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केंद्रीय मंत्रिमंडल ने दिवाला कानून में एक और संशोधन के लिए अध्यादेश पर लगाई मुहर

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने दिवाला एवं ऋणशोधन अक्षमता संहिता (आईबीसी) में एक और संशोधन के लिए अध्यादेश को मंजूरी दे दी है।

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने दिवाला एवं ऋणशोधन अक्षमता संहिता (आईबीसी) में एक और संशोधन के लिए अध्यादेश को मंजूरी दे दी है। इससे इस कानून को लेकर कुछ चीजों को बेहतर तरीके से स्पष्ट करने में मदद मिलेगी। इससे पहले आईबीसी में तीन बार संशोधन किया जा चुका है। 
एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि इन बदलावों के बाद कॉरपोरेट कर्जदार पर दिवाला समाधान प्रक्रिया शुरू होने से पहले किए गए किसी अपराध के लिए कोई देनदारी नहीं बनेगी। इसके अलावा कॉरपोरेट कर्जदार पर न्यायिक प्राधिकरण द्वारा समाधान योजना को मंजूर करने की तारीख से किसी ऐसे अपराध के लिए अभियोजन नहीं चलाया जा सकेगा। 
केंद्रीय सूचना प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने मंगलवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक के बाद संवाददाताओं से कहा कि मंत्रिमंडल ने संहिता में संशोधन के अध्यादेश को मंजूरी दे दी है। बयान में कहा गया है कि इस संशोधन से आईबीसी, 2016 की विसंगतियां दूर होंगी और संहिता का सुगमता से क्रियान्वयन सुनिश्चित हो सकेगा। सरकार ने 12 दिसंबर को संहिता में संशोधन के लिए विधेयक लोकसभा में पेश किया था। 
लोकसभा में पेश विधेयक का मकसद अड़चनों को दूर करना और कॉरपोरेट दिवाला समाधान प्रक्रिया को सुसंगत बनाना है। इसमें सफल बोलीदाताओं को संबंधित कंपनियों के पूर्व प्रवर्तकों द्वारा किए गए किसी अपराध में आपराधिक प्रक्रियाओं से सुरक्षा मिलेगी। यह संहिता दबाव वाली संपत्तियों का समयबद्ध तरीके से बाजार मूल्य के हिसाब से समाधान सुनिश्चित करती है। इसमें इससे पहले तीन बार संशोधन किया जा चुका है। 

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