भाजपा नेता व केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Finance Minister Nirmala Sitharaman) ने रविवार को (यानी आज) लोक लेखा अधिकारियों से कहा कि वे सार्वजनिक वित्तीय प्रबंधन प्रणाली (Public financial management system) के कामकाज को बेहतर बनाने के लिए अधिक कार्यकुशल और अनुकूल प्रौद्योगिकी लागू करने पर ध्यान दें।
उन्होंने कहा कि भारत की डीबीटी (Direct profit transfer) और जीएसटी (Goods and Services Tax ) प्रणालियों की दुनिया भर में चर्चा हो रही है। इन्हें एक लोकतंत्र में शांति के साथ किया गए गए क्रांतिकारी परिवर्तन के रूप में देखा जा रहा है। उन्होंने कहा कि डीबीटी से भ्रष्टाचार पर अंकुश लगा है और जनता का एक लाख करोड़ रुपये से अधिक रुपया बचाया जा सका है। वह यहां 44वें लोक लेखा दिवस के अवसर पर आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित कर रही थीं।
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उन्होंने कहा कि प्रौद्योगिकी आधारित पीएफएमएस ने क्रांति ला दी है और इससे भारत अधिक जवाबदेह, उत्तरदायी और पारदर्शी बना है। वित्त मंत्री ने कहा, “आज डीबीटी (प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण) और जीएसटी (वस्तु एवं सेवा कर) की चर्चा दुनिया भर में हो रही हैं और इसे एक लोकतांत्रिक व्यवस्था में एक खामोश क्रांति का उदाहरण बताया जा रहा है।”
उन्होंने कहा, “यह सबसे बड़ी क्रांति है। आपने डीबीटी के जरिए एक लाख करोड़ रुपये बचाए हैं, यह कोई प्रतीकात्मक बात नहीं है। किसी को नाराज किए बिना प्रौद्योगिकी के बेहतर इस्तेमाल से ये एक लाख करोड़ रुपये जनता के लिए बचाए गए।”
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उन्होंने कहा कि प्रौद्योगिकी के कुशल उपयोग के जरिए इस सेवा ने साबित कर दिया कि व्यवस्था से भ्रष्टाचार और अन्याय को खत्म किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि अधिकारियों ने यह दर्शाया है कि लोक-वित्त की व्यवस्था अपारदर्शी नहीं है, लेकिन वह कुशल व्यवस्था है और जनता के प्रति उत्तरदायी भी है।
सरकारी एजेंसियों को भुगतान, निगरानी और लेखांकन में मदद के लिए पीएफएमएस को तैयार किया गया है। वित्त मंत्री ने कहा कि सार्वजनिक वित्तीय प्रबंधन प्रणाली के क्षेत्र में करने के लिए बहुत कुछ है और अधिकारियों को परिवर्तनों के लिए तैयार रहने की जरूरत है। उन्होंने आगे कहा कि अधिकारी न केवल सक्षम लेखा परीक्षक हैं, बल्कि वह सक्षम प्रौद्योगिकी पेशेवर भी हैं।
सीतारमण ने कहा, “यहां तक कि जब हम प्रौद्योगिकी की बात कर रहे हैं, तो यह अपने आप में एक चुनौती है। यह हर दिन बदलती है, नए संस्करण आ जाते हैं, बदलाव तेजी से होते हैं और इसलिए हमारा इसमें पूरी तरह पारंगत बने रहना एक बड़ी कवायद है। आपको लगातार लक्ष्य बदलने होंगे, अधिक से अधिक दक्षता और अनुकूल प्रौद्योगिकी लानी होगी।”