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सार्वभौमिक महत्व वाली एक संवेदनशील फिल्म बनाना चाहता था : विवेक रंजन अग्निहोत्री

फिल्मकार विवेक रंजन अग्निहोत्री ने 1990 में कश्मीर घाटी से पंडितों के पलायन पर आधारित हाल में रिलीज हुई अपनी फिल्म ‘द कश्मीर फाइल्स’ को सार्वभौमिक अपील वाली फिल्म बताया है।

फिल्मकार विवेक रंजन अग्निहोत्री ने 1990 में कश्मीर घाटी से पंडितों के पलायन पर आधारित हाल में रिलीज हुई अपनी फिल्म ‘द कश्मीर फाइल्स’ को सार्वभौमिक अपील वाली फिल्म बताया है। ‘द कश्मीर फाइल्स’ का निर्देशन एवं पटकथा लेखन विवेक रंजन अग्निहोत्री ने ही किया है। फिल्म में अनुपम खेर, मिथुन चक्रवर्ती और पल्लवी जोशी ने अहम किरदार निभाए हैं।
मैं एक संवेदनशील फिल्म बनाना चाहता था, जिसका सार्वभौमिक महत्व हो – अग्निहोत्री 
अग्निहोत्री ने सोमवार को संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘मैं एक संवेदनशील फिल्म बनाना चाहता था, जिसका सार्वभौमिक महत्व हो। पूरी दुनिया के लोगों को यह फिल्म पसंद आ रही है, इस फिल्म में किरदारों द्वारा व्यक्त की गयीं संवेदनाएं अंतरराष्ट्रीय स्तर की हैं। मैं पूरी दुनिया को कश्मीर घाटी में जो हुआ, उसकी सच्चाई दिखाना चाहता था।  इस संवाददाता सम्मेलन में अनुपम खेर और पल्लवी जोशी भी मौजूद थे।
भारतीय ही नही अमेरिकियों के अन्य समुदाय के लोगों पर अपना ध्यान केंद्रित किया 
अग्निहोत्री ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि यह फिल्म भारत को अपनी कूटनीतिक पहुंच बढ़ाने में मदद कर सकती है। निर्देशक ने कहा कि वह हॉलीवुड से प्रेरित होकर ऐसी फिल्में बनाते हैं, जो देश की प्रशंसा करती हैं और दुनिया के सामने इसकी महानता पेश करती हैं। उन्होंने कहा, ‘‘इसलिए हम यह फिल्म लोगों को दिखाने के लिए अमेरिका में हर जगह गए। हमारा ध्यान केवल भारतीयों को ही यह फिल्म दिखाने पर नहीं था। हमने अमेरिकियों, अश्वेतों, गोरों, हिस्पैनिक्स और अन्य समुदाय और देशों के लोगों पर अपना ध्यान केंद्रित किया। 
हमारी दर्दनाक कहानी पर लीपापोती कर दी गई 
इस संवाददाता सम्मेलन में मौजूद वैश्विक कश्मीरी पंडित प्रवासी संगठन के सह-संस्थापक सुरिंदर कौल ने कहा कि उन्होंने कश्मीरी पंडितों की दुर्दशा को उजागर करने वाली फिल्म बनाने के लिए अतीत में कई बॉलीवुड निर्देशकों से संपर्क किया था। कौल ने कहा, ‘‘कई फिल्में कश्मीर पर बनीं लेकिन या तो उन्होंने आतंकवाद को रोमांटिक तरीके से प्रदर्शित किया अथवा उसका महिमामंडन किया। हमारी दर्दनाक कहानी पर पूरी तरह से लीपापोती कर दी गई। हमने अपनी कहानी बताने के लिए कई बॉलीवुड निर्देशकों से संपर्क किया और मुझे यह कहते हुए शर्म आ रही है, हमारे अनुरोध को दरकिनार कर दिया गया। 
चार साल तक शोध किया गया  पीडीत समुदाय के लोगों से इसको लेकर बात की – अनुपम खेर , अभिनेता 
अभिनेता अनुपम खेर ने कहा कि इस फिल्म को पूरी दुनिया के लोगों का समर्थन प्राप्त हो रहा है। अनुपम खेर ने कहा, ‘‘हमने फिल्म में महत्वपूर्ण जानकारियों और वाद-विवाद का बखूबी इस्तेमाल किया है और जैसा कि कौल साहब ने कहा कि उन्होंने कई लोगों से संपर्क किया और आखिरकार विवेक सहमत हो गए। उन्होंने चार साल तक शोध किया और कश्मीरी पंडित समुदाय के कई लोगों से बात की।  यह पूछे जाने पर कि क्या यह फिल्म केवल बॉलीवुड में इसलिए बन सकी, क्योंकि सत्ता में भारतीय जनता पार्टी की सरकार है, खेर ने कहा, ‘‘यह सच है। हर फिल्म का अपना समय होता है। 
आपको बता दे कि कश्मीर फाइल्स फिल्म में कश्मीर में मुस्लिम कट्टरपंथी के काऱण विस्थापित किए गए हिंदुओं पर बनाई गई हैं। संन 1989  के दशक में कश्मीर में मुस्लिम कट्टरपंथीयों ने कश्मीरी हिंदुओं को घाटी से बाहर निकाल कर फेंक दिया था।  जिस कारण उन्हें अपने ही देश मे शरणार्थी बनकर अपनी गुजर बसर करनी पड़ रही हैं। 
इस फिल्म में उन सभी वेदनाओं व दर्द को साझा किया गया हैं। इस फिल्म को लेकर सोशल मीडिया में जबरदस्त बहस छिड़ी हुई हैं।  कुछ लोग हिंदु प्रताड़नाओं पर मरहम लगा रहे हैं।  लेकिन इसी विपरीत समुदाय विशेष इसको भम्रित पैदा करना बता रहा हैं।  अभी तक इस फिल्म ने कई कीर्तिमान विस्थापित कर दिए  हैं। कश्मीर फाइल्स अपनी लागत से दो गुना रकम कमा चुकी हैं।  विवादों के बीच भी लोग इसे काफी पसंद कर रहे हैं। और अतीत को लेकर सजगता पैदा कर रहे हैं।       

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