उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने शुक्रवार को लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी के 2018 बैच के आईएएस अधिकारियों के लिए दो साल के प्रशिक्षण कार्यक्रम के विदाई समारोह को संबोधित किया। उपराष्ट्रपति ने अपने सम्बोधन में युवा आईएएस अधिकारियों से ‘नए भारत’’ के निर्माण की जिम्मेदारी उठाने का आग्रह किया।
उन्होंने अधिकारियों को सरदार वल्लभभाई पटेल का वह सपना याद कराया कि सिविल सेवा गरीबी तथा भेदभाव से लड़कर नए राष्ट्र के निर्माण में उत्साह से काम करेगी। उपराष्ट्रपति ने उनसे ईमानदार, अनुशासित, जिम्मेदार, पारदर्शी और जवाबदेह बनने के लिए कहा।
दिवंगत प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री को असाधारण नेता बताते हुए नायडू ने कहा कि उनकी पहचान सत्यनिष्ठा और विनम्रता, संवेदना और दक्षता, राष्ट्रीय गौरव और अदम्य साहस थी। प्रशिक्षु अधिकारियों से सीखते रहने, विचारशील और नवोन्मेषी बनने का अनुरोध करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘आज हमें सुशासन की जरूरत है।’’
उन्होंने कहा कि विधायिका बेशक कई नीतियां और कानून बना सकती है लेकिन आखिरकार असल में उन नीतियों का जमीनी स्तर पर कार्यान्वयन ही मायने रखता है। उन्होंने कहा कि किसी भी सरकार को उसकी सेवा के लिए याद किया जाएगा और यह सुनिश्चित करना नौकरशाहों का कर्तव्य है कि लोगों को बिना देरी के उनका हक मिले।
नायडू ने युवा नौकरशाहों से कहा कि आप जो भी पद संभालें, आपको उसमें अच्छे काम का रिकॉर्ड बनाना चाहिए ताकि लोग बाद में भी आपको याद रखें। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ‘‘सुधार, प्रदर्शन और बदलाव’ का मंत्र उनके सभी कार्यों का प्रेरणास्रोत होना चाहिए।
उन्होंने कहा कि भारत महत्वपूर्ण बदलाव की कगार पर है और मौजूदा वैश्विक महामारी के बावजूद विकास और आत्म निर्भर बनने के कई नए अवसर हैं। नायडू ने कहा, ‘‘आपको इस नए भारत के निर्माण का बीड़ा उठाना होगा।’’ दुनिया के अप्रत्याशित तरीकों से बदलने का जिक्र करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि वह चाहते हैं कि युवा नौकरशाह इन बदलावों को भांप सकें और बदलती चुनौतियों से निपटने की तैयारी करें।
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि प्रशासन की भाषा लोगों की स्थानीय भाषा होनी चाहिए और प्रशिक्षण के दौरान स्थानीय भाषाएं सीखने के लिए अधिकारियों की प्रशंसा की। उपराष्ट्रपति ने प्रधानमंत्री के ‘‘मन की बात’’ संबोधनों वाली ‘‘सिक्स्टी फाइव कंवर्सेशंस’’ नाम की एक किताब का भी विमोचन किया।