राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहाकर अजित डोभाल ने शुक्रवार को चीन के विदेश मंत्री वांग यी से मुलाकात के दौरान पूर्वी लद्दाख में बाकी बचे सभी विवादित क्षेत्रों से सैनिकों को जल्द से जल्द और पूरी तरह पीछे हटाने पर जोर दिया। सूत्रों ने यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि डोभाल ने द्विपक्षीय संबंधों को स्वाभाविक रूप से बरकरार रखने में आने वाली ”बाधाओं” को दूर करने का भी आह्वान किया। चीन के स्टेट काउंसलर का दर्जा रखने वाले वांग गुरुवार शाम काबुल से दिल्ली पहुंचे थे। उनकी यात्रा के बारे में कोई घोषणा नहीं की गई थी।
डोभाल और वांग ने सीमा विवाद पर की चर्चा
डोभाल और वांग ने सीमा विवाद पर व्यापक चर्चा की, सूत्रों के अनुसार डोभाल ने वांग से कहा कि सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति बहाली से विश्वास कायम करने में मदद मिलेगी और संबंधों में प्रगति के लिए अनुकूल माहौल तैयार होगा। सूत्रों ने कहा कि वार्ता के दौरान माहौल सकारात्मक रहा। डोभाल ने वांग से कहा कि पूर्वी लद्दाख में मौजूदा स्थिति पारस्परिक हित में नहीं है। उन्होंने यह सुनिश्चित करने पर जोर दिया कि किसी भी गतिविधि से समान एवं पारस्परिक सुरक्षा की भावना का उल्लंघन न हो।
डोभाल ने सकारात्मक वार्ता जारी रखने की आवश्यकता पर दिया बल
सूत्रों ने बताया कि डोभाल ने शांति और स्थिरता की बहाली के लिए राजनयिक और सैन्य स्तर पर सकारात्मक वार्ता जारी रखने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि दोनों पक्षों के बीच संबंधों को सामान्य बनाने के दिशा में ऐसी वार्ताओं की अपेक्षा की जाती है। डोभाल ने चीन के विदेश मंत्री वांग यी के साथ वार्ता के दौरान शेष मुद्दों को जल्द से जल्द सुलझाने का आह्वान किया और इन मुद्दों के समाधान के लिये परिपक्वता व गंभीरता की आवश्यकता पर जोर दिया।
वांग ने डोभाल को दिया चीन यात्रा का निमंत्रण
सूत्रों ने कहा कि चीनी पक्ष ने सीमा विवाद पर वार्ता को आगे बढ़ाने के लिये डोभाल को चीन का दौरा करने के लिए आमंत्रित किया। डोभाल ने निमंत्रण पर सकारात्मक प्रतिक्रिया दी और कहा कि मुद्दों को सफलतापूर्वक हल करने के बाद वह यात्रा कर सकते हैं। वांग और डोभाल दोनों देशों के बीच सीमा वार्ता के लिए विशेष प्रतिनिधि के रूप में काम कर रहे हैं। डोभाल और वांग ने पूर्वी लद्दाख में तनाव को कम करने को लेकर जुलाई 2020 में फोन पर लंबी बातचीत की थी।
भारत और चीन में जारी है सैन्य वार्ता
भारत और चीन पूर्वी लद्दाख में गतिरोध का हल निकालने के लिए उच्च स्तरीय सैन्य वार्ता भी कर रहे हैं। दोनों पक्षों ने बातचीत के बाद कुछ स्थानों से अपने सैनिक वापस भी बुलाए हैं। पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में लंबित मुद्दों को हल करने के लिए 11 मार्च को भारत और चीन के बीच 15वें दौर की उच्च स्तरीय सैन्य वार्ता हुई थी। इस वार्ता में कोई समाधान नहीं निकल पाया था। गौरतलब है कि पैंगोंग झील के इलाकों में भारत और चीन की सेनाओं के बीच विवाद के बाद, पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में 15 जून, 2020 को हिंसक संघर्ष से तनाव बढ़ गया। इसमें 20 भारतीय सैनिक शहीद हो गए थे। चीन के कई सैनिक भी मारे गए थे।
भारत और चीन के बीच संबंध सामान्य नहीं :जयशंकर
