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राम मंदिर के भूमि पूजन से पहले उपराष्ट्रपति नायडू का सन्देश : हम अतीत के गौरव को वापस ला रहे हैं

अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए पांच अगस्त को होने वाले भूमि पूजन के पहले उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने रविवार को कहा कि इस ‘ऐतिहासिक’ कार्यक्रम के जरिए देश अतीत के गौरव को वापस ला रहा है।

अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए पांच अगस्त को होने वाले भूमि पूजन के पहले उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने रविवार को कहा कि इस ‘ऐतिहासिक’ कार्यक्रम के जरिए देश अतीत के गौरव को वापस ला रहा है और अपने लोगों द्वारा पोषित मूल्यों को स्थापित कर रहा है। 
नायडू ने एक सोशल मीडिया पोस्ट ‘‘ मंदिर का पुनर्निर्माण, मूल्यों की स्थापना’’ में वैदिक विद्वान आर्थर एंथनी मैकडोनेल को उद्धृत करते हुए कहा कि ‘राम के विचार, जैसा भारतीय ग्रंथों में बताया गया है, मूल रूप से धर्मनिरपेक्ष हैं, लोगों के जीवन और विचारों पर कम से कम ढाई सहस्राब्दी तक उनका गहरा प्रभाव रहा है।’
नायडू ने राम राज्य की चर्चा करते हुए इसे उपमा बताया जिसका इस्तेमाल महात्मा गांधी ने अच्छी तरह से शासित राज्य को परिभाषित करने के लिए किया। उन्होंने कहा कि यह लोक-केंद्रित लोकतांत्रिक शासन पर आधारित है जो सहानुभूति, समावेश, शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व और जीवन की बेहतर गुणवत्ता के लिए निरंतर खोज के मूल्यों पर आधारित है। 
मंदिर निर्माण शुरू करने के लिए पांच अगस्त के भूमि पूजन समारोह से पहले उपराष्ट्रपति ने कहा, ‘‘यह ऐसी घटना है जो हममें से अधिकतर को हमारी शानदार सांस्कृतिक विरासत से जोड़ती है… यह वास्तव में एक स्वाभाविक उत्सव का क्षण है क्योंकि हम अतीत के गौरव को वापस ला रहे हैं और अपने मूल्यों को स्थापित कर रहे हैं। ” 
उन्होंने कहा, ‘‘वास्तव में, यह ऐसा क्षण है जो सामाजिक आध्यात्मिक कायाकल्प का कारण बन सकता है, यदि हम रामायण के सार को समझ सकते हैं और इसे सही परिप्रेक्ष्य में देख सकते हैं तथा इसे एक कहानी के रूप में देख सकते हैं जो धर्म या उचित व्यवहार के अनोखे भारतीय दृष्टिकोण को प्रदर्शित करती है।”
भगवान राम को भारतीय संस्कृति के एक ‘अवतार’ के रूप में परिभाषित करते हुए नायडू ने कहा कि वह एक आदर्श राजा थे, एक आदर्श इंसान थे। उनमें ऐसे कई बेहतरीन गुण थे जो किसी इंसान की इच्छा हो सकती है। 

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