लुधियाना : जीएसटी का टेक्सटाइल इंडस्ट्री व कपडा कारोबारियों ने विरोध करना शुरू कर दिया है। शॉल, कंबल व कपडे को जीएसटी के दायरे में लाये जाने के विरोध में आज इंडस्ट्री से जुडे लोगों ने अपने कारोबार बंद रखे व सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर अपना रोष जाहिर किया। कारोबारियों ने शहर के अलग अलग हिस्सों में रोष सवरूप जलूस निकाल कर धरने लगाए।
कारोबारियों ने सरकार से कपडे ,शॉल व कंबल उद्योग पर लागू होने जा रहे पांच प्रतिशत टैक्स को वापिस लिए जाने की मांग कर रहे हैं। इनका कहना है कि जीएसटी के जरिये उनके ट्रेड पर पांच प्रतिशत टैक्स से उन्हें काफी दिक्कतें आएँगी। लिहाजा, सरकार इस पर पुर्नविचार कर इसे वापिस ले।
होलसेल कपडा व्यापारी राजेश कुमार ने कहा कि हम सरकार के कपडा कारोबारियों पर जीसेटी में लगाए गए टैक्स का विरोध करते क्योंकि हमारे कारोबारी अधिकतर पढे लिखे नहीं हैं। ऐसे में हमें इसकी रिटर्न भरने व कागजी करवाई में दिक्कत आएगी। लिहाजा, हम इसे वापिस लिए जाने की मांग करते हैं। दरअसल कपडा कारोबारियों के अलावा लुधियाना की वूलेन हौजरी इंडस्ट्री, पंजाब की शॉल व कंबल इंडस्ट्री भी बुरी तरह प्रभावित हुई है।
इस से वूलेन गारमेंट तो महंगे होंगे ही साथ शॉल व कंबल उद्योग को कारोबार ठप्प होने की चिंता सताने लगी है। पंजाब में शॉल, कंबल व टेक्सटाइल कपडा बनाने वाले छोटे व बडे करीब आठ हजार यूनिट्स हैं, जिनका सालाना टर्नओवर पंद्रह हजार करोड रुपए के करीब है, इन उद्योगों में हजारों लोग काम करते हैं जिन पर जीएसटी के बाद बुरा असर पड सकता है।
टैक्सटाइल इंडस्ट्री का कहना है कि पहले शॉल, कंबल व टेक्सटाइल कपडे पर टैक्स नहीं था। जीएसटी के बाद पांच प्रतिशत टैक्स से उनका धंधा चौपट हो जाएगा। लिहाजा, वह इसका विरोध जारी रखेंगे और अपना विरोध तेज करेंगे ।
गौरतलब है कि पिछले साल नवंबर में के चलते विंटर गारमेंट्स, शॉल व कंबल आदि का कारोबार प्रभावित हुआ था और अब ये जीएसटी के लागू होने से परेशान हैं। फिलहाल, शॉल कंबल उद्योग व कपडा कारोबारी विरोध प्रदर्शन जरिये सरकार पर ये दबाव बनाने में जुट गए हैं कि सरकार उन पर लागू हो रहा टैक्स का फैसला वापिस ले, ऐसे में यदि सरकार ने समय रहते इसमें संशोधन न किया तो आने वाले दिनों में ये प्रदर्शन और भी उग्र हो सकते हैं।
– सुनीलराय कामरेड