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आज विधानसभा में UPCOCA बिल पेश करेगी योगी सरकार, UPCOCA बिल की ये होगी खास बातें!

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लखनऊ: महाराष्ट्र के तर्ज पर बने कानून यूपीकोका को लेकर योगी सरकार प्रतिबद्ध नजर आ रही है। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम यानी यूपीकोका को आज यानी मंगलवावर को एक बार फिर से विधानसभा पेश करेगी। संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम (यूपीकोका) बिल पिछले साल 21 दिसंबर को विधानसभा से पास हो गया था। जिसके बाद बिल को विधान परिषद भेजा गया। लेकिन विपक्ष की आपत्तियों के बाद इसे सदन की प्रवर समिति के पास भेज दिया गया था। वहां से लौटने के बाद बीते 13 मार्च को सरकार द्वारा इस पर विचार का प्रस्ताव विपक्ष की एकजुटता के कारण गिर गया था। लिहाजा अब प्रक्रिया के तहत इसे फिर से विधानसभा में पेश किया जा रहा है।

सरकार का दावा है कि इस कानून के आने से अंडरवर्ल्ड, जबरन वसूली, जबरन कब्जे, वेश्यावृत्ति, अपहरण, फिरौती, धमकी और तस्करी जैसे संगठित अपराधों पर लगाम लेगी।

बता दें कि इस तरह का कानून सबसे महाराष्ट्र में लागू किया गया है। हालांकि, महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण कानून (मकोका) की तर्ज पर लाए जा रहे इस कानून का विपक्षी सपा और बसपा विरोध करती रही है। ऐसे में कुछ बदलाव के साथ एक बार फिर योगी सरकार विधानसभा में यूपीकोका बिल पेश करेगी।

ये है UPCOCA बिल की खास बातें

1.दरअसल, यूपीकोका कानून महाराष्ट्र के मकोका कानून जैसा ही होगा। मकोका को 1999 में महाराष्ट्र सरकार ने बनाया था. इसके पीछे मकसद मुंबई जैसे शहर में अंडरवर्ल्ड के आतंक से निपटना था. संगठित अपराध पर अंकुश लगाने के लिए ही इस कानून को बनाया गया था।

2.यूपीकोका कानून के तहत लगातार जबरन वसूली, किडनैपिंग, हत्या या हत्या की कोशिश और दूसरे संगठित अपराध करने वालों के खिलाफ केस दर्ज किया जाएगा और ऐसे अपराधियों पर अंकुश लगाया जाएगा।

3.यूपीकोका की श्रेणी में आने वाले अपराध के निपटाने के लिए राज्य सरकार विशेष न्यायालय का गठन करेंगी. ताकि जल्द से जल्द मामलों का निपटारा किया जा सके।

4.हालांकि, ऐसे मामलों की जांच पहले कमिश्नर और आईजी स्तर के अधिकारी करेंगे ताकि कानून के गलत इस्तेमाल से बचा जा सके। यानी इसके लिए बड़े लेवल के पुलिस अधिकारी से स्वीकृति लेनी होगी. स्वीकृति मिलने के बाद पुलिस आरोपी के खिलाफ इस कानून के तहत केस दर्ज कर सकती है।

5.अपराधियों की संपत्ति राज्य सरकार द्वारा जब्त की जा सकती है। यह कोर्ट की अनुमति के बाद ही किया जा सकेगा। इस विधेयक के लागू होने के बाद संगठित अपराध करने वाले किसी भी अपराधी को सरकारी सुरक्षा मुहैया नहीं कराई जाएगी। इसमें सजा का भी काफी कठोर प्रावधान है।

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