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मेट्रो सिटीज में 72 रुपए प्रतिकिलो पहुंचे टमाटर के दाम, जानें क्या है कारण

उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय द्वारा संकलित आंकड़ों के अनुसार, दिल्ली और चेन्नई में, टमाटर की खुदरा कीमतें एक महीने पहले की तुलना में क्रमशः 30 रुपये और 20 रुपये प्रति किग्रा से बढ़कर 57 रुपये प्रति किलोग्राम हो गईं।

देश में बढ़ती महंगाई का बोझ आम आदमी के लिए गले की फांस बनता जा रहा है। पहले पेट्रोल-डीजल फिर रसोई गैस सिलेंडर और अब सब्जियों के दामों में भी इजाफा होने लगा है। देश की कई मेट्रो सिटीज में टमाटर की कीमतें 72 रुपए प्रतिकिलो तक पहुंच गई हैं। 
कोलकाता में सबसे ज्यादा महंगा हुआ टमाटर 
टमाटर के खुदरा मूल्य में सबसे अधिक वृद्धि कोलकाता में देखी गई, जहां इस प्रमुख सब्जी की कीमत 12 अक्टूबर को 72 रुपए प्रति किलोग्राम थी, जबकि एक महीने पहले यह कीमत 38 रुपए प्रति किलोग्राम थी। उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय द्वारा संकलित आंकड़ों के अनुसार, दिल्ली और चेन्नई में, टमाटर की खुदरा कीमतें एक महीने पहले की तुलना में क्रमशः 30 रुपये और 20 रुपये प्रति किग्रा से बढ़कर 57 रुपये प्रति किलोग्राम हो गईं। 
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आंकड़ों से पता चलता है कि मुंबई में, खुदरा बाजारों में टमाटर की कीमत पहले के 15 रुपये किलो से बढ़कर 53 रुपये प्रति किलोग्राम हो गई। टमाटर की खुदरा कीमतें गुणवत्ता और बिक्री वाले इलाके के आधार पर भिन्न होती हैं।
क्या है टमाटर के बढ़ते दामों का कारण
आजादपुर टमाटर संघ के अध्यक्ष अशोक कौशिक ने बताया, ‘‘मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र जैसे उत्पादक राज्यों में बेमौसम बारिश ने फसल को नुकसान पहुंचाया है, जिससे दिल्ली जैसे उपभोक्ता बाजारों में आपूर्ति प्रभावित हुई है। इससे थोक और खुदरा दोनों बाजारों में कीमतों में वृद्धि हुई है।’’ राष्ट्रीय राजधानी में स्थित आजादपुर मंडी फलों और सब्जियों के लिए एशिया का सबसे बड़ा थोक बाजार है। 
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उन्होंने कहा कि यहां तक ​​कि शिमला जैसे पहाड़ी क्षेत्रों में भी बेमौसम बारिश के कारण फसल प्रभावित हुई है। उन्होंने कहा कि बेमौसम बारिश वाले उत्पादक राज्यों में टमाटर की 60 प्रतिशत फसल बर्बाद हो गई है। उन्होंने कहा कि नतीजतन, एक महीने में टमाटर की कीमतें आजादपुर मंडी में लगभग दोगुनी होकर 40-60 रुपये प्रति किलोग्राम हो गई हैं, क्योंकि इस सब्जी की दैनिक आवक 250-300 टन रह गई है। 
मौजूदा समय में, मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक के प्रमुख उत्पादक राज्यों में कटाई चल रही है। टमाटर की फसल बोने के लगभग दो-तीन महीने में कटाई के लिए तैयार हो जाती है और बाजार की आवश्यकता के अनुसार कटाई की जाती है। नेशनल हॉर्टिकल्चरल रिसर्च एंड डेवलपमेंट फाउंडेशन के अनुसार, चीन के बाद दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा टमाटर उत्पादक देश भारत, 7.89 लाख हेक्टेयर क्षेत्र से लगभग 25.05 टन प्रति हेक्टेयर की औसत उपज के साथ करीब 1.975 करोड़ टन टमाटर का उत्पादन करता है।

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