भारत में कोरोना टीकाकरण में पड़ रही खलल के बीच टीके का उत्पादन बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार कोरोना के स्वदेशी वैक्सीन कोवैक्सीन के निर्माण की अनुमति अन्य कंपनियों को भी देने के लिए तैयार हो गयी है। केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक राज्यमंत्री मनसुख मंडाविया ने कहा कि हम इसके लिए तैयार हैं। टीका निर्माताओं से बातचीत भी कर रहे हैं तथा अगले डेढ़ महीनों के भीतर देश में टीके की उपलब्धता काफी बढ़ जाएगी और लोग आसानी से टीका लगा सकेंगे। उन्होंने कहा किसी दवा या टीका निर्माता कंपनी के पास इसके लिए आवश्यक ढांचा और संसाधन हैं तो वह हमारे पास आए। हम उसे तत्काल अनुमति प्रदान करेंगे।
उन्होंने कहा कि कोवैक्सीन चूंकि भारत में बना हुआ स्वदेशी टीका है, इसलिए इसके निर्माण में एपीआई की समस्या नहीं है। इस अनुसंधान में सहयोगी कंपनियां जरूरत के अनुसार उसकी आपूर्ति करने में सक्षम हैं। देश में 18 साल से अधिक आयु के लोगों का टीकाकरण शुरू होने के बाद टीके की कमी के चलते कई राज्य केंद्र से मांग कर चुके हैं कि कंपल्सिव लाइसेंसिंग के जरिए दूसरी कंपनियों को भी कोवैक्सीन के निर्माण की अनुमति दी जाए। सरकार का रुख स्पष्ट है कि इसके लिए बातचीत की जा रही है। उन्होंने दवा क्षेत्र को भी आमंत्रित किया है कि यदि उनमें निर्माण की क्षमता है तो वे अनुमति के लिए आवेदन करें।
उन्होंने कहा कि देश में टीके की कमी दूर करने के लिए कई स्तरों पर प्रयास हो रहे हैं। हम विदेशों से टीके की खरीद और विदेशी कंपनियों को भारत में उत्पादन शुरू करने के लिए भी कोशिश कर रहे हैं। फाइजर तथा जॉन्सन एंड जॉन्सन से टीकों के आयात और देश में उत्पादन शुरू करने के लिए भारत सरकार ने बातचीत आरंभ कर दी है। फाइजर ने कुछ मुद्दे उठाए हैं, उनका समाधान कुछ दिनों में हो जाने की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि असल समस्या यह है कि विदेशी कंपनियां भी कई देशों से ऑर्डर ले चुकी हैं तथा पूरी क्षमता के साथ कार्य कर रही हैं।
विदेश मंत्रालय इन कंपनियों से बातचीत कर रहा है। यदि आने वाले दिनों में इनके साथ खरीद का समझौता हो जाता है तो इससे राज्यों को भी फायदा होगा और कॉरपोरेट अस्पताल, निजी कंपनियां भी सीटे विदेशों से टीका खरीद सकेंगे। निजी कंपनियां अपने स्टाफ के टीकाकरण के लिए सीधे टीका विदेशों से खरीद सकेंगी। वहीं स्वास्थ्य मंत्रालय भी यह आकलन कर रहा है कि देश में रोजाना अधिकतम कितने टीके लगाये जा सकते हैं। अभी तक एक दिन का अधिकतम रिकॉर्ड 43 लाख टीकों का रहा है। हालांकि, रोजाना का औसत 20 लाख का है।