कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सलमान खुर्शीद ने मंगलवार को कहा कि लोकसभा की सदस्यता से राहुल गांधी की अयोग्यता की स्थिति में विपक्षी एकता ने ‘एक इमारत खड़ी करने’ के लिए उपजाऊ जमीन मुहैया कराई है और अगर यह अधिक टिकाऊ सहयोग की शुरुआत है तो इसके लिए कीमत अदा की जा सकती है। खुर्शीद ने यह भी कहा कि उन्हें विश्वास है कि राहुल गांधी कानूनी प्रक्रिया के माध्यम से बहुत जल्द संसद में वापस आएंगे।
पूर्व केंद्रीय कानून मंत्री ने ‘पीटीआई-भाषा’ को दिये साक्षात्कार में कहा कि जनप्रतिनिधियों के अयोग्य करार दिये जाने से संबंधित कानून में बदलाव अवश्यंभावी हैं क्योंकि राजनीतिक प्रणाली की सफाई करने के लिए उठाये जाने वाले कदमों के पीछे कुछ छिपे हुए आयाम हैं और राहुल गांधी का मामला इसका ही एक उदाहरण लगता है।
अयोग्य करार दिये जाने का एक भावनात्मक पहलू
खुर्शीद ने कहा कि बोलने की आजादी की किस सीमा तक अनुमति होनी चाहिए और संसद के बाहर तथा अंदर जन प्रतिनिधियों को कितना लचीला होना चाहिए, इस सवाल पर अब विचार की जरूरत है। उन्होंने यह भी कहा कि राहुल गांधी के अयोग्य करार दिये जाने का एक भावनात्मक पहलू है जो चार दशक से अधिक समय पहले पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के लोकसभा से अयोग्य करार दिये जाने के काफी हद तक समान है और इस पर जनता की प्रतिक्रियाएं आएंगी।
कई दल अनेक राज्यों में खुद को कर रहे हैं स्थापित
कांग्रेस की संचालन समिति के सदस्य खुर्शीद ने कहा, ‘‘लेकिन यह हमें इस लड़ाई को दिन-रात लड़ने के इस कठिन कार्य से रोकने वाला नहीं है, जब तक कि हम अंततः केंद्र में भाजपा और उसकी सरकार को गिराने में सक्षम नहीं हो जाते।’’ पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि राहुल गांधी के और उनकी दादी के संसद सदस्यता से अयोग्य करार दिये जाने में काफी कुछ समानताएं हैं, लेकिन तब से अब में काफी कुछ बदल गया है और जमीनी हकीकतों की अनदेखी नहीं की जा सकती, जबकि कई दल अनेक राज्यों में खुद को स्थापित कर रहे हैं।
राहुल गांधी के अयोग्य करार दिये जाने के बाद विपक्षी दलों के एकजुट होने और कांग्रेस से सामान्य तौर पर दूरी रखने वाले तृणमूल कांग्रेस, आम आदमी पार्टी एवं भारत राष्ट्र समिति जैसे दलों के उसके समर्थन में आने के बारे में पूछे जाने पर खुर्शीद ने कहा, ‘‘यह बहुत उत्साहजनक है और हमें इस मुद्दे पर उनके सहयोग के लिए आभार प्रकट करने में कोई हिचक नहीं है।’’
टिकाऊ और गहरा होना जरूरी
उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन यह हम सभी के लिए दलीय भावना से हटकर एक मुद्दा है और इसलिए वे हमारे साथ एकजुट हुए हैं। मुझे लगता है कि यह बहुत अच्छी बात है। हम देश में जो एकता लाने की कोशिश कर रहे हैं, उसके लिए यह बहुत अच्छा है लेकिन इसका विस्तार करना होगा।’’ खुर्शीद ने कहा, ‘‘यह कभी-कभार वाला नहीं होना चाहिए। इसका अधिक टिकाऊ और गहरा होना जरूरी है। अगर यह इसी दिशा में शुरुआत है तो इसके लिए कीमत चुकानी पड़े तो कोई हर्ज नहीं।’’
उन्होंने कहा कि यह आने वाले समय में एक इमारत तैयार करने के लिए उपजाऊ जमीन तैयार होने के समान है जिसमें सभी स्वेच्छा से सहभागी हों और किसी को ऐसा नहीं लगे कि इस तरह के किसी घटनाक्रम पर एकाधिकार का प्रयास किया जा रहा है।