क्या वरुण गांधी छोड़ देंगे BJP का साथ
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता और सांसद वरुण गांधी की पार्टी से नाराजगी और दूरियां लगातार बढ़ने लगी है। पार्टी के पूर्व राष्ट्रीय महासचिव रहे वरुण गांधी को पिछले काफी समय से पार्टी द्वारा नजरअंदाज किया जा रहा है। वरुण गांधी को न तो संगठन में ही महत्वपूर्ण जगह मिल पा रही है, न ही कैबिनेट विस्तार के समय केंद्र सरकार में कोई जगह मिली थी। अब उत्तर प्रदेश में घटित लखीमपुर खीरी हिंसा की जांच के लिए भाजपा की नई राष्ट्रीय कार्यकारिणी का गठन हुआ जो कि वरुण गांधी की नाराजगी की बड़ी वजह बनी है।
BJP की नई राष्ट्रीय कार्यकारिणी में नहीं मिली सांसद को जगह
दरअसल, पार्टी की नई राष्ट्रीय कार्यकारिणी में वरुण गांधी और मेनका गांधी दोनों को ही जगह नहीं दी गई है। जबकि इसके पहले दोनों नेता इसमें शामिल थे, पार्टी से बढ़ती नाराजगी में यह भी एक कारण बना। कार्यकारिणी में इस बदलाव को लेकर कई अटकलें लग रही हैं कि वरुण और उनकी मां मेनका गांधी, गांधी परिवार से ताल्लुक रखते हैं, इसलिए उनको हटाया गया। दरअसल मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में मेनका गांधी को मंत्री नहीं बनाया गया था, इसके बाद से ही नेताओं और पार्टी के बीच यह दूरी दिखने लगी थी।
लखीमपुर खीरी मामले में वरुण साध रहे BJP पर निशाना
लखीमपुर खीरी घटना को लेकर लगातार अपनी ही सरकार को निशाने पर ले रहे भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) सांसद वरुण गांधी ने एक बार फिर प्रतिक्रिया दी है। उनका कहना है कि लखीमपुर खीरी को हिंदू बनाम सिख लड़ाई में बदलने की कोशिश की जा रही है, जो कि अनैतिक और झूठा आख्यान है। पीलीभीत से बीजेपी सांसद ने रविवार को ट्वीट करते हुए कहा, लखीमपुर खीरी को हिंदू बनाम सिख लड़ाई में बदलने की कोशिश की जा रही है। यह न केवल एक अनैतिक और झूठा आख्यान है, इन दोषों की रेखाएं बनाना और उन घावों को फिर से खोलना खतरनाक है जो एक पीढ़ी को ठीक करने में लगे हैं। हमें राष्ट्रीय एकता से ऊपर राजनीतिक लाभ नहीं रखना चाहिए।