गुजरात विधानसभा चुनाव के परिणामों ने बीजेपी के सिर लगातार छठी बार जीत का सेहरा बाँध दिया है। नरेंद्र मोदी और अमित शाह की रणनीति को भेद पाना कांग्रेस के लिए इस बार भी असंभव साबित हुआ। पूरे देश की नजरें सुबह से गुजरात और हिमाचल के चुनाव नतीजों के ऊपर थी क्योंकि इन चुनावों को सीधे सीधे बीजेपी के 2019 के लोकसभा चुनावों के सेमीफइनल के तौर पर देखा जा रहा था।
खुद भाजपा के लिए मुख्य रूप से गुजरात चुनाव अपनी स्थिति के आंकलन का केंद्र था। बेशक गुजरात में बीजेपी की सीटों के प्रतिशत में गिरावट दर्ज की गयी पर सत्ता पर वही काबिज रहेगी। इस बार गुजरात चुनाव में बीजेपी को कड़ी टक्कर मिल रही थी और इस बात से नरेंद्र मोदी और अमित शाह भली भाँती अवगत थे।
अब नतीजे साफ़ हो चुके है और भाजपा का मार्ग साफ़ हो चूका है। इन गुजरात चुनाव में एक खास बात सामने आयी की कई नए चहरों ने सीधे सीधे भाजपा को टक्कर दी और ये सभी अपनी अपनी सीटों से जीते भी है। अब जानना दिलचस्प होगा की खासकर तीन युवा चेहरे हार्दिक पटेल, जिग्नेश मेवानी और अल्पेश ठाकुर का राजनीतिक सफर किस दिशा में आगे बढ़ेगा।
हार्दिक पटेल: इन नतीजों पर हार्दिक ने बयान दिया है की उन्हें जनता का फैसला मंजूर है पर कहीं न कहीं ईवीएम पर सवाल उठाकर उन्होंने खुद को एक बार फिर निशाने पर ला दिया है। पाटीदार आंदोलन को खड़ा करने और उसका नेतृत्व करने वाले 24 साल के हार्दिक पटेल की साख दाव पर थी। उन्हें गुजरात में केशुभाई के बाद पटेलों का विकल्प माना गया। हार्दिक ने खुद चुनाव तो नहीं लड़ा, लेकिन कांग्रेस का पुरजोर समर्थन किया. कांग्रेस के साथ उनकी मौजूदगी ने गुजरात की लड़ाई को बेहद दिलचस्प बना दिया। उनका कहना है की उनकी लड़ाई जारी रहेगी।
जिग्नेश मेवानी: गुजरात चुनाव में इस बार दलित नेता के तौर पर जिग्नेश मेवानी दूसरा चेहरा है जो उभर कर सामने आये। जिग्नेश ने ऊना में दलित उत्पीड़न के मामले को देशव्यापी बनाने की पुरजोर कोशिश की और उन्हें दलितों का अच्छा समर्थन भी मिला। व कांग्रेस में शामिल नहीं हुए और बनासकाठा जिले की बडगांव सीट से निर्दलीय चुनाव लड़ा। इस चुनाव में जीत हासिल करने के बाद अब उनका अगला लक्ष्य क्या होगा ये तो समय ही बताएगा।
अल्पेश ठाकुर: अल्पेश ठाकुर ने गुजरात में पिछड़े वर्ग की मांगों के लिए आवाज उठाते हुए सफलता पूर्वक इन चुनाव अपना दम दिखाया। उन्होंने इस चनाव में कांग्रेस के टिकट पर राधनपुर से विधानसभा चुनाव जीता लेकिन पाटीदारों का विरोध उनके राजनीतिक सफर को प्रभावित कर सकता है जिसकी हार्दिक पटेल पैरवी करते आये है।
ये तीनों चेहरे राजनीति में नए जरूर है पर इन्होने इन चुनाव में काफी हद तक अपनी छाप छोड़ी है। लेकिन कहीं न कहीं ये अभी बहुत से ऐसे क्षेत्रों में पिछड़ गए जहाँ से भाजपा को इनपर बढ़त मिली है। कांग्रेस का साथ इनके करियर के लिए क्या फायदे नुक्सान लाएगा ये तो समय बताएगा पर इतना जरूर है की ये तीनो चेहरे भाजपा को इन गुजरात चुनावों में काफी टेंशन दे गए है।
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