सेना के जवान पंकज दुबे जम्मू-कश्मीर में सर्च ऑपरेशन के दौरान आतंकियों की गोली में घायल हुए थे अब उन्होंने 12 दिन तक जिंदा रहने के बाद अंतिम सांस ली है। देर रात पंकज का शव उनके घर पहुंचा तो लोगों काफी ज्यादा हैरान हुए। 7 मार्च यानि आज के दिन उन्हें पूरे राजकीय सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी गई है। गौरतलब है कि गोली लगने से ठीक एक दिन पहले शहीद पंकज की मां और भाई से फोन पर बात हुई थी।
सेना में 2015 में भर्ती हुए थे
शहीद पंकज दुबे अगस्त 2015 में कानपुर से सेना में भर्ती हुए थे। मार्च 2017 में उन्हें ट्रेनिंग पर भेजा गया। फिर नवंबर 2018 में पंकज की तैनाती रेडियो ऑरेटर के पद पर कश्मीर घाटी के तंगधार इलाके में हुई। वह हाल ही में 55 दिन की अपनी छुट्टी के बाद ड्यूटी पर लौटे थे लेकिन 23 मार्च के दिन उन्हें गोली लगा जिसकी वजह से वह घायल हो गए थे। जिसके बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया जहां उन्होंने 12 दिन बाद आखिरी सांस ली है। बता दें कि पंकज कन्नौज के सदर कोतवाली क्षेत्र के ग्राम गंगधरापुर के रहने वाले थे।
23 मार्च सुबह करीब चार बजे शहीद के भाई जवाहरलाल दुबे को जेसीओ ने सूचना दी की घाटी में देर रात चले सर्च ऑपरेशन में पंकज आतंकियों की गोली से घायल हो गए। क्योंकि गोली उनके सिर पर लगी थी।
इसके बाद ऊधमपुर के कमांड हॉस्पिटल में उनका ऑपरेशन कराया गया तब उनकी हालत में थोड़ा सुधार हुआ लेकिन गुरूवार की शाम काो उन्होंने अंतिम सांस ली। जैसे ही यूनिट से उनकी शहादत की खबर उनके परिवार वालों को मिली तो कोहराम मच गया। शनिवार की देर रात उनका शव पैतृक गांव पहुंचा जहां पूरे राजकीय सम्मान के साथ पंकज को मुख्याग्नि दी गई।
शहीद पंकज को गोली लगने से एक दिन पहले ही उन्होंने अपनी मां और भाई से फोन पर बात की थी। उनके परिवार में दिव्यांग पिता शांतिस्वरूप दुबे,दिव्यांग भाई जवाहर लाल दुबे,भाई रामू दुबे,बहन रूचि दुबे हैं। बता दें कि पंकज की अभी शादी नहीं हुई थी। पंकज अपने सारे भाइयों में सबसे छोटा है। अब शहीद पंकज के परिवार वालों ने पंकज के नाम से स्कूल बनवाने की मांग की है।