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भारत जोड़ो यात्रा के सामने तीन सबसे बड़ी चुनौतियां? कन्याकुमारी से शुरू होगी कांग्रेस की 3570 किमी लंबी यह यात्रा

कांग्रेस नेताओं ने ‘भारत जोड़ो यात्रा’ के लिए कमर कस ली है। उन्हें उम्मीद है कि 2024 के चुनाव में यह पदयात्रा काफी अहम साबित होगी। वहीं इस यात्रा के जरिए एक बार फिर राहुल गांधी को उतारने की कोशिश की जा रही है। इस महत्वाकांक्षी

कांग्रेस नेताओं ने ‘भारत जोड़ो यात्रा’ के लिए कमर कस ली है। उन्हें उम्मीद है कि 2024 के चुनाव में यह पदयात्रा काफी अहम साबित होगी। वहीं इस यात्रा के जरिए एक बार फिर राहुल गांधी को उतारने की कोशिश की जा रही है। इस महत्वाकांक्षी योजना के माध्यम से यह बताने का प्रयास किया जाएगा कि देश में कांग्रेस ही एकमात्र ऐसी पार्टी है जो देश को एक सूत्र में पिरो सकती है। कन्याकुमारी से कश्मीर तक का 35 हजार किलोमीटर का यह सफर आसान नहीं है। इसके सामने कई चुनौतियां भी हैं।
राष्ट्रपति चुनाव
यात्रा के दौरान दो ऐसी घटनाएं भी होती हैं जो यात्रा में बाधा उत्पन्न कर सकती हैं। पहला है कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष का चुनाव और दूसरा है गुजरात और हिमाचल प्रदेश का विधानसभा चुनाव। सूत्रों के मुताबिक, कांग्रेस नेताओं को राष्ट्रपति के चुनाव की चिंता नहीं है क्योंकि यात्रा उस दौरान कर्नाटक में होगी और पार्टी बेंगलुरु पहुंचकर वोट डालने की सुविधा देगी।
जी-23 बन सकता है कांग्रेस के सामने सबसे बड़ी चुनौती 
वहीं ‘जी-23’ इस दौरान भी एक चुनौती बन सकता है क्योंकि इस दौरान उनके लिए अपने विचार व्यक्त करने का यह सबसे अच्छा समय होगा। पिछली बार भी जब कांग्रेस ने आम आदमी पार्टी के खिलाफ प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी तो गुलाम नबी आजाद के पार्टी छोड़ने की खबर भी आई थी। वहीं, दिल्ली में महंगाई के खिलाफ कांग्रेस की हॉलबोल रैली के एक दिन पहले गुलाम नबी आजाद ने जम्मू-कश्मीर में एक बड़ी जनसभा की। ऐसी भी चर्चा थी कि शशि थरूर अध्यक्ष पद के लिए नामांकन करेंगे। सूत्रों का यह भी कहना है कि जी23 का कोई भी नेता नॉमिनेट कर सकता है। वहीं कांग्रेस पार्टी के कई नेता राहुल गांधी को यह जिम्मेदारी लेने के लिए मनाने की कोशिश कर रहे हैं। 
क्या हैं रास्ते की बड़ी बाधाएं 
जिस रास्ते से यह यात्रा करनी है, उसमें कई ऐसी जगहें हैं जो गायब हैं। मसलन यह यात्रा राजस्थान से होकर जाएगी जहां कांग्रेस की सरकार है। हरियाणा और पंजाब की बात करें तो वह अंबाला को ही जाएगी जबकि हकीकत यह है कि हरियाणा अभी भी कांग्रेस की पहुंच से बाहर है। यह सफर ओडिशा और पूर्वोत्तर में भी बहुत कुछ छोड़ रहा है। इतिहास की बात करें तो जो महत्वपूर्ण यात्राएं हुई हैं उनमें चुनौतीपूर्ण स्थान जरूर शामिल हैं, लेकिन कांग्रेस की यह यात्रा सुविधा को ध्यान में रखकर ही करनी है। 
गुजरात और हिमाचल चुनाव
यह यात्रा श्रीपेरंबदूर से शुरू होगी। यह वही जगह है जहां पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या हुई थी। रात को राहुल गांधी मोबाइल के डिब्बे में सोएंगे। राहुल गांधी के साथ कांग्रेस के कुछ वरिष्ठ नेता भी होंगे। इसके अलावा उनके साथ 117 स्वयंसेवक भी होंगे जो विभिन्न राज्यों का प्रतिनिधित्व करेंगे। हालांकि गुजरात और हिमाचल चुनाव के दौरान राहुल गांधी को भी ब्रेक लेना होगा। 
चिंता की बात यह है कि अगर यात्रा के बीच में कांग्रेस चुनाव हार जाती है तो इसका असर यात्रा पर भी जरूर पड़ेगा। समस्या यह भी है कि जब इस यात्रा में केवल पार्टी के नेता शामिल होंगे तो क्या अन्य स्वेच्छा से इसमें शामिल होंगे। यदि ऐसा नहीं होता है तो भारत जोड़ी यात्रा का उद्देश्य सफल नहीं होगा।

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