भारतीय रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य ने अपना कार्यकाल पूरा होने से छह महीने पहले ही इस्तीफा दे दिया है। वह मौद्रिक नीति विभाग के प्रभारी थे। केंद्रीय बैंक ने सोमवार को एक संक्षिप्त बयान जारी कर कहा, ”कुछ सप्ताह पहले आचार्य ने आरबीआई को पत्र लिखकर सूचित किया था कि अपरिहार्य निजी कारणों से 23 जुलाई, 2019 के बाद वह डिप्टी गवर्नर के अपने कार्यकाल को जारी रखने में असमर्थ हैं।”
बयान में कहा गया है कि उचित प्राधिकारी उनके इस पत्र पर आगे की कार्रवाई पर विचार कर रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली नियुक्ति समिति ने क्योंकि आचार्य की नियुक्ति की थी, इसलिए उनका त्यागपत्र भी वही समिति स्वीकार करेगी। पिछले सात महीने में रिजर्व बैंक से इस्तीफा देने वाली आचार्य दूसरे बड़े पदाधिकारी हैं।
दिसंबर 2018 में आरबीआई के गवर्नर उर्जित पटेल ने सरकार के साथ मतभेदों के कारण कार्यकाल पूरा होने से नौ महीने पहले ही इस्तीफा दे दिया था। सितंबर 2016 में पटेल को गवर्नर के तौर पर पदोन्नत किये जाने के बाद जनवरी 2017 में आचार्य रिजर्व बैंक से जुड़े थे। आरबीआई में अब तीन डिप्टी गवर्नर एन. एस. विश्वनाथन, बी. पी. कानूनगो और एम. के. जैन बचे हैं। विरल आचार्य की नियुक्ति तीन साल के लिये हुई थी।
न्यूयॉर्क टाइम्स में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर आचार्य ने एक बार खुद को ‘गरीबों का रघुराम राजन’ कहा था। विरल आचार्य ने ऐसे समय में आरबीआई के डिप्टी गवर्नर का पद संभाला था जब केंद्रीय बैंक नोटबंदी के बाद रुपये जमा करने एवं निकालने की नीतियों में बार-बार बदलाव को लेकर आलोचनाओं का सामना कर रहा था।