वरिष्ठ पत्रकार गौरी लंकेश की हत्या होना वाकई देशभर के मीडिया के ऊपर गहरी चोट है और ऐसा पहली बार नहीं हुआ है जब किसी पत्रकार के साथ इस तरह की घटना हुई हो। 55 वर्षीय गौरी लंकेश की अज्ञात हमलावरों ने उनके घर में ही घुसकर गोली मारकर हत्या कर दी। इस हत्याकांड से मीडिया के साथ साथ पूरा देश ही स्तब्ध है। आईये जानते है इनकी हत्या के पीछे किन कारणों को अहम् माना जा रहा है साथ ही उनके जीवन पर भी एक नज़र डालते है।
माना जाता है गौरी लंकेश एक बेबाक और निडर पत्रकार थी और उन्होंने निर्भीकता से धार्मिक राजनीति का जमकर विरोध किया था। वर्ष 1980 में अपना पत्रकारिता करियर शुरू करने वाली गौरी लंकेश के पिता पी लंकेश भी पत्रकार थे।
गौरी लंकेश कन्नड़ की साप्ताहिक पत्रिका ‘लंकेश पत्रिका’ की संपादक थीं। इस पत्रिका को उनके पिता ने ही शुरू किया था। कन्नड़ पत्रकारिता में ‘लंकेश पत्रिका’ की खास रोल रहा है। खुद दक्षिण भारत से सम्बन्ध रखे वाली गौरी दक्षिणपंथियों की कड़ी आलोचक रहीं और उनकी इसी निर्भीकता के कारण वो धार्मिक सौहार्द बढ़ाने का भी काम भी बखूबी कर रही थी।
पर कहीं न कहीं उनकी इस विशेषता ने उनके दुश्मन भी जरूर बना दिए। वर्ष 2008 में जब इन्होने भाजपा नेता के खिलाफ लिखना शुरू किया तो ये रातों रात सुर्ख़ियों में गयी थी।
बाद में भाजपा नेता ने इनपर मानहानि का मुकदमा भी किया था। गौरी लंकेश बंगलुरू में इकलौती महिला पत्रकार थीं, जो अपनी कलम से दक्षिणपंथी ताकतों से लोहा ले रही थीं। इस दौरान उन्हें जान से मारने की धमकियां भी मिलीं। धार्मिक कट्टरता के खिलाफ उनके भाषणों और लेखों की वजह से वो कट्टर पंथियों के निशाने पर मानी जा रही थी।
हाल ही में उन्होंने लेखिका व पत्रकार राणा अय्यूब की बुक ‘गुजरात फ़ाइल्स’ का कन्नड़ भाषा में अनुवाद भी किया था। इन सभी विषयों को जांच के अहम बिंदु मानकर पुलिस अपनी कार्यवाही कर रही है और दावा किया जा रहा ही इनकी हत्या के पीछे बड़े राजनीतिक चेहरे शामिल है।