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उपराष्ट्रपति नायडू ने कहा- जब तक महिलाओं को सभी क्षेत्रों में समान अवसर नहीं मिलता भारत प्रगति नहीं कर सकता

संसद और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं को पर्याप्त आरक्षण मुहैया कराने के लिये फेसबुक पर एक पोस्ट में उन्होंने एक बार फिर सभी राजनीतिक दलों से इस संदर्भ में लंबित प्रस्ताव पर आम सहमति बनाने का अनुरोध किया।

उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने रविवार को कहा कि महिलाओं को राजनीति सहित हर क्षेत्र में बराबरी का अवसर दिए बिना भारत प्रगति नहीं कर सकता। नायडू ने कहा कि हमें अपने कर्म और आचरण से यह दिखाने की जरूरत है कि भारतीय समाज में अब लैंगिक भेदभाव का अस्तित्व नहीं है। संसद और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं को पर्याप्त आरक्षण मुहैया कराने के लिये फेसबुक पर एक पोस्ट में उन्होंने एक बार फिर सभी राजनीतिक दलों से इस संदर्भ में लंबित प्रस्ताव पर आम सहमति बनाने का अनुरोध किया।
लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिये आरक्षण के प्रावधान वाला महिला आरक्षण विधेयक राज्य सभा में पारित हो चुका है लेकिन 2014 में 15वीं लोकसभा के भंग होने के बाद यह अधर में ही रह गया था। उन्होंने कहा, “देश की आबादी में लगभग 50 प्रतिशत महिलाएं हैं, राजनीति सहित हर क्षेत्र में उन्हें बराबरी का अवसर दिए बिना देश प्रगति नहीं कर सकता। ” नायडू ने कहा कि भारतीय संस्कृति में हमेशा से महिलाओं के साथ सम्मान और समानता का व्यवहार किया गया है।
उन्होंने कहा, “महिलाओं का सम्मान, उनकी प्रतिभा और योगदान को मान्यता देना हमेशा से जीवन के भारतीय तौर-तरीके का हिस्सा रहा है।” उन्होंने कहा महिलाओं के शानदार योगदान की लंबी विरासत है जिसमें चंद्रगुप्त द्वितीय की पुत्री प्रभावति जो अपने राज्य की प्रशासनिक जिम्मेदारियां संभालती थीं और दिल्ली की सत्ता संभालने वाली एक मात्र महिला शासक रजिया सुल्तान जैसी विदुषी महिलाएं अग्रणी हैं।
उन्होंने जोर दिया कि लड़कियों और महिलाओं के खिलाफ किसी भी तरह की हिंसा को लेकर कतई बर्दाश्त नहीं करने की नीति होनी चाहिए। उन्होंने कहा, “‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ जैसे जन अभियान का हालांकि सकारात्मक प्रभाव पड़ा है फिर भी सामाजिक सोच बदलने के लिये और भी प्रयास करने की आवश्यकता है। महिला सशक्तिकरण का एक आंदोलन होना चाहिए और यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि कोई भी लड़की स्कूल से बाहर न हो।”

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