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मोदी के नेतृत्व में जम्मू कश्मीर में आतंकियों की कोचिंग पर लगी रोक, जिहादियों को जड़ से उखाड़ा….बोले शाह

केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने बृहस्पतिवार को कहा कि जम्मू कश्मीर प्रशासन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में आतंकवाद पर निर्णायक रूप से नियंत्रण कायम किया है।

केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने बृहस्पतिवार को कहा कि जम्मू कश्मीर प्रशासन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में आतंकवाद पर निर्णायक रूप से नियंत्रण कायम किया है।
जम्मू में पनपते आतंकवाद को लेकर बोले शाह
शाह ने वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिये यहां एक कार्यक्रम में शामिल होने के दौरान कहा, “आज उपराज्यपाल मनोज सिन्हा के नेतृत्व में, जम्मू कश्मीर शांति और विकास के रस्ते पर आगे बढ़ रहा है। सिन्हा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में आतंकवाद पर निर्णायक रूप से नियंत्रण कायम किया है।” सोनावर में दार्शनिक और समाज सुधारक रामानुजाचार्य की ‘शांति प्रतिमा’ (स्टेच्यू ऑफ पीस) का अनावरण करने का बाद केंद्रीय गृहमंत्री ने यह बात कही। शाह ने कहा कि सिन्हा के नेतृत्व में प्रशासन ने कश्मीर के लोगों को बिना किसी भेदभाव के विकास उपलब्ध कराया है। उन्होंने कहा, “लंबे समय तक, देश के लोगों को उम्मीद थी कि अनुच्छेद 370 के प्रावधान और अनुच्छेद 35ए हटाने के बाद जम्मू कश्मीर का राष्ट्र के साथ एकीकरण हो जाएगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस उम्मीद को पूरा किया। पांच अगस्त 2019 को कश्मीर में एक नए युग की शुरुआत हुई।”
कश्मीर को लेकर अमित शाह ने कहा…
शाह ने कहा कि उन्हें यह सोचकर शांति मिलती है कि श्रीनगर में सूर्य मंदिर का जीर्णोद्धार हो सका। उन्होंने कहा, “श्रीनगर में शांति प्रतिमा का अनावरण होना भारत के लोगों के लिए अच्छा संकेत है विशेष रूप से जम्मू कश्मीर के लोगों के लिए।” उन्होंने कहा, “मुझे विश्वास है कि शांति प्रतिमा कश्मीर के हर धर्म के लोगों के लिए रामानुजाचार्य की शिक्षा और उनका आशीर्वाद लाएगी और उन्हें शांति तथा विकास के रास्ते पर आगे बढ़ाएगी।” शाह ने कहा कि रामानुजाचार्य ने ज्यादातर काम दक्षिण भारत में किया लेकिन एक महत्वपूर्ण पांडुलिपि ‘बोदायन वृत्ति’ को लाने के लिए वह कश्मीर गए क्योंकि उसकी एक ही प्रति उपलब्ध थी जो घाटी के शाही पुस्तकालय में रखी थी। केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा, “कश्मीर के राजा ने न केवल अपने पुस्तकालय के द्वार खोल दिए बल्कि रामानुजाचार्य का स्वागत भी किया।” रामानुजाचार्य की चार फुट ऊंची प्रतिमा हाथ जोड़कर बैठे हुए मुद्रा में है। छह सौ किलोग्राम की इस प्रतिमा को जमीन से तीन फुट की ऊंचाई पर रखा गया है।

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