राज्यसभा के सभापति एम. वेंकैया नायडू ने संसद के मॉनसून सत्र के अच्छी तरह से चलने को सुनिश्चित करने के लिए सदन के सभी सदस्यों से रविवार को सहयोग मांगा और कहा कि यह उनका (नायडू का) विदाई तोहफा होगा।
सूत्रों ने बताया कि नायडू द्वारा अपने आवास पर आयोजित की गई एक सर्वदलीय बैठक में रिकार्ड संख्या में 41 नेता एवं मंत्री शरीक हुए, जिन्होंने उन्हें अपनी ओर से सहयोग किये जाने का आश्वासन दिया। साथ ही, संसद के उच्च सदन में अनुशासन एवं व्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए उनकी सराहना की।
विपक्ष के नेताओं ने सोमवार से शुरू हो रहे सत्र के लिए 16 मुद्दे निर्धारित किये हैं।
सूत्रों ने बताया कि नायडू ने अपनी अध्यक्षता वाले पिछले 13 पूर्ण सत्रों के दौरान सदन में हुए कामकाज को याद करते हुए कि वह एक अंतिम अनुरोध कर रहे हैं कि ‘वरिष्ठों के सदन’ की गरिमा को बरकरार रखा जाए।
विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे और अन्य ने पिछले पांच वर्षों के दौरान सदन के प्रभावी कामकाज के लिए नायडू की कोशिशों की सराहना की। कुछ नेताओं ने उच्च सदन में सही आचरण एवं अनुशासन के लिए नायडू की चिंताओं का खासतौर पर जिक्र किया।
उन्होंने इस बात का जिक्र किया कि ‘‘कुछ सदस्यों को निलंबित करने सहित की गई अनुशासनात्मक कार्रवाई सदन के कामकाज का हिस्सा थीं लेकिन नेता एवं सदस्य नायडू के उनके प्रति व्यक्तिगत लगाव को लंबे समय तक याद रखेंगे। ’’
कई नेताओं ने मातृभाषा के उपयोग को बढ़ावा देने की नायडू की प्रतिबद्धता को भी याद किया।
राज्यसभा के सभापति के तौर पर नायडू का कार्यकाल 10 अगस्त को समाप्त हो रहा है।
नेताओं की टिप्पणी पर अपनी प्रतिक्रिया में राज्यसभा के सभापति ने कहा कि वह उनके शब्दों से अभिभूत हो गये और उनके साथ अपना जुड़ाव जारी रखने की इच्छा जताते हुए कहा कि इससे उन्हें (नायडू को) खुशी होगी।