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गुजरात, हिमाचल के विधानसभा और दिल्ली के MCD में समझिए पार्टियों का गणित, Exit Poll के बाद इस पार्टी पर लगा ग्रहण

गुजरात, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली नगर निगम चुनाव को लेकर सोमवार को वोटिंग खत्म हो चुकी है। इसी के साथ ही Exit Poll भी जारी कर दिए गए हैंं

देश में तीन राज्यों के चुनाव के कारण यहां राजनीति पूरी तरह से गर्माई हुई है, जहां इन राज्यों में चुनाव लड़ने वाली पार्टियों ने अपना पूरा जोर लगा रखा है, बता दें कि तीन राज्यों के चुनाव हो चुकें हैं और अब सभी को केवल चुनाव के परिणाम का इन्तजार है।  तो आज हम आपको तीन राज्यों के समीकरण को विस्तार से बताने वाले हैं। 
गुजरात-हिमाचल और दिल्ली एमसीडी चुनावों के नतीजों का भले ही इंतजार हो लेकिन अब जो चुवान के  एग्जिट पोल सामने आ रहें हैं वह काफी चौकाने वालें हैं। इन राज्यों में बदले सियासी समीकरणों का संकेत दे दिया है। एग्जिट पोल के मुताबिक गुजरात में बीजेपी अपना दबदबा कायम रखने में सफल रही है तो वहीं हिमाचल प्रदेश में कांटे की टक्कर होने के बावजूद सत्ता परिवर्तन का ट्रेंड देखने को मिल रहा है। वहीं अगर हम बात दिल्ली एमसीडी की करें तो यहां एमसीडी के विलय के कार्ड के बावजूद बीजेपी बेअसर ही दिख रही है,  और इसका फायदा आम आदमी पार्टी को मिल सकता है।   
अगर एग्जिट पोल के ये आंकड़े, अगर चुनाव नतीजों में तब्दील होते हैं तो ये साफ जाएगा कि भविष्य की सियासत का मार्ग किस तरफ जाएगा? तीन राज्यों के एग्जिट पोल के बड़े संदेश क्या हैं, और इनके दूरगामी संकेत क्या हैं हम आपको पांच बड़े सियासी संदेशों को समझाने जा रहें हैं।   
BJP के लिए बड़ा संदेश  
गुजरात में बीजेपी का किला वक्त के साथ और मजबूत होता जा रहा है। पिछले 27 सालों से का बिजेपी एक बार फिर से गुजरात में रिकॉर्ड तोड़ तरीके से भले ही सत्ता में वापसी करती दिख रही है, लेकिन हिमाचल और दिल्ली एमसीडी की सत्ता उसके हाथों से निकलती नजर आ रही है। 
यह बीजेपी के लिए सियासी तौर पर बड़ा झटका है। हिमाचल प्रेदेश में बीजेपी पांच साल से सत्ता में है, तो वहीं दिल्ली एमसीडी में बीजेपी 15 सालों से सत्ता में थी। लेकिन इस बार दिल्ली की तीनों एमसीडी का एकीकरण कर चुनाव लड़ी थी। इसके बाद भी बीजेपी अपना वर्चस्व कायम नहीं रख सकी।  हिमाचल और एमसीडी चुनाव के एग्जिट पोल के सियासी संदेश साफ हैं कि बीजेपी हर चुनाव नरेंद्र मोदी के नाम और चेहरे पर नहीं जीत सकती है। क्योंकि देखा जाता है कि राज्य में जब भी विधानसभा का चुनाव होता है, यहां प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नाम पर ही चुवाव का प्रचार किया जाता है, लेकन अब एक बात तो साफ है कि पीएम मोदी के नाम पर भीड़ तो जुटा सकते हैं, लेकिन वोट सरकार के काम पर ही मिलेगा।  दिल्ली एमसीडी पर बीजेपी 15 साल से काबिज है, लेकिन अपने काम की उपलब्धि गिनाने के लिए उसके पास कुछ भी नहीं था। दिल्ली की गंदगी , आवारा पशु और कूड़े के पहाड़ को आम  आम आदमी पार्टी ने मुद्दा बनाया, जो बीजेपी के हार का कारण बनी सकती है इसके अलावा बीजेपी के पास केजरीवाल के कद का कोई चेहरा भी नहीं है, जिसके नाम पर वोट मांगा जा सके। 
