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केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा- राष्ट्रीय स्तर पर चिकित्सा ऑक्सीजन की कोई कमी नहीं

स्वास्थ्य मंत्रालय में सचिव राजेश भूषण ने कहा कि देश में ऑक्सीजन उत्पादन की दैनिक क्षमता आज की तारीख में 6900 मीट्रिक टन से थोड़ी ज्यादा है।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने मंगलवार को कहा कि कोरोना वायरस के इलाज में अहम चिकित्सा श्रेणी के ऑक्सीजन की राष्ट्रीय स्तर पर “कोई कमी” नहीं है और राज्यों से अनुरोध किया कि वे अस्पताल स्तर पर उचित सूची प्रबंधन सुनिश्चित करें और ऑक्सीजन की उपलब्धता के लिये पहले से योजना बनाएं जिससे स्टॉक की अनुपलब्धता न हो।
यह पूछे जाने पर कि क्या विभिन्न राज्यों में ऑक्सीजन की काफी कमी है और इसकी वजह से मौत हुई हैं, स्वास्थ्य मंत्रालय में सचिव राजेश भूषण ने कहा कि देश में ऑक्सीजन उत्पादन की दैनिक क्षमता आज की तारीख में 6900 मीट्रिक टन से थोड़ी ज्यादा है।
सुबह के आंकड़ों का संदर्भ देते हुए भूषण ने एक प्रेस ब्रीफिंग में कहा कि कोविड-19 के कुल मरीजों में से 3.69 मरीजों को ऑक्सीजन दिया जा रहा था, 2.17 प्रतिशत आईसीयू में थे जहां उन्हें ऑक्सीजन उपलब्ध था और 0.36 प्रतिशत मरीज वेंटिलेटर पर थे जहां उन्हें ऑक्सीजन दिया जा रहा था। उन्होंने कहा कि यह मोटे तौर पर कुछ छह प्रतिशत मरीज हैं। उन्होंने कहा, “ऐसे में जिस ऑक्सीजन का इनके और गैर कोविड स्वास्थ्य सेवाओं को मिलाकर इस्तेमाल किया जा रहा है उसकी मात्रा कितनी है? इसके लिये अगर हम एक बार फिर यह लें (सुबह के आंकड़ों के मुताबिक) तो यह दैनिक आधार पर 2800 मीट्रिक टन है।”
उन्होंने कहा, “इसलिए अगर हम औद्योगिक उत्पादन और ऑक्सीजन के लिये उनकी जरूरतों को देखें तो यह 2200 मीट्रिक टन है, ऐसे में कुल मिलाकर करीब 5000 मीट्रिक टन की दैनिक खपत है और 1900 मीट्रिक टन की बचत है। इसलिए राष्ट्रीय स्तर की बात करें तो यहां ऑक्सीजन की बिल्कुल कोई कमी नहीं है, वास्तव में आज सुबह 1900 मीट्रिक टन अतिरिक्त ऑक्सीजन उपलब्ध है।” अधिकारी ने कहा कि समस्या तब आती है जब सुविधा केंद्रों द्वारा इनका समुचित सूची प्रबंधन नहीं होता है।
भूषण ने जोर दिया कि प्रत्येक राज्य को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि अस्पताल के स्तर पर ऑक्सीजन की उपलब्धता की सूची बने और इनके खत्म होने की संभावना के मद्देनजर चेतावनी जारी की जाए जिससे समय रहते इनकी उपलब्धता फिर से हो सके। भूषण ने कहा, “अगर कमी होने की गुंजाइश लगती है तो समय पर इसकी भरपाई के लिये तत्काल कार्रवाई होनी चाहिए और केंद्र से मदद मांगी जानी चाहिए।” 
उन्होंने कहा कि राज्यों के साथ बैठकें की गई हैं और उनसे ऑक्सीजन की उपलब्ध मात्रा की स्थिति की निगरानी को कहा गया है और केंद्र के स्तर पर भी एक डिजिटल नियंत्रण कक्ष बनाया गया है। उन्होंने कहा, “राज्यों को ऑक्सीजन की उपलब्धता पर नजर रखनी चाहिए और इसका तर्कसंगत रूप से उपयोग करना चाहिए।”

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