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इसरो ने चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर से ‘विक्रम’ लैंडर को सफलतापूर्वक किया अलग

लैंडर के चांद की सतह पर उतरने के बाद इसके भीतर से ‘प्रज्ञान’ नाम का रोवर बाहर निकलेगा और अपने छह पहियों पर चलकर चांद की सतह पर अपने वैज्ञानिक प्रयोगों को अंजाम देगा।

भारत का पहला मून लैंडर विक्रम अंतरिक्ष यान चंद्रयान-2 से सोमवार को दोपहर 1:15 बजे सफलतापूर्वक अलग हो गया। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने यह जानकारी दी। विक्रम लैंडर अगले 20 घंटे तक अपने ऑर्बिटर के पीछे-पीछे 2 किमी प्रति सेकंड की गति से चांद का चक्कर लगाता रहेगा।
इससे से पहले रविवार को चंद्रयान-2 के पांचवें और अंतिम कक्षा परिवर्तन को सफलतापूर्वक पूरा कर लिया था। चंद्रयान-2 तीन हिस्सों से मिलकर बना है – पहला-ऑर्बिटर, दूसरा- विक्रम लैंडर और तीसरा- प्रज्ञान रोवर। विक्रम लैंडर के अंदर ही प्रज्ञान रोवर है, जो सॉफ्ट लैंडिंग के बाद बाहर निकलेगा। 

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इसरो ने ट्वीट करके बताया कि लैंडर ‘विक्रम’ इस वक्‍त चंद्रमा की 119km x 127km कक्षा में चक्‍कर लगा रहा है। वहीं चंद्रयान-2 का आर्बिटर उसी कक्षा में चक्‍कर लगा रहा है, जिसमें वह रविवार को दाखिल हुआ था।  इसरो के एक अधिकारी नेकहा, ‘‘जी हां, यह सफलतापूर्वक अलग हो गया।’’ 
लैंडर अब सात सितंबर को चांद के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र में रात एक बजकर 55 मिनट पर ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ करेगा। लैंडर के चांद की सतह पर उतरने के बाद इसके भीतर से ‘प्रज्ञान’ नाम का रोवर बाहर निकलेगा और अपने छह पहियों पर चलकर चांद की सतह पर अपने वैज्ञानिक प्रयोगों को अंजाम देगा। 
इसरो के वैज्ञानिकों का कहना है कि चांद पर ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ चंद्र मिशन-2 का सबसे जटिल चरण है। यदि सबकुछ ठीक रहता है तो अमेरिका, रूस और चीन के बाद भारत चांद पर ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ करने वाला दुनिया का चौथा देश बन जाएगा। इसके साथ ही अंतरिक्ष इतिहास में भारत चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र में उतरने वाला दुनिया का पहला देश बन जाएगा। ‘लैंडर’ का नाम भारत के अंतरिक्ष मिशन के जनक विक्रम साराभाई के नाम पर ‘विक्रम’ रखा गया है। 

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