इसके साथ ही वांग ने एस जयशंकर से भी वार्ता की जिसमें विदेश मंत्री ने साफ शब्दों में कहा कि भारत और चीन के बीच संबंध सामान्य नहीं हैं क्योंकि समझौतों के विपरीत सीमा पर बड़ी संख्या में सैनिक तैनात हैं। पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के बिना गुरूवार शाम यहां पहुंचे चीन के विदेश मंत्री वांग यी के साथ शुक्रवार को वार्ता के बाद विदेश मंत्री एस जयशंकर ने विशेष संवाददाता सम्मेलन में कहा कि उन्होंने विदेश मंत्री को देश की भावना से अवगत कराते हुए कहा है कि सीमा पर शांति स्थिर संबंधों के लिए जरूरी है।
जयशंकर बोले- दोनों देशों में अब भी है टकराव की स्थिति
उन्होंने दो टूक शब्दों में कहा कि मौजूदा समय में चीन के साथ हमारे संबंध सामान्य नहीं हैं क्योंकि दोनों देशों के बीच 1993 से 96 के बीच हुए समझौतों के विपरीत सीमाओं पर बड़ी संख्या में सैनिक तैनात हैं। जयशंकर ने कहा कि जब तक इतनी बड़ी संख्या में सैनिक तैनात हैं तो सीमा पर स्थिति सामान्य नहीं है। दोनों देशों के बीच अभी भी टकराव के मुद्दे हैं। कुछ मुद्दों के समाधान की दिशा में प्रगति हुई है जिनमें पेगोंग झील क्षेत्र का मुद्दा भी शामिल है। मुद्दों के समाधान के लिए अब तक 15 दौर की बात हो चुकी है और आज यह बात हुई कि वार्ता को आगे कैसे बढाया जाये।
सीमा से जल्द से जल्द पीछे हटाएं चीनी सेना
उन्होंने कहा कि मुद्दों के समाधान की दिशा में काम किया जा रहा है लेकिन यह बहुत धीमा है। इसे तेज किया जाना चाहिए क्योंकि वास्तविक नियंत्रण रेखा पर तनाव कम करने के लिए सैनिकों को विवाद की जगहों से पूरी तरह हटाया जाना जरूरी है। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि सीमा से लगते क्षेत्रों में स्थिति के समाधान के लिए कोई समय सीमा निश्चित नहीं की गयी है। यह पूछे जाने पर कि क्या बातचीत के दौरान इस्लामिक सहयोग संगठन का मुद्दा भी उठा, जयशंकर ने कहा कि हां इस बारे में बात हुई। उन्होंने चीन के समक्ष इस संबंध में भारत की आपत्ति को भी स्पष्ट रूप से रखा।
भारत चाहता है चीन उसके लिए अपनाए स्वतंत्र नीति
उन्होंने कहा कि भारत उम्मीद रखता है कि चीन भारत के संबंध में स्वतंत्र नीति अपनायेगा और उसकी नीति किसी अन्य देश से प्रभावित नहीं होगी। विदेश मंत्री ने कहा कि उनकी चीन के समकक्ष के साथ करीब तीन घंटे तक मुलाकात हुई और इस दौरान खुले तथा स्पष्ट ढंग से विभिन्न मुद्दों पर चर्चा हुई। उन्होंने कहा कि दोनों पक्षों के बीच अफगानिस्तान और यूक्रेन सहित प्रमुख अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों पर भी बातचीत हुई। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि इस दौरान क्वाड के बारे में कोई बात नहीं हुई।
क्वाड के बारे में नहीं हुई कोई बात :जयशंकर
विदेश मंत्री ने कहा कि उन्होंने कोविड पाबंदियों के कारण स्वेदश लौटे भारतीय मेडिकल छात्रों के पढने के लिए वापस चीन नहीं जा पाने का मुद्दा भी उठाया। उन्होंने कहा कि उम्मीद है कि चीन इस संबंध में कोई भेदभाव नहीं करेगा क्योंकि यह अनेक युवा लोगों के भविष्य से जुड़ मामला है। उन्होंने कहा कि चीनी विदेश मंत्री ने उन्हें आश्वस्त किया है कि वह संबंधित अधिकारियों के साथ बातचीत करेंगे। जयशंकर ने कहा कि अफगानिस्तान पर भारत की नीति संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव 2593 के अनुरूप है। यूक्रेन के बारे में दोनों देशों ने अपने अपने रूख और दृष्टिकोण को रखा और इस बात पर सहमति व्यक्त की कि कूटनीति तथा बातचीत को प्राथमिकता दी जानी चाहिए।