केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मंगलवार को राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) को अपडेट करने के लिए 8500 करोड़ रूपये के कोष को मंजूरी दे दी। अधिकारियों ने इस आशय की जानकारी दी। एनपीआर की कवायद अगले वर्ष अप्रैल से शुरू होगी। एनपीआर देश के स्वभाविक निवासियों की सूची है।
इस संबंध में आंकड़ों को अपडेट करने का काम 2015 में घर घर सर्वे के माध्यम से हुआ था। अपडेट किये गए आंकड़ों के डिजिटलीकरण का काम पूरा हो गया है। अब यह निर्णय किया गया है कि राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर का काम जनगणना 2021 के साथ असम को छोड़कर सभी राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों में किया जायेगा।
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एनपीआर में देश के ‘सामान्य नागरिकों’ की गणना की जाती है। एनपीआर के लिए ‘सामान्य नागरिकों’ से मतलब उस व्यक्ति से है, जो किसी स्थानीय क्षेत्र में पिछले छह महीने या उससे अधिक समय से रह रहा हो या अगले छह महीने या उससे अधिक समय तक उस क्षेत्र में रहने की उसकी योजना हो।
एनआरपी के तहत 1 अप्रैल, 2020 से 30 सितंबर, 2020 तक नागरिकों का डेटाबेस तैयार करने के लिए देशभर में घर-घर जाकर जनगणना की तैयारी है। देश के सामान्य निवासियों की व्यापक पहचान का डेटाबेस बनाना एनआरपी का मुख्य लक्ष्य है. इस डेटा में जनसांख्यिकी के साथ बायोमीट्रिक जानकारी भी होगी।