ऐसे ही हिमाचल में  जयराम ठाकुर अपनी सरकार के काम से ज्यादा मोदी के नाम और राष्ट्रीय मुद्दों पर वोट मांग रहे थे।  बीजेपी को यह समझने की जरूरत है कि हर बार प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नाम पर वोट मांग कर नहीं जीता जा सकता. जनता को पता है कि लोकसभा विधानसभा और निकाय चुनाव में क्या अंतर है।  
कांग्रेस के विकल्प के रूप में आम आदमी पार्टी 
 गुजरात, हिमाचल और दिल्ली के चुनाव में सबसे बड़ी सियासी झटका कांग्रेस को लगा है. बता दें कि यहां कांग्रेस भले ही हिमाचल की सत्ता में फिर से वापसी करती दिख रही हो, लेकिन वहां पर साढ़े तीन दशक से हर पांच साल पर सत्ता परिवर्तन का ट्रेंड रहा है. हिमाचल में कांग्रेस और बीजेपी के बीच कांटे की टक्कर बताई जा रही है, लेकिन इसके लिए सबसे बड़ी चिंता आम आदमी पार्टी बन गई है. देश में एक के बाद एक राज्य में कांग्रेस की सियासी जमीन को आम आदमी पार्टी कब्जा करती जा रही है. है. राज्यों में लोगों के लिए बीजेपी के सामने कांग्रेस का विकल्प आम आदमी पार्टी बनकर उभर रहा है। 
केजरीवाल इसी तरह से राज्यों में अपना कदम रखते हैं और पहले विपक्ष की जगह लेते हैं और फिर सत्ता में आते हैं। बता दें कि दिल्ली एमसीडी में 2017 में इसी तरह से आम आदमी पार्टी ने अपनी जगह बनाई थी, और अब पूर्ण बहुमत के साथ वापसी कर रही है। इससे पहले दिल्ली और पंजाब में आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस के हाथों से सत्ता छीना है।  हरियाणा के निकाय चुनाव में भी आम आदमी पार्टी ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है। इस तरह से कांग्रेस की जगह आम आदमी पार्टी लेती जा रही है। ऐसी ही स्थिति रही तो कांग्रेस के लिए आगे की सियासी राह काफी मुश्किलों भरी हो जाएगी , क्योंकि आम आदमी पार्टी ने राजस्थान, मध्य प्रदेश और कर्नाटक में भी चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है। इन सभी राज्यों में अभी तक कांग्रेस और बीजेपी के बीच सीधी लड़ाई होती रहती है, लेकिन अब आम आदमी पार्टी भी किस्मत आजमाने के लिए उतर रही है। 
हिमाचल में सत्ता परिवर्तन का ट्रेंड 
एग्जिट पोल के मुताबिक हिमाचल में कांग्रेस और बीजेपी के बीच कांटे की टक्कर मानी जा रही है, लेकिन हर पांच साल पर सत्ता परिवर्तन का ट्रेंड भी देखने को मिल रहा है। हिमाचल चुनाव के नतीजे बीजेपी और कांग्रेस दोनों के लिए है। कांग्रेस भले ही सत्ता में वापसी करती दिख रही हो, लेकिन आंकड़े बता रहे हैं कि बीजेपी बहुत ज्यादा पीछे नहीं है। ऐसे में सरकार की कुर्सी पर खेला पलट भी सकता है। हालांकि, एक बात यह भी है कि हिमाचल की सत्ता जाना बीजेपी के लिए एक बड़ा झटका होगा। 

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पंजाब केसरी एक हिंदी भाषा का समाचार पत्र है जो भारत में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली के कई केंद्रों से प्रकाशित होता है।