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उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ बोले- संसद और विधानसभाओं में अशोभनीय घटनाओं का निदान खोजा जाए

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने संसद एवं विधानसभाओं में अशोभनीय घटनाओं पर क्षोभ व्यक्त करते हुए इसका समाधान खोजने पर जोर दिया है।

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने संसद एवं विधानसभाओं में अशोभनीय घटनाओं पर क्षोभ व्यक्त करते हुए इसका समाधान खोजने पर जोर दिया है। उन्होंने कहा कि संविधान और कानून की शपथ लेने वाले जनप्रतिनिधियों का विधायिका में नियमों और अनुशासन का उल्लंघन करना समझ से परे है। धनखड़ ने बुधवार को राजस्थान विधानसभा में ‘अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारी सम्मेलन’ के उद्घाटन सत्र को संबोधित किया।
संसद एवं विधानसभाओं में अशोभनीय घटनाओं की ओर इशारा करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘लोकतंत्र के इन मंदिरों की विषम दशा से हम सब भली भांति परिचित हैं। समय आ गया है कि इस निराशाजनक स्थिति का उचित समाधान निकाला जाये। संसद और विधानसभाओं में अशोभनीय घटनाओं और व्यवहार पर जनता में व्याप्त रोष का निदान खोजा जाये।’’उन्होंने कहा, ‘‘यह समझ से परे है कैसे सांसद, विधायक, विधान पार्षद (एमएलसी)… जो संविधान और कानून की शपथ लेते हैं, विधायिका में नियमों और अनुशासन का उल्लंघन करते हैं। ऐसी स्थिति पर नियंत्रण करने, उस पर अंकुश लगाने में आपकी भूमिका सबसे महत्वपूर्ण है। मुझे विश्वास है इस विषय पर पूरा ध्यान दिया जाएगा।’’
धनखड़ ने कहा, ‘‘क्या व्यवधानों और नियमों के उल्लंघन को एक राजनीतिक रणनीति बनने दिया जा सकता है? कदापि नहीं।’’ उपराष्ट्रपति ने कहा कि संविधान सभा हमारे सामने एक अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत करती है। उन्होंने कहा, ‘‘संविधान सभा में विमर्श में सौहार्द, भाषा में शिष्टता और विचारों में निष्ठा थी। वो लोग विद्वान थे, बड़े उद्देश्य के प्रति समर्पित थे। उनके सामने एक लक्ष्य था, तत्कालीन विषम स्थितियों के प्रति सजग थे और उन परिस्थितियों में अपनी जिम्मेदारी के प्रति जागरूक थे।’’ उन्होंने सवाल उठाया, ‘‘संसद और विधायिका में आज अनुभव, योग्यता और प्रतिभा भरपूर है। जरा सोचिए, आज वो पुराने मूल्य और आदर्श क्यों और कहां खो गए हैं।’’
इससे पहले धनखड़ ने कहा, ‘‘ये हम सबका सौभाग्य है की भारत विश्व में लोकतांत्रिक विस्तार का प्रतीक भी है। हमें विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र होने का गौरव हासिल है। उन्होंने उम्मीद जताई कि इस महत्वपूर्ण सम्मेलन में मंथन और विचार विमर्शों से अमृत निकलेगा जो अवश्य ही हमारे देश और संसदीय व्यवस्था को अमृतकाल में नयी ऊर्जा देगा।’’ राजस्थान विधानसभा में आयोजित इस दो दिवसीय सम्मेलन के उद्घाटन कार्यक्रम की अध्यक्षता लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने की। इस अवसर पर राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, राजस्थान विधानसभा के अध्यक्ष डॉ सीपी जोशी भी मौजूद थे।

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