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केंद्रीय मंत्री पशुपति कुमार पारस बोले- रामविलास पासवान का मैं वास्तविक राजनीतिक उत्तराधिकारी हूं

केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण मंत्री पशुपति कुमार पारस ने बृहस्पतिवार को कहा कि वह अपने दिवंगत भाई रामविलास पासवान के ‘‘वास्तविक राजनीतिक उत्तराधिकारी’’ हैं न कि चिराग पासवान, जो अपने पिता की संपत्ति के वारिस हो सकते हैं।

केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण मंत्री पशुपति कुमार पारस ने बृहस्पतिवार को कहा कि वह अपने दिवंगत भाई रामविलास पासवान के ‘‘वास्तविक राजनीतिक उत्तराधिकारी’’ हैं न कि चिराग पासवान, जो अपने पिता की संपत्ति के वारिस हो सकते हैं। पिछले वर्ष रामविलास पासवान के निधन के बाद पारस और पासवान के बेटे चिराग पासवान के बीच लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) में गुटबाजी शुरू हो गई और दोनों पक्ष अब पार्टी का प्रतिनिधित्व करने का दावा करते हैं।
लोजपा की स्थापना रामविलास पासवान ने की थी। पारस ने चिराग पासवान से कहा कि वह अपनी गलतियों के लिए ‘‘आत्म मंथन’’ करें। पारस को बुधवार को नरेंद्र मोदी नीत सरकार में कैबिनेट मंत्री बनाया गया और उन्हें खाद्य प्रसंस्करण विभाग आवंटित किया गया।
पारस ने कहा कि उनके दिवंगत भाई उनके आदर्श हैं। पहले वह लोजपा की बिहार इकाई के अध्यक्ष थे और वर्तमान में इससे अलग हुए धड़े के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं। पारस ने बृहस्पतिवार को केंद्रीय मंत्री का पदभार संभालने के बाद संवाददाताओं से बात करते हुए मंत्रिपरिषद् में शामिल किए जाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को धन्यवाद दिया और कहा कि वह प्रतिबद्धता के साथ काम करेंगे।
पारस ने कहा कि अगले दस दिनों में वह मंत्रालय के कामकाज को समझेंगे और फिर अपने विजन और कार्यक्रमों की रूपरेखा तैयार करेंगे। उन्होंने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘मैं रामविलास पासवान को अपना आदर्श मानता हूं। वह मेरे बड़े भाई थे।’’
पारस ने कहा कि पासवान ने उनसे 1977-78 में खगड़िया के अलौली से विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए कहा था और 2019 में बिहार के हाजीपुर से लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए कहा। इन दोनों सीटों का प्रतिनिधित्व पहले पासवान करते थे।
पारस ने अपने राजनीतिक अनुभव के बारे में कहा कि वह आठ बार विधायक निर्वाचित हुए हैं और बिहार सरकार में मंत्री भी रहे हैं। 2019 में वह पहली बार लोकसभा के सांसद बने और अब उन्हें केंद्रीय मंत्री बनाया गया है। पारस का चार दशक से अधिक लंबा राजनीतिक कॅरियर है लेकिन अधिकतर समय वह रामविलास पासवान की छत्रछाया में ही रहे।
पासवान के निधन के बाद उन्होंने चिराग पासवान के खिलाफ सफलतापूर्वक राजनीतिक तख्तापलट किया। उन्होंने अपने राजनीतिक कॅरियर की शुरुआत 1978 में जनता पार्टी से विधायक के तौर पर खगड़िया जिले के अलौली सीट से की।
उन्होंने जनता दल और लोजपा के टिकट पर कई बार इस विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया। वह 2017 में नीतीश कुमार कैबिनेट में शामिल हुए जब मुख्यमंत्री की फिर से राजग में वापसी हुई। वह 2019 में हाजीपुर से लोकसभा के लिए चुने गए।

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