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भारत-बांग्लादेश के विदेश मंत्रियों के बीच हुई वर्चुअल बैठक, दोनों देशों ने द्विपक्षीय संबंधों की व्यापक समीक्षा की

विदेश मंत्रालय के मुताबिक, भारत-बांग्लादेश संयुक्त परामर्श आयोग (जेसीसी) की छठी बैठक में म्यामां के राखाइन प्रांत से जबरन विस्थापित लोगों के सुरक्षित, त्वरित और सतत् वापसी के महत्व पर भी जोर दिया गया, जो बांग्लादेश में शरण लिए हुए हैं

बांग्लादेश में भारत द्वारा वित्त पोषित विकास परियोजनाओं की निगरानी के लिए जल्द ही एक उच्च स्तरीय प्रणाली का गठन किया जाएगा। दोनों देशों के बीच मंत्री स्तरीय डिजिटल बैठक के बाद यह जानकारी दी गई। बैठक में तीस्ता नदी के जल बंटवारे के अंतरिम समझौते को अंतिम रूप देने की प्रतिबद्धता भी दोहराई गई।
विदेश मंत्रालय के मुताबिक, भारत-बांग्लादेश संयुक्त परामर्श आयोग (जेसीसी) की छठी बैठक में म्यामां के राखाइन प्रांत से जबरन विस्थापित लोगों के सुरक्षित, त्वरित और सतत् वापसी के महत्व पर भी जोर दिया गया, जो बांग्लादेश में शरण लिए हुए हैं। बैठक की सह-अध्यक्षता विदेश मंत्री एस. जयशंकर और उनके बांग्लादेशी समकक्ष ए. के. अब्दुल मोमेन ने किया। दिसम्बर में दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों के बीच डिजिटल शिखर बैठक से पहले इसमें द्विपक्षीय संबंधों की विस्तृत समीक्षा की गई।
रोहिंग्या के मुद्दे पर विदेश मंत्रालय की तरफ से जारी संयुक्त बयान में कहा गया कि बांग्लादेश के विदेश मंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि ‘‘जब तक समस्या का तेजी से समाधान नहीं किया जाता है तब संभावना है कि एक कट्टर तबका क्षेत्र में आर्थिक वृद्धि, शांति और स्थिरता को बाधित करेगा और संकट के समाधान में भारत से सहयोग मांगा।’’ संयुक्त बयान में कहा गया कि आतंकवाद वैश्विक शांति और सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा है और दोनों पक्षों ने इसे समाप्त करने का संकल्प जताया।
वार्ता में दोनों मंत्रियों ने कहा कि भारत और बांग्लादेश दक्षिण एशिया में दो बड़ी अर्थव्यवस्थाएं हैं और दोनों देशों के बीच व्यापार एवं निवेश बढ़ाने के लिए परस्पर लाभ वाले उपायों को बढ़ावा दिया जाना चाहिए जिसमें व्यापार में किसी भी तरह की बाधा को हटाना शामिल है। संयुक्त बयान में कहा गया कि दोनों पक्षों ने ‘उच्च स्तरीय निगरानी समिति’ का गठन करने का निर्णय किया है ताकि बांग्लादेश में भारत के ऋण सहयोग से बन रही परियोजनाओं की प्रगति की नियमित समीक्षा की जा सके। 
इसमें कहा गया कि दोनों देशों के बीच  की सीमाओं पर प्रभावी सुरक्षा के लिए समन्वित सीमा प्रबंधन योजना (सीबीएमपी) लागू की जाए। इसमें बताया गया, ‘‘भारतीय पक्ष ने सीमा पर खतरा वाले स्थानों पर 150 यार्ड के अंदर तेजी से बाड़ लगाने का आग्रह किया ताकि सीमा अपराधों को रोकने में सहयोग मिल सके।’’

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