राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने अपने कार्यकाल के अंतिम दिन देशवासियों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि 5 साल पहले मैं आपके चुने हुए जनप्रतिनिधियों के माध्यम से राष्ट्रपति चुना गया था। महामहिम कोविंद ने प्रकृति, जीवंत लोकतांत्रिक व अपने सहयोगियों के प्रतिनिधियों के प्रति आभार व्यक्त किया।
लोकतंत्र की ताकत में नागरिको के लिए दरवाजे खुले, वह कुछ भी कर सकते हैं
राष्ट्रपति ने कहा, "जब अपने छोटे से गांव में एक बालक के तौर पर मैं अपने भविष्य को समझने की कोशिश कर रहा था, तब आजादी मिले कुछ ही समय हुआ था। मुझे उम्मीद थी कि मैं भी राष्ट्र निर्माण में कुछ योगदान करुंगा। यह भारत के लोकतंत्र की ताकत है कि इसमें नागरिकों के लिए दरवाजे खुले हैं कि वह कुछ भी कर सकते हैं। हमारे पूर्वजों और हमारे आधुनिक राष्ट्र-निर्माताओं ने अपने कठिन परिश्रम और सेवा भावना के द्वारा न्याय, स्वतंत्रता, समता और बंधुता के आदर्शों को चरितार्थ किया था। हमें केवल उनके पदचिह्नों पर चलना है और आगे बढ़ते रहना है।
पर्यावरण , जल संकट को लेकर कोविंद ने जताई गहरी चिंता
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व के आदर्श कपोल कल्पना नहीं, बल्कि उत्कृष्ट, महान और उत्थानशील हैं।हमें अपने बच्चों की खातिर अपने पर्यावरण, अपनी जमीन, हवा और पानी का ख्याल रखना चाहिए , प्रकृति मां गहरी पीड़ा में है, जलवायु संकट इस ग्रह के भविष्य को खतरे में डाल सकता है ,मेरा दृढ़ विश्वास है कि हमारा देश 21वीं सदी को भारत की सदी बनाने के लिए तैयार हो रहा है, राष्ट्रीय शिक्षा नीति युवा भारतीयों को अपनी विरासत से जोड़ने में काफी मदद करेगी ।