीय महत्व

मत्स्य पुराण में बताया गया है कि सूर्य ग्रहण और चन्द्र ग्रहण की कथा राहु-केतु से जुड़ी है। दरअसल समुद्र मंथन के दौरान जब देवताओं और असुरों में अमृत के लिए लड़ाई हुई तो अमृत पाने के लिए राहु रूप बदलकर देवताओं के साथ बैठकर अमृत पीने लगा। जब विष्णु भगवान को इस बात का पता चला तो उन्होंने सुदर्सन चक्र से उसकी सिर धड़ से अलग कर कर दिया। बाद में सिर राहु और धड़ केतु नाम का ग्रह बना। इसके बाद गुस्से में राहु चन्द्रमा और सूर्य को लीलने के लिए दौड़ने लगा लेकिन विष्णुजी ने ऐसा नहीं होने दिया। उस दिन से माना जाता है कि जब भी सूर्य और चन्द्रमा निकट आते हैं तब उन्हें ग्रहण लग जाता है।

ग्रहण में करें ये उपाय

1. ध्यान, भजन, ईश्वर की आराधना और व्यायाम करें।
2. सूर्य से संबंधित मंत्रों का जाप करना चाहिए।
3. ग्रहण समाप्ति के बाद घर की शुद्धिकरण के लिए गंगाजल का छिड़काव करें।
4. ग्रहण समाप्त होने के बाद स्नान के बाद भगवान की मूर्तियों को स्नान कराएं और पूजा करना चाहिए।
5. सूतक काल समाप्त होने के बाद ताजा भोजन करना चाहिए।
6. सूतक काल के पहले तैयार भोजन को बर्बाद न करें, बल्कि उसमें तुलसी के पत्ते डालकर भोजन को शुद्ध करें।
7. सूर्य ग्रहण के दौरान “ॐ आदित्याय विदमहे दिवाकराय धीमहि तन्नो सूर्य: प्रचोदयात् ” का जाप करना चाहिए।

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