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आदिवासी ही हैं भारत के मूल निवासी, जनजातीय संस्कृति को कायम रखना हमारा कर्त्तव्य : वेंकैया नायडू

आदिवासी महोत्सव का आयोजन किया गया है। यह एक अच्छा प्रयास है जिसके माध्यम से आदिवासी शिल्प, संगीत, कला व संस्कृति आदि का प्रदर्शन किया जाता है।

उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने मंडला जिले के रामनगर में शनिवार को कहा कि भारत के मूल निवासी आदिवासी ही हैं और जनजातीय संस्कृति को बनाए रखना हमारा कर्त्तव्य है।
नायडू मंडला जिले के ऐतिहासिक स्थल रामनगर में दो दिवसीय आदिवासी महोत्सव के शुभारंभ के बाद उपस्थित जनसमुदाय को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा, ‘‘भारत के मूल निवासी आदिवासी ही हैं। आदिवासी संस्कृति को बनाए रखना और जनजातियों का विकास करना हमारा कर्तव्य है और यह हमारा संवैधानिक दायित्व भी है।’’
उन्होंने कहा कि आदिवासियों से हमें प्रकृति के साथ जीवनयापन करने और आगे बढ़ने की प्रेरणा मिलती है। नायडू ने कहा कि गोंडवाना साम्राज्य की ऐतिहासिक धरोहर रामनगर आना उनके लिए सौभाग्य की बात है। आदिवासी संस्कृति को जीवित रखने और उससे युवाओं को परिचित कराने के लिए आदिवासी महोत्सव का आयोजन किया गया है। यह एक अच्छा प्रयास है जिसके माध्यम से आदिवासी शिल्प, संगीत, कला व संस्कृति आदि का प्रदर्शन किया जाता है।
उन्होंने कहा कि आदिवासी संस्कृति को जीवित रखने के लिए केवल सरकारी प्रयास ही काफी नहीं है, इसमें समाज का भी योगदान होना चाहिए।
नायडू ने आगे कहा कि हमें अपने जीवन में, जन्म देने वाली माँ, जन्मभूमि, मातृभाषा और देश को कभी नहीं भूलना चाहिए। जनजातीय वर्ग ही समाज का वह वर्ग है जो प्रकृति को माता के रूप में पूजता है। यह जनजातीय परंपरा हम सभी के लिए अनुकरणीय और प्रेरणादायी है।
उन्होंने कहा कि आधुनिक होते समाज में अपनी संस्कृति को संरक्षित करने के साथ ही आदिवासियों को शिक्षा के क्षेत्र में भी विशेष ध्यान देना चाहिए। शिक्षा से ही समाज में जागृति व उन्नति आती है।
नायडू ने कहा कि विकास के लिए शांति आवश्यक है। शांति के बिना विकास नहीं किया जा सकता। उन्होंने आशा व्यक्त की कि गोंड साम्राज्य की यह ऐतिहासिक धरती जनजातियों की भाषा, संस्कृति और जीवन पद्धति को संजोकर रखने एवं उनके आर्थिक विकास में भागीदार बनेगी।
कार्यक्रम के पूर्व उन्होंने गोंडवाना साम्राज्य के शहीद राजाओं को पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि दी। अपने संबोधन के बाद उन्होंने जनजातीय नृतक दल व उपस्थित जनसमुदाय से मिलकर अभिवादन किया। कार्यक्रम के अंत में उपराष्ट्रपति द्वारा स्वरोजगार और आपदा राहत के हितग्राहियों को प्रतीकात्मक रूप से हितलाभ का वितरण किया।
इस अवसर पर केन्द्रीय इस्पात राज्य मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते तथा केन्द्रीय पर्यटन एवं संस्कृति राज्य मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल ने आदिवासी संस्कृति, धरोहर व उनके विकास के साथ शिक्षा व उन्नति पर जोर दिया।

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