1 – किसान आंदोलन : किसानों की ये दो मांगें मान गई सरकार- पराली जलाना जुर्म नहीं, बिजली बिल भी वापस
महीनों से चले आ रहे किसान आंदोलन में अब थोड़ी राहत के आसार है। किसानों के कई प्रस्ताव में से दो प्रस्तावों पर मोदी सरकार ने अपनी सहमति जता दी है। किसानों और सरकार के बीच छठे दौर की बातचीत में बिजली बिल के मसले को सुलझा लिया गया है और अब पराली जलाना भी जुर्म नहीं होगा। करीब 5 घंटे चली बैठक के बाद कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर ने कहा कि पर्यावरण अध्यादेश पर सहमति बन गई है और ऐसे में अब पराली जलाना जुर्म नहीं होगा और बिजली बिल का मसला भी सुलझ गया है। सरकार ने बुधवार को एमएसपी खरीद प्रणाली के बेहतर क्रियान्वयन पर एक समिति गठित करने की पेशकश की और विद्युत शुल्क (बिजली बिल) पर प्रस्तावित कानूनों और पराली जलाने से संबंधित प्रावधानों को स्थगित रखने पर सहमति जताई, मगर किसान संगठनों के नेता पांच घंटे से अधिक समय तक चली छठे दौर की वार्ता में तीनों नए कृषि कानूनों को निरस्त किए जाने की अपनी मुख्य मांग पर अड़े रहे। बता दें कि अब चार जनवरी को फिर से वार्ता होगी।
2 – क्या भाजपा को हुआ बड़ा नुकसान? हरियाणा निकाय चुनाव में करारी हार
किसान आंदोलन का असर हरियाणा नगर निगम के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के नतीजों पर कितना पड़ा है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि तीन में से सिर्फ एक सीट पर ही भाजपा को जीत मिली है। हरियाणा नगर निगम चुनाव (हरियाणआ स्थानीय निकाय) के नतीजे आ चुके हैं और हरियाणा में सत्तारूढ़ भाजपा-जजपा गठबंधन को बुधवार को उस समय झटका लगा, जब महापौर की तीन सीटों के लिए हुए चुनाव में उसे सिर्फ एक जगह ही कामयाबी मिल सकी। अंबाला, पंचकुला और सोनीपत शहरों में महापौर पद के लिए रविवार को चुनाव हुए थे। भाजपा को पंचकुला में जीतने के लिए संघर्ष करना पड़ा वहीं कांग्रेस और हरियाणा जन चेतना पार्टी ने क्रमशः सोनीपत और अंबाला में जीत हासिल की। यह पहला मौका था कि तीन शहरों में महापौर पदों के लिए प्रत्यक्ष चुनाव हुए थे। दो साल पहले हरियाणा के पांच शहरों में महापौर चुनावों में भाजपा को जीत मिली थी। भाजपा ने 2018 में हिसार, करनाल, पानीपत, रोहतक और यमुनानगर में महापौर के चुनाव जीते थे।
3 – NEW YEAR : नए साल के जश्न को लेकर कोरोना की पाबंदियां
नए साल की पूर्व संध्या से लेकर एक जनवरी तक दिल्ली में सख्ती लागू रहेगी। महाराष्ट्र, कर्नाटक, राजस्थान, मध्य प्रदेश सहित अन्य राज्यों में स्थानीय प्रशासन ने कोरोना के बीच नववर्ष के जश्न को लेकर सख्त नियम लागू किये हैं। ऐसा भीड़ को जुटने से रोकने के लिए किया गया है, ताकि महामारी और न फैले। इसके तहत महाराष्ट्र में होटल, रेस्तरां, पब और बार 31 दिसंबर को रात 11 बजे तक ही खोलने की इजाजत होगी। महाराष्ट्र के गृहमंत्री अनिल देशमुख ने बुधवार को मीडिया को बताया कि सार्वजनिक स्थानों पर पांच से ज्यादा लोगों के जुटने पर प्रतिबंध रहेगा लेकिन (रात्रि कर्फ्यू के मद्देनजर रात में 11 बजे के बाद) दवा खरीदने और रिश्तेदारों, दोस्तों के घर जाने के लिए बाहर निकलने पर पाबंदी नहीं होगी। अधिकारियों को पहाड़ी पर्यटन स्थलों पर महामारी संबंधी पाबंदियों का क्रियान्वयन सुनिश्चित करने को कहा गया है क्योंकि नववर्ष पर बड़ी संख्या में वहां लोग आ सकते हैं। उन्होंने लोगों से दिशा-निर्देशों का पालन करने की अपील की।
4 – कोरोना वैक्सीन : एक जनवरी को मिल सकती कोरोना वैक्सीन को मंजूरी
सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड्स कंट्रोल ऑर्गेनाइजेशन (सीडीएससीओ) की सब्जेक्ट एक्सपर्ट कमेटी (एसईसी) ने बुधवार को बैठक की। इसमें कोवीशील्ड को लेकर सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया (एसआईआई), कोवैक्सीन पर भारत बायोटेक ने और फाइजर ने अपनी वैक्सीन पर प्रेजेंटेशन दिए। इसमें टीके के आपातकालीन चिकित्सकीय इस्तेमाल पर कोई फैसला नहीं हो सका। कमेटी की अगली बैठक एक जनवरी को होगी। उसमें कोई बड़ा फैसला होने की उम्मीद की जा रही है। स्वास्थ्य मंत्रालय की तरफ से कहा गया कि सब्जेक्ट एक्सपर्ट कमेटी की बैठक में फाइजर की ओर से डेटा पेश करने के लिए और वक्त मांगा गया। इसी तरह सीरम और भारत बायोटेक ने अपनी-अपनी वैक्सीन को लेकर जो डेटा पेश किया था, उसका एनालिसिस किया गया। एक जनवरी को होने वाली अगली बैठक में भी यह सिलसिला जारी रहेगा। बता दें कि अंतिम फैसला अपेक्स कमेटी का होगा, जिसमें अलग-अलग मंत्रालयों के सचिव होते हैं। वहीं, टीका बनाने वाली प्रमुख कंपनी सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एसआईआई) ने कहा कि ब्रिटेन में ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका के कोविड-19 टीके को मंजूरी मिलना एक अच्छी खबर है।
5 – Coronavirus : कोरोना से जंग में देश के लिए तीन-तीन, अन्य देशों के मुकाबले वायरस को काबू करने में ऐसे सफल रहा है भारत
कोरोना के खिलाफ लड़ाई में देश को तीन मोर्चों पर राहत मिली है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से जारी आंकड़ों के अनुसार, रोजाना मिलने वाले मामलों में पिछले एक सप्ताह से लगातार गिरावट देखी जा रही है। सितंबर में पीक आने के बाद दिसंबर में नए केस और मौत के मामलों में रिकॉर्ड गिरावट देखी गई है। भारत ने दुनिया के अन्य देशों के मुकाबले बेहतर तरीके से संक्रमण को काबू करने में सफल रहा है। स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, पिछले सात दिनों में रोजाना नए केसों की संख्या में लगातार गिरावट दर्ज हुई है। वैश्विक स्तर पर तुलना करने पर भारत में प्रति दस लाख की आबादी पर संक्रमण के मामले पूरी दुनिया में सबसे कम (110) हैं। रूस, इटली, ब्राजील, फ्रांस और अमेरिका जैसे देशों में प्रति दस लाख की आबादी पर मामले काफी ज्यादा हैं। भारत में कोरोना से होने वाली रोजाना मौतों की संख्या में भी एक हफ्ते में कमी देखी गई है। यहां प्रति 10 लाख की आबादी पर यह संख्या 2 लोगों की है।