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उपराष्ट्रपति ने युवाओं को दी नसीहत, कहा- कक्षा और खेल के मैदान में समान समय दे, जीवनशैली में आएगा सुधार

उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने बुधवार को कहा कि युवाओं को कक्षा तथा खेलकूद के मैदान में समान समय देना चाहिए क्योंकि इससे जीवनशैली से जुड़ी बीमारियों के बढ़ते मामलों से निपटने में मदद मिलेगी।

देश के उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू कोरोना संकट के काल में भी युवाओं को कई बार अत्यधिक जरूरी बातें बता चुके है। तो वहीं, एक बार फिर नायडू ने बुधवार को कहा कि युवाओं को कक्षा तथा खेलकूद के मैदान में समान समय देना चाहिए क्योंकि इससे जीवनशैली से जुड़ी बीमारियों के बढ़ते मामलों से निपटने में मदद मिलेगी।
उपराष्ट्रपति ने युवाओं से ओलंपिक खिलाड़़ियों से प्रेरणा लेने को कहा जिन्होंने न केवल अपनी उपलब्धियों से देश को गौरवान्वित किया बल्कि विभिन्न खेलों के प्रति व्यापक रूचि पैदा की है। नायडू ने युवाओं से अपने लक्ष्यों को हासिल करने के लिये कठिन परिश्रम करने का आह्वान किया और कहा कि कठिन परिश्रम व्यर्थ नहीं जाता है और इसका हमेशा सकारात्मक परिणाम प्राप्त होता है।
उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने आज दिल्ली विश्वविद्यालय के शिवाजी कॉलेज की हीरक जयंती के समापन समारोह को डिजिटल माध्यम से संबोधित करते हुए कहा, ‘‘ इसलिये हार नहीं मानें और अपने सपनों के लिये संघर्ष करें तथा दुनिया में बदलाव लाएं।’’ वेंकैया नायडू ने कहा कि छात्रों को कक्षा और खेलकूद में समान समय देना चाहिए। उन्होंने कहा कि खेलों में हिस्सा लेने से टीम भावना का निर्माण होता है, आत्मविश्वास तथा शारीरिक तंदरूस्ती बढ़ती है।
उपराष्ट्रपति सचिवालय के बयान के अनुसार, वेंकैया नायडू ने कहा कि यह जीवनशैली से जुड़े रोगों के बढ़ते मामलों से निपटने में महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि उन्हें महसूस होता है कि खेलों को पाठ्यक्रम का हिस्सा होना चाहिए और छात्रों को खेलों एवं अन्य शारीरिक गतिविधियों को समान महत्व देने के लिये प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि शिक्षा और राष्ट्र की सेवा में शिक्षण संस्थानों एवं शिक्षकों की महत्वपूर्ण भूमिका हैं। उन्होंने कहा, ‘‘समाज के प्रति सौहार्द और सहानुभूति, अपने परिवेश और पर्यावरण के प्रति संवेदनशील होना, यही तो नैतिकता का आधार है।संवेदना और करुणा जागृत करना, यही तो शिक्षा की आत्मा है। ’’ नायडू ने कहा कि सीखना सतत रूप से चलने वाली प्रक्रिया है और यह सार्थक यात्रा है जिसमें छात्र एवं शिक्षक साथ आगे बढ़ते हैं।

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