राजस्थान में गहलोत गुट की बगावत के बीच शशि थरूर ने एक ट्वीट कर दिया जिसे लेकर सियासी बवाल मच गया है। वैसे तो थरूर ने यह ट्वीट भारत जोड़ो यात्रा के बीच किया है लेकिन एक तो वीडियो में राहुल गांधी का साथ और दूसरी ओर वीडियो में कुछ ऐसा है कि बार-बार ट्वीट को राजस्थान की गर्माती सियासत से जोड़ रहा है।
दरअसल, शशि थरूर ने अपने ट्वीट में लिखा है, ‘मैं गोडसे के दौर में गांधी के साथ हूं’। यह ट्वीट आने के साथ ही वर्तमान हालात के संदर्भ में सोशल मीडिया पर यह बहस तेज हो गई है कि शशि थरूर का गोडसे कौन है? वैसे ही राजस्थान की राजनीति गर्मा रही है, लेकिन थरूर के इस ट्वीट को लेकर सियासत की गर्मी और तेज हो गई है। राजस्थान में लगातार सियासी संघर्ष जारी है। राजनीति के पंडित बता रहे हैं कि गहलोत गुट की बगावत के बाद अध्यक्ष पद की रेश में गहलोत अब पीछे रह गए हैं।
इमरान प्रतापगढ़ी के शेर
शशि थरूर ने सोमवार रात करीब 9 बजे एक वीडियो ट्वीट किया। इस वीडियो में वह भारत जोड़ो यात्रा के दौरान राहुल गांधी के साथ नजर आ रहे हैं। वीडियो के कैप्शन में उन्होंने इमरान प्रतापगढ़ी का एक शेर लिखा है। ‘ये किसने कहा आपसे आंधी के साथ हूं, मैं गोडसे के दौर में गांधी के साथ हूं।’ अब फिलहाल राजस्थान में जो स्थिति बनी है और कांग्रेस जिन हालात से गुजर रही है, उसमें थरूर के इस ट्वीट के मायने बहुत ज्यादा हैं। माना जा रहा है कि गांधी परिवार से गहलोत की बढ़ती दूरी के बीच उन्होंने अपनी नजदीकी जाहिर करने की कोशिश की है।
आलाकमान को गहलोत की चुनौती
दरअसल, राजस्थान में सियासी संकट बीती शाम से ही गंभीर है। माना जा रहा है कि सचिन पायलट का यहां का सीएम बनना लगभग तय था। लेकिन दिल्ली के पर्यवेक्षकों से मिलने के बजाय गहलोत खेमे के विधायकों ने मंत्री शांतिलाल धारीवाल के घर पर अपना ठिकाना बना लिया। बस इतना ही इन विधायकों ने पायलट को सीएम बनाए जाने के खिलाफ स्पीकर सीपी जोशी को अपना इस्तीफा तक सौंप दिया। विधायकों के इस कदम को गहलोत के लिए कांग्रेस आलाकमान के फैसले को चुनौती के तौर पर लिया जा रहा है।
अध्यक्ष पद की दौड़ में गहलोत का था कड़ा मुकाबला
आपको बता दें कि अशोक गहलोत कांग्रेस आलाकमान के काफी करीबी माने जाते हैं। किसी को उम्मीद नहीं थी कि गहलोत ऐसा कदम उठाएंगे। इसे सीधे तौर पर गहलोत का गांधी परिवार के खिलाफ बगावत के तौर पर देखा जा रहा है. वहीं, कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद की दौड़ में शशि थरूर अशोक गहलोत से सीधे मुकाबले में थे. ऐसे में शशि थरूर के ट्वीट का राजनीतिक मतलब निकालना तय है. इस बीच दूसरे दिन भी गहलोत खेमे के विधायकों और मंत्रियों का आलाकमान पर हमला जारी रहा. मंत्री शांतिलाल धारीवाल ने दिल्ली से आए पर्यवेक्षकों पर भी सवाल उठाए.
गांधी परिवार के करीब होने के बावजूद बगावत के सुर
बता दें, गहलोत गांधी परिवार के करीब माने जाते हैं। अध्यक्ष पद की दौड़ में गहलोत को चुनौति देने वाले कोई और नहीं, बल्कि शशि थरूर हैं। ऐसे में शिशि के ट्वीट का मतलब सीधे-सीधे गहलोत से जोड़ा जा रहा है। गहलोत की गांधी परिवार से इतनी नजदीकियां होने के बावजूद ऐसा कदम उठाया जाना सीधे-सीधे गांधी परिवार से बगावत के तौर पर देखा जा रहा है। राजस्थान में यह बगावत आज से नहीं, बल्कि चुनाव 2019 के दौर से जारी है। राजनीति के जानकार बताते हैं कि सचिन पायलट ने संघर्ष कर पार्टी को जीत दिलाई थी, जिस पर सीएम पद की कुर्सी पर पायलट ने गहलोत ने कब्जा कर लिया। अभी भी राजस्थान का गुर्जर समाज सचिन पायलट को सीएम के तौर पर देखना चाहता है लेकिन गहलोत ने कुर्सी पर कब्जा कर रखा है।