केंद्रीय ऊर्जा मंत्री आरके सिंह ने रविवार को ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न चुनौतियों का मुकाबला करने के लिए जी-20 सदस्य देशों से एकजुट होने का आह्वान किया। सिंह ने आज यहां एनर्जी ट्रांजिशन वर्किंग ग्रुप (ईटीडब्ल्यूजी) की पहली बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि भारत अब 2005 के स्तर से 2030 तक सकल घरेलू उत्पाद की उत्सर्जन तीव्रता को 45 प्रतिशत तक कम करने के लिए प्रतिबद्ध है। देश का लक्ष्य 2030 तक गैर-जीवाश्म ईंधन आधारित ऊर्जा संसाधनों से करीब 50 प्रतिशत संचयी बिजली स्थापित क्षमता हासिल करना है।
उपलब्धता के साथ कोई समझौता नहीं करेगा
उन्होंने कहा कि भारत को जलवायु परिवर्तन प्रदर्शन सूचकांक में शीर्ष पांच प्रदर्शन करने वाले देशों में स्थान दिया गया है। केंद्रीय मंत्री ने बैठक के बाद में संवाददाताओं से कहा कि भारत ऊर्जा आधार की वर्तमान उपलब्धता के साथ कोई समझौता नहीं करेगा और ऊर्जा सुरक्षा प्राप्त करने के लिए सभी संभावित ह्मोतों का पता लगायेगा। उन्होंने बताया कि ईटीडब्ल्यूजी बैठक इसके लिए एक रोडमैप तैयार करने के लिए एक प्रारंभिक मंच के रूप में काम करेगी।
मोदी की घोषणा को याद किया
इस मौके पर केंद्रीय कोयला मंत्री प्रह्लाद जोशी ने स्वच्छ ऊर्जा तक सार्वभौमिक पहुंच प्राप्त करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय सहयोग की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा कि देश के लोग प्रकृति के अनुकूल जीवन शैली और प्रथाओं में विश्वास करते हैं। उन्होंने ग्लासगो में सीओपी26 में मिशन लाइफस्टाइल फॉर एनवायरनमेंट - पर्यावरण की रक्षा और संरक्षण के लिए एक जन आंदोलन के रूप में प्रधानमंत्री नरेंद, मोदी की घोषणा को याद किया। बैठक में एशियाई विकास बैंक, संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (यूएनईपी) और कई अन्य अंतरराष्ट्रीय संगठनों के साथ जी20 देशों और नौ विशेष आमंत्रित अतिथि देशों सहित 150 से अधिक प्रतिभागी भाग ले रहे हैं।