सुप्रीम कोर्ट ने कानून-व्यवस्था को लेकर त्रिपुरा में स्थानीय निकाय चुनावों को टालने से इनकार कर दिया है। आज सुप्रीम कोर्ट ने अहम फैसला सुनाते हुए कहा कि चुनाव को टालना किसी भी लोकतंत्र में सबसे आखिर का कदम है और हम इसके खिलाफ हैं।कोर्ट ने कहा अब बहुत देर हो चुकी है। 25 नवंबर को चुनाव है और 28 नवंबर को वोटों की गिनती है। अगर हम ऐसा करते हैं तो इससे एक गलत परंपरा की शुरुआत होगी। इसे लेकर टीएमसी ने अदालत में याचिका दाखिल की थी।
कोर्ट ने त्रिपुरा सरकार को कानून व्यवस्था बढ़ाने का निर्देश देते हुए सुरक्षा बढ़ाने का आदेश दिया। कोर्ट ने कहा की पैरा मिलिट्री की 3 बटालियन सुरक्षा के लिए लगाई गई है। कोर्ट ने निर्देश दिया कि डीजीपी और आईजी राज्य चुनाव आयोग से बुधवार सुबह मीटिंग करें और सुरक्षा व्यवस्था का जायजा लें। साथ ही कहा कि अगर और फोर्स की जरूरत हो तो केंद्र सरकार से मांगे, जो उन्हें फौरन दी जाए।
चुनाव निष्पक्ष और शांतिपूर्ण कराना डीजीपी, आईजी और गृह सचिव की जिम्मेदारी
साथ ही कोर्ट ने कहा कि सरकार इस बात का पूरा ब्यौरा कोर्ट में जमा करे कि अब तक हुई हिंसा पर क्या कार्रवाई हुई है और कितने लोगों को गिरफ्तार किया गया है। डीजीपी, आईजी और गृह सचिव की जिम्मेदारी है कि चुनाव निष्पक्ष और शांतिपूर्ण हो। इससे पहले सुबह तृणमूल कांग्रेस (TMC) की ओर से त्रिपुरा में कानून-व्यवस्था की “बिगड़ती” स्थिति को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट में त्रिपुरा डीजीपी ने आश्वासन दिया कि किसी भी राजीतिक पार्टी को प्रचार करने से नहीं रोका जा रहा है।
वहीं त्रिपुरा सरकार ने कहा पुलिस सभी पार्टियों के प्रतिनिधि को पर्याप्त सुरक्षा प्रदान कर रही है। त्रिपुरा सरकार ने कहा कि सुरक्षा को लेकर पूरी तैयारी की गई हैं। सुप्रीम कोर्ट में त्रिपुरा सरकार के वकील ने कहा केंद्र सरकार की तरफ से पैरा मिल्ट्री फोर्स तैनात की गई है। वहीं टीएमसी ने त्रिपुरा में निकाय चुनाव को टालने की मांग की। टीएमसी के वकील ने कहा जिस तरह त्रिपुरा में स्थिति है, ऐसे में सुरक्षा के मद्देनजर निकाय चुनाव को 1 हफ्ते के लिए टाल दिया जाए।
त्रिपुरा सरकार के वकील ने टीएमसी की दलील का किया विरोध
त्रिपुरा सरकार के वकील ने टीएमसी की निकाय चुनाव टालने की दलील का विरोध किया। वहीं टीएमसी के वकील ने कहा कि पुलिस ने हाई कोर्ट में हलफनामा में कहा कि बीजेपी के 50-60 लोगों ने कानून व्यवस्था को बिगाड़ने की कोशिश की, लेकिन गिरफ्तार सिर्फ हमारी पार्टी के कार्यकर्ताओं को किया गया. धारा 307 लगाई गई। जिला अदालत ने जमानत के दौरान हैरानी भी जताई थी।