1 – बिहार चुनाव : पिछड़ने के बावजूद जुझारू नेता के रूप में उभरे तेजस्वी यादव
इन चुनावों में भाजपा के शानदार प्रदर्शन से सूबे में एनडीए को बढ़त मिली है। चुनाव के नतीजों से साफ है कि जदयू के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी सभाओं के जरिये काफी हद तक कम करने में कामयाब रहे। इससे भाजपा का अपना प्रदर्शन भी बेहतर हुआ है। जबकि कोरोना संकट से उत्पन्न स्थिति, किसानों से जुड़े कानूनों तथा नागरिकता संशोधन कानून जैसे मुद्दों से भाजपा को कोई नुकसान नहीं हुआ। जबकि विपक्ष एनडीए-2 में इन मुद्दों पर सरकार की घेराबंदी करता रहा है। इसलिए भाजपा इस तरह से अब निश्चिंत हो सकती है। भाजपा की अपनी सीटें बढ़ने से यह स्पष्ट है कि कोरोना संकट के चलते महानगरों से पलायन करके बिहार पहुंच प्रवासी मजदूरों ने बड़ी संख्या में भाजपा के पक्ष में मतदान किया। यदि उनमें नाराजगी होती तो यह उसके खिलाफ जाता। यह माना जा रहा है कि केंद्र सरकार द्वारा कोरोना संकट से निपटने के लिए शुरू की गई गरीब कल्याण योजना का फायदा मिला है। यदि विपक्ष की रणनीति को देखें तो पिछड़ने के बावजूद तेजस्वी यादव जुझारू नेता के रूप में उभरे। लेकिन कांग्रेस का प्रदर्शन थोड़ा बेहतर होता और ओवैसी फैक्टर नहीं होता तो वह सरकार बना रहे होते।
2 – बिहार चुनाव : 10 धुरंधरों ने बचाई सियासी विरासत, बांकीपुर सीट से चुनाव हारे शत्रुघ्न सिन्हा के बेटे
इस बार का चुनाव परिणाम कई मायनों में खास रहा। वंशवाद की राजनीति का मुकाबला करीबन 50-50 रहा। 16 प्रत्याशी ऐसे थे जिनकी मजबूत पारिवारिक पैठ राजनीति में रही है। इनमें से 10 प्रत्याशी चुनाव में जीत की दहलीज लांघ सके जबकि 6 अपने परिवार की विरासत को बचाने में कामयाब नहीं रहे। पिता शत्रुघ्न सिन्हा और मां पूनम सिन्हा भी राजनीति में हैं। भाजपा से बगावत के बाद शत्रुघ्न सिन्हा ने कांग्रेस ज्वाइन कर लिया था। लव कांग्रेस के टिकट पर बांकीपुर से लड़ रहे थे। राजनीति की शुरुआत उनके लिए अशुभ रही। वो चुनाव हार गए।
3 – भाजपा के लिए अहम हैं बिहार के नतीजे, पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव पर डालेंगे असर
इन चुनावों पर पार्टी की भावी रणनीति टिकी हुई थी, क्योंकि यह चुनाव उसकी गठबंधन राजनीति के साथ अपने विस्तार व विपक्ष के मुकाबले की तैयारी के भी थे। इससे उसकी पश्चिम बंगाल, असम समेत अगले साल होने वाले विभिन्न विधानसभा चुनावों के लिए उसका मनोबल बढ़ेगा, वहीं बिहार से संजीवनी हासिल करने की विपक्ष की कोशिश को रोक दिया है। भाजपा के लिए इन नतीजों की सबसे अहम निष्कर्ष यह है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लेकर लोगों की आशाएं और उम्मीदें कम नहीं हुई है। नीतीश कुमार के खिलाफ उभरी नाराजगी के बाद आए इस तरह के नतीजों का तात्कालिक निष्कर्ष यही निकाला जा रहा है। भाजपा ने लोजपा के अलग होने के बाद अपने गठबंधन को बेहतर किया और सामाजिक समीकरण साधे। लोजपा अगर विपक्षी खेमे में जाती तो दिक्कत बढ़ती, लेकिन वह अलग रही। इससे राजग को कुछ नुकसान तो हुआ लेकिन विरोधी खेमे का बहुत ज्यादा लाभ नहीं हुआ।
4 – FESTIVE SPECIAL TRAINS : दिवाली और छठ पर 13 स्पेशल ट्रेनें, रिजर्वेशन आज से
रेलवे ने 13 स्पेशल ट्रेनें चलाई हैं। आज से इन ट्रेनों में रिजर्वेशन शुरू हो जाएंगे। जिन यात्रियों को रिजर्व सीटें नहीं मिल रही हैं वे इन स्पेशल ट्रेनों के रूटों पर पड़ने वाले स्टेशनों के लिए रिजर्वेशन करा सकते हैं। – ट्रेन नंबर 04438 स्पेशल ट्रेन आनंद विहार से 15 व 16 नवंबर को रात 11:55 बजे चलकर कानपुर सेंट्रल पर दूसरे दिन सुबह 6:15 और जयनगर रात 10:45 बजे पहुंचेगी। वापसी में ट्रेन नंबर 04437 जयनगर से 17 व 18 नवंबर को रात 1:35 बजे चलकर दूसरे दिन दोपहर 3:20 बजे कानपुर और दिल्ली रात 11.00 बजे पहुंचेगी। – ट्रेन नंबर 04440 स्पेशल ट्रेन आनंदविहार से 13 नवंबर को दोपहर 1:45 बजे चलेगी। कानपुर सेंट्रल पर शाम 7:45 बजे और कटिहार दूसरे दिन शाम 7:20 बजे पहुंचेगी। वापसी में ट्रेन नंबर 04439 स्पेशल ट्रेन 15 नवंबर को कटिहार से सुबह 6 बजे, कानपुर सेंट्रल पर सुबह 6:10 और दिल्ली दोपहर 1:15 बजे पहुंचेगी।
5 – बिहार इलेक्शन 2020 : नीतीश कुमार की सातवीं शपथ, जानें- कब-कब बने मुख्यमंत्री
नीतीश कुमार को 20 वर्षों से लगातार बिहार की जनता से प्यार मिल रहा है। बिहार विधानसभा (Bihar Assembly Election) पर एक बार फिर एनडीए ने कब्जा जमा लिया है। बता दें कि NDA गठबंधन को 125 सीटों पर जीत मिली है, जो बहुमत के लिए जरूरी 122 सीटों से तीन अधिक है। बीजेपी को 74 और जेडीयू को तीन सीटों पर जीत मिली है। बीजेपी पहले ही यह साफ कर चुकी है कि सीटें कम आएं नीतीश कुमार ही सीएम बनेंगे। नीतीश लगातार चौथी बार और कुल सातवीं बार बिहार के मुख्यमंत्री पद का कार्यभार संभालेंगे। वे राज्य के 37वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेंगे। नीतीश मुख्यमंत्री बने तो वे सातवीं बार शपथ लेंगे।
– सबसे पहले वह 03 मार्च 2000 को मुख्यमंत्री बने थे लेकिन बहुमत के अभाव में सात दिन में उनकी सरकार गिर गई।
– 24 नवंबर 2005 में दूसरी बार उनकी ताजपोशी हुई।
– 26 नवंबर 2010 में तीसरी बार मुख्यमंत्री बने।
– 2014 में मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दिया लेकिन 22 फरवरी 2015 को चौथी बार मुख्यमंत्री बने।
– 20 नवंबर 2015 को पांचवी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली।
– फिर आरजेडी का साथ छोड़ा तो बीजेपी के साथ 27 जुलाई 2017 को छठी बार ताजपोशी हुई।