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यूएपीए विधेयक : राज्यसभा में विपक्षी सदस्यों ने दुरूपयोग होने की जतायी आशंका

भाजपा नीत सरकार का नजरिया अलग है। अगर उसमें हिम्मत है तो उसे ‘‘गोडसे’’ को भी आतंकवादी घोषित करना चाहिए।

राज्यसभा में बृहस्पतिवार को विभिन्न विपक्षी दलों ने गैर कानूनी गतिविधि निवारण में संशोधन के लिए लाये गये एक विधेयक के प्रावधानों का दुरूपयोग होने की आशंका जताते हुए इसे प्रवर समिति में भेजने की मांग की। हालांकि सत्ता पक्ष ने आतंकवाद के खतरों को देखते हुए इस विधेयक का जरूरी बताया। 
उच्च सदन में गृह राज्यमंत्री जी किशन रेड्डी द्वारा चर्चा एवं पारित करने के लिए रखे गये ‘विधि विरुद्ध क्रियाकलाप निवारण संशोधन (यूएपीए) विधेयक को लोकसभा पहले ही पारित कर चुकी है। विधेयक पर चर्चा की शुरूआत करते हुए भाजपा के प्रभात झा ने कहा कि आतंकवाद देश की सबसे बड़ी समस्या है और उसके खिलाफ कठोर कार्रवाई होनी चाहिए। 
झा ने कहा कि यह संशोधन विधेयक भारत के हित में है और इससे संगठनों के साथ ही किसी व्यक्ति को भी आतंकी घोषित किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार ने आतंकवाद की जड़ पर चोट किया है और पहले भारतीय सैनिकों के सिर काट दिए जाते थे लेकिन अब स्थिति बदल चुकी है। 
झा ने कहा कि इस विधेयक के प्रावधानों के तहत आतंकवादियों की संपत्ति जब्त की जा सकेगी। कांग्रेस सदस्य कपिल सिब्बल ने विधेयक को प्रवर समिति में भेजे जाने का अनुरोध किया। उन्होंने कहा कि आतंकवाद के खिलाफ सभी लोग एकजुट हैं लेकिन कानूनों का दुरूपयोग नहीं होना चाहिए। 
सिब्बल ने कहा कि विगत में भी पोटा सहित विभिन्न कानूनों का दुरूपयोग हुआ। उन्होंने कहा कि इस विधेयक पर संसदीय समिति में विचार होना चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकार अपने बहुमत के दम पर विधेयक पारित करा सकती है लेकिन वह अदालत में ठहर नहीं पाएगा। 
उन्होंने कहा कि किसी को आतंकवादी घोषित करने के लिए इस विधेयक की जरूरत नहीं थी। उन्होंने आशंका जतायी कि सरकार अपने विरोधियों को आतंकवादी घोषित कर सकती है। उन्होंने कहा कि वे ऐसे कानून का आखिरी दम तक विरोध करते रहेंगे, भले ही सरकार विभिन्न एजेंसियों को उनके पीछे लगा दे। 
उन्होंने कहा कि भाजपा नीत सरकार का नजरिया अलग है। अगर उसमें हिम्मत है तो उसे ‘‘गोडसे’’ को भी आतंकवादी घोषित करना चाहिए। 
तृणमूल कांग्रेस के सुखेंदु शेखर राय ने विधेयक का विरोध करते हुए कहा कहा कि हर पार्टी आतंकवाद के खिलाफ है लेकिन यह एक खतरनाक विधेयक है और शहरी नक्सली बताकर किसी को भी जेल में डाल दिया जा सकता है। उन्होंने आशंका जतायी कि कोई व्यक्ति जो सरकार का विरोध करेगा, उसे इसके तहत आतंकवादी घोषित कर दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि यह कानून अदालत में ठहर नहीं पाएगा और सरकार को अंतत: एक दिन कानून वापस लेना पड़ेगा। 
सपा के रामगोपाल यादव ने भी आशंका जतायी कि इस कानून का दुरूपयोग हो सकता है। उन्होंने कहा कि इस कानून को लेकर लोगों में डर है। उन्होंने कहा कि राजनीतिक लोग आंदोलन में शामिल होते हैं और संभव है कि उन्हें भी इस कानून के तहत आतंकवादी घोषित कर दिया जाए। उन्होंने कहा कि विगत में भी देखा गया है जब विभिन्न कानूनों का दुरूपयोग हुआ और राजनीतिक लोगों को लंबे समय तक जेलों में रहना पड़ा। 
चर्चा में हस्तक्षेप करते हुए गृह राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी ने कहा कि आतंकी संगठनों के साथ ही व्यक्ति विशेष को भी आतंकवादी घोषित करने के लिए यह संशोधन विधेयक लाया गया है। इससे खास व्यक्ति को आतंकवादी घोषित करने में मदद मिलेगी। 

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