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आतंकवाद को जड़ से खत्म करने के लिये विश्व समूदाय से एकजुट होने की वेंकैया नायडू की अपील

उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने दुनिया से आतंकवाद को जड़ से खत्म करने के लिये विश्व समुदाय से एकजुट होकर काम करने की अपील करते हुये

उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने दुनिया से आतंकवाद को जड़ से खत्म करने के लिये विश्व समुदाय से एकजुट होकर काम करने की अपील करते हुये संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का विस्तार करने और इसे लोकतांत्रिक बनाने की जरूरत पर बल दिया है। 
नायडू ने बुधवार को विश्व मामलों की भारतीय परिषद (आईसीडब्ल्यूए) द्वारा ‘बदलती वैश्विक व्यवस्था में भारत अफ्रीका सहयोग: प्राथमिकतायें, संभावनायें एवं चुनौतियां’ विषय पर आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी को संबोधित करते हुये कहा, ‘‘शांति व्यवस्था, विकास की पूर्व शर्त है। भारत सभी देशों के साथ शांतिपूर्ण रिश्ते कायम करने में विश्वास करता है, इनमें उसका ‘एक पड़ोसी’ भी शामिल है, बशर्ते वह देश (भारत) के आंतरिक मामलों में दखल न दे।’’ 
उन्होंने कहा कि आतंकवाद का विश्वव्यापी खतरा इंसानियत का दुश्मन है और इसे जड़ से खत्म करने के लिये विश्व समुदाय को एकजुट होकर काम करने की जरूरत है। 
इस दौरान नायडू ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार की जरूरत पर बल देते हुये कहा कि इसे लोकतांत्रिक बना कर इसका विस्तार किया जाना चाहिये। उन्होंने कहा कि सुरक्षा परिषद में सुधार, आतंकवादरोधी मुहिम, शांति बहाली और साइबर सुरक्षा जैसे अहम मसलों पर अफ्रीका और भारत के साझा हित हैं। इसके मद्देनजर न्यायोचित और लोकतांत्रिक विश्व व्यवस्था कायम करने में भारत और अफ्रीकी देश विश्व की एक तिहाई आबादी की आवाज बन सकते हैं। 
उन्होंने कहा कि उपनिवेशवाद से जुड़े साझा संघर्षपूर्ण अनुभवों के मद्देनजर भारत और अफ्रीका, विकास एवं सामाजिक उत्थान के विभिन्न क्षेत्रों में अपने कौशल एक दूसरे से साझा करने को तत्पर हैं। 
नायडू ने संगोष्ठी में अफ्रीकी देशों के प्रतिनिधियों, राजनयिकों और विदेश नीति के विशेषज्ञों को संबोधित करते हुये कहा, ‘‘भारत अपनी सफल डिजिटल क्रांति के अनुभवों को अफ्रीका के साथ साझा करने के लिए तत्पर है। हम जनसेवाओं के विस्तार, जन स्वास्थ्य और शिक्षा, डिजिटल साक्षरता, वित्तीय समावेश और दुर्बल वर्गों को समाज की मुख्यधारा में शामिल करने जैसे विषयों पर अपने अनुभव साझा करने के लिए तैयार हैं।’’ 
अफ्रीका की कृषि के क्षेत्र में तात्कालिक जरूरतों का जिक्र करते हुये नायडू ने कहा कि अफ्रीका में विश्व की 60 प्रतिशत कृषि योग्य भूमि है, किन्तु विश्व के कुल कृषि उत्पादन का महज 10 प्रतिशत पैदा होता है। ऐसे में भारत कृषि के क्षेत्र में अफ्रीका को सहयोग दे सकता है। 
उपराष्ट्रपति ने द्विपक्षीय आपसी सहयोग के मूलभूत आधार बिंदुओं के हवाले से कहा, ‘‘भारत और अफ्रीका ने उपनिवेशवाद के विरुद्ध साझा लड़ाई लड़ी है। हम एक ऐसी लोकतांत्रिक वैश्विक व्यवस्था चाहते हैं जिसमें भारत और अफ्रीका में रहने वाली विश्व की एक तिहाई जनसंख्या को सार्थक स्वर मिले।’’ 
नायडू ने कहा कि यह संगोष्ठी ऐसे समय हो रही है जबकि भारत राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 150वीं जयंती मनाने जा रहा है। उन्होंने इस पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुये कहा भारत में अधिसंख्य लोग अफ्रीका को महात्मा की ‘कर्मभूमि’ के रूप में देखते हैं, जहां से उन्होंने समता और न्याय की खातिर अपने संघर्ष का आगाज किया था।
 
इस अवसर पर नायडू ने राजनयिक दिलीप सिन्हा द्वारा लिखित पुस्तक ‘शक्ति की मान्यता: संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद’ तथा अंतरराष्ट्रीय मामलों की विशेषज्ञ एवं पूर्व राजनयिक भास्वती मुखर्जी की पुस्तक ‘ भारत और यूरोपीय संघ: एक अंतरंग दृष्टिकोण’ का लोकार्पण भी किया। 